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झारखंड : बदहाली की जिंदगी जी रहे पूर्वी सिंहभूम के सबर जनजाति के कई लोग, बरसात में बैठकर गुजरती हैं रातें

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पूर्वी सिंहभूम के नारायण पहाड़ की तलहटी पर बसे सबर जनजाति के लोग बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इंदिर आवास जर्जर होने के कारण बारिश के दिनों में रतजगा करने को मजबूर होते हैं. वहीं, जलमीनार भी महीनों से खराब पड़ा है. इसक बावजूद कोई सुध नहीं ले रहा है.

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Jharkhand News: पूर्वी सिहंभूम जिला अंतर्गत घाटशिला प्रखंड की बनकांटी पंचायत के नारायणपुर पहाड़ की तलहटी पर सबर बस्ती है. यहां के सबर बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. यहां के सबर वर्षों पुराने जर्जर इंदिरा आवास में जान जोखिम में डाल बच्चों के साथ गुजारा कर रहे हैं. बारिश होने पर बैठकर रात गुजारनी पड़ती है. घर इतना जर्जर है कि कब गिर जाये कहना मुश्किल है.

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पंचायत से ब्लॉक तक गुहार नहीं आया काम

इस बस्ती में पांच सबर परिवार निवास करते हैं. यहां सबरों की कुल आबादी करीब बीस है. यहां लाल सबर, पांचू सबर, तोता सबर, हूरला सबर और कानी सबर का परिवार रह रहा है. सभी जंगल के भरोसे जिंदा हैं. सुबह उठकर जंगल जाते हैं. लकड़ी, पत्ता-दातून लाकर बेचते हैं. उसी से परिवार चलता है. सबरों ने बताया कि कई बार पंचायत और ब्लॉक से आवास देने की गुहार लगायी. पर नहीं मिला. आवासों में खिड़की-दरवाजे तक नहीं है. हमेशा भय बना रहता है. यहां सोलर जल मीनार भी कई माह से खराब है. सबरों को पीने के पानी के लिए दूर जाना पड़ता है.

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अष्टमी सबर गर्दन के जख्म से थी परेशान, मंत्री ने लिया संज्ञान तो हुआ इलाज

इधर, नारायणपुर के पांचू सबर की बेटी अष्टमी सबर के गर्दन में जख्म हो गया था. धीरे-धीरे जख्म बढ़ गया है. पर पैसों के अभाव से पिता अपनी बेटी का इलाज नहीं करा पा रहे थे. सूचना पर समाजसेवी सांखो मुर्मू व मार्शल मुर्मू ने ट्वीट कर आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को जानकारी दी. मंत्री ने संज्ञान लिया डीसी को इलाज कराने का आदेश दिया. इसके बाद अष्टमी सबर का इलाज एमजीएम अस्पताल हुआ. लेकिन पंचू सबर दवा और फल आदि खरीदने में असमर्थ था. तब समाजसेवियों ने कपड़े, फल, गमछा, साबुन, सूख राशन खरीद कर दिया. कुछ नकद भी दिए गये. मौके पर मार्शल मुर्मू, रामदास मुर्मू, आकाश मुर्मू, ग्रामीण रानी वाला बेसरा, अजीत सोरेन, सुनाराम मुर्मू, पियोन बेसरा, सोनू किस्कू, सीतोल बेसरा, सुनील सबर उपस्थित थे.

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