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Manoj Kumar: हिंदी सिनेमा के ‘भारत कुमार’ आज मना रहे हैं 85वां जन्मदिन, इस एक्टर की वजह से बदल लिया था नाम

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हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में ज्यादातर देशभक्ति फिल्मों में काम किया. भारतीय सिनेमा और कला में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1992 में पद्म श्री और 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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Manoj Kumar Birthday: मनोज कुमार एक महान अभिनेता ही नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा के बेहतरीन निर्देशक, पटकथा लेखक, गीतकार भी हैं. आज दिग्गज अभिनेता अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपनी दमदार एक्टिंग के दम पर एक्टर लाखों दिलों की धड़कन बन गये. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई बेहतरीन फिल्में बनाई हैं, जिसमें ज्यादातर देशभक्ति फिल्में शामिल है. उन्हें भारत कुमार उपनाम दिया गया है. वह विभिन्न श्रेणियों में एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सात फिल्मफेयर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं. यही नहीं भारतीय सिनेमा और कला में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1992 में पद्म श्री और 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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मनोज कुमार ने इस एक्टर से प्रेरणा लेकर बदला अपना नाम

मनोज कुमार का जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है, जब वे महज 10 साल के थे, तब उनका परिवार विभाजन के कारण जंडियाला शेर खान से दिल्ली आ गया. फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने से पहले मनोज कुमार ने हिंदू कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की. उसी दौरान ‘शबनम’ फिल्म में दिलीप कुमार के किरदार के बाद उन्होंने अपना नाम मनोज कुमार रखने का फैसला कर लिया. बहुत कम लोग जानते होंगे कि मनोज कुमार अपनी पहली फिल्म शहीद के बाद वह भगत सिंह की मां से मिले थे. उस वक्त उनकी मां अस्पताल में भर्ती थीं, जिनसे मिलने के बाद मनोज कुमार फूट-फूटकर रोये थे. वहीं देशभक्ति पर बनी ज्यादातर फिल्मों में दिगग्ज अभिनेता के किरदार का नाम ‘भारत’ था. ऐसे में फैंस उनके भारत कुमार बुलाने लगे.

इस फिल्म से मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा में किया डेब्यू

साल 1957 में मनोज कुमार ने एक फैशन शो में भाग लिया था. जिसके बाद उन्हें ‘कांच की गुड़िया’ में सईदा खान के साथ पहली प्रमुख भूमिका मिली. इसके बाद दिग्गज अभिनेता राज खोसला की ‘वो कौन थी’ में साधना के साथ दिखे, और ‘हिमालय की गोद में’ में विजय भट्ट और माला सिन्हा के साथ फिर से दिखे. कुमार और राज खोसला ने फिल्म ‘दो बदन’ के साथ अपनी सफल अभिनेता-निर्देशक साझेदारी को दोहराया. साल 1960 के दशक में उनकी सफल फिल्मों में ‘हनीमून’, ‘अपना बनके देखो’, ‘नकली नवाब’, ‘पत्थर के सनम’, ‘साजन और सावन की घटा’ जैसी रोमांटिक फिल्में और ‘शादी’, ‘गृहस्थी’, ‘अपने हुए पराये’ और ‘आदमी’ जैसी सामाजिक फिल्में और ‘गुमनाम’, अ’नीता’ और ‘वो कौन थी’ जैसी थ्रिलर और ‘पिकनिक’ जैसी कॉमेडी फिल्म शामिल थीं.

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रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति से मनोज कुमार को मिली काफी सुर्खियां

साल 1970 मनोज कुमार ने तीन हिट फिल्मों में काम किया. जिसमें ‘रोटी कपड़ा मकान’, ‘क्रांति’ और ‘संन्यासी’ शामिल है. जहां रोटी कपड़ा मकान एक सामाजिक फिल्म थी, जिसमें ज़ीनत अमान, शशि कपूर और अमिताभ बच्चन सहित सभी कलाकार शामिल थे. इस मूवी के लिए अभिनेता को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अपना दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था. मनोज कुमार और हेमा मालिनी अभिनीत धार्मिक विषय पर आधारित कॉमेडी फिल्म ‘संन्यासी’ भी बेहद सफल रही. वहीं साल 1981 में उनकी फिल्म क्रांति आई, जिसे लगभग सभी ने देखी ही होगी. ये फिल्म आज भी स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर हर चैनल पर प्रसारित की जाती है.

इस फिल्म के बाद मनोज कुमार ने छोड़ दी थी एक्टिंग

हालांकि 1981 मनोज कुमार के करियर में गिरावट आनी शुरू हो गई. ‘कलयुग’, ‘रामायण’ और ‘क्लर्क’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गईं. 1989 में, उन्होंने अपनी फिल्म क्लर्क में पाकिस्तानी अभिनेता मोहम्मद अली और ज़ेबा को कास्ट किया था. 1995 की फिल्म मैदान-ए-जंग में अपनी उपस्थिति के बाद अभिनेता ने अभिनय छोड़ दिया. उन्होंने अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को 1999 की फिल्म ‘जय हिंद’ में निर्देशित किया, जो देशभक्ति विषय पर आधारित थी. यह फिल्म फ्लॉप रही और यह कुमार की आखिरी फिल्म थी. बता दें कि 40 साल से अधिक लंबे करियर के लिए उन्हें 1999 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

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