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Mahashivratri 2022: आज है महाशिवरात्रि, देखें रुद्राभिषेक प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य व उनका फल

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Mahashivratri 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का ये पावन पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 1 मार्च को है. रुद्राभिषेक से भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं कि रुद्राभिषेक क्या होता है और इसके क्या महत्त्व हैं...

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Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि 2021 आज यानी 1 मार्च को मनायी जा रही है. मान्यताओं की मानें तो इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से भोले बाबा भक्तों के सारे कष्ट दूर करते है. आइए जानते हैं शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य व उनका फल

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हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022, मंगलवार को है। इस साल महाशिवरात्रि शिव योग में मनाई जाएगी. रुद्राभिषेक से भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं कि रुद्राभिषेक क्या होता है और इसके क्या महत्त्व हैं…

रुद्राभिषेक प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य व उनका फल

1. जलसे रुद्राभिषेक — वृष्टि होती है

2. कुशोदक जल से — समस्त प्रकार की व्याधि की शांति

3. दही से अभिषेक — पशु प्राप्ति होती है

4. इक्षु रस — लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए

5. मधु (शहद)– धन प्राप्ति के लिए यक्ष्मारोग (तपेदिक)।

6. घृत से अभिषेक व तीर्थ जल से भी — मोक्ष प्राप्ति के लिए।

7. दूध से अभिषेक — प्रमेह रोग के विनाश के लिए -पुत्र प्राप्त होता है ।

8. जल की की धारा भगवान शिव को अति प्रिय है अत: ज्वर के कोपो को शांत करने के लिए जल धरा से अभिषेक करना चाहिए।

9. सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु का विनाश होता है।यह अभिषेक विवाद मकदमे सम्पति विवाद न्यालय में विवाद को दूर करते है।

10.शक्कर मिले जल से पुत्र की प्राप्ति होती है ।

11. इतर मिले जल से अभिषेक करने से शारीर की बीमारी नष्ट होती है ।

12. दूध से मिले काले तिल से अभिषेक करने से भगवन शिव का आधार इष्णन करने से सा रोग व शत्रु पर विजय प्राप्त होती है ।

13.समस्त प्रकार के प्रकृतिक रसो से अभिषेक हो सकता है ।

सार-उप्प्युक्त द्रव्यों से महालिंग का अभिषेक पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तो की तदन्तर कामनाओं का पूर्ति करते है ।

अत: भक्तो को यजुर्वेद विधान से रुद्रो का अभिषेक करना चाहिए ।

विशेष बात :– रुद्राध्याय के केवल पाठ अथवा जप से ही सभी कम्नावो की पूर्ति होती है

रूद्र का पाठ या अभिषेक करने या कराने वाला महापातक रूपी पंजर से मुक्त होकर सम्यक ज्ञान प्राप्त होता है और अंत विशुद्ध ज्ञान प्राप्त करता है.

पूजन करने का विधि-विधान

महाशिवरात्री के दिन शिवभक्त का जमावडा शिव मंदिरों में विशेष रुप से देखने को मिलता है. भगवान भोले नाथ अत्यधिक प्रसन्न होते है, जब उनका पूजन बेल- पत्र आदि चढाते हुए किया जाता है. व्रत करने और पूजन के साथ जब रात्रि जागरण भी किया जाये, तो यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है. इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी, इसलिये रात्रि में शिव की बारात निकाली जाती है. सभी वर्गों के लोग इस व्रत को कर पुन्य प्राप्त कर सकते हैं.

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