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जामताड़ा का ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से होती हैं मनोकामनाएं पूर्ण, जानें मां काली की महिमा

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मान्यता है कि जो भी भक्त यहां मां का दर्शन करने आते हैं वह माता का दिव्य स्वरूप देख पलभर के लिए खो जाते हैं. पालोजोड़ी गांव में एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, उस पर सवार सभी यात्री मां की कृपा से सुरक्षित थे. उसी समय से मंदिर निर्माण के लिए सिक्का दान का प्रचलन शुरु हुआ जो आज भी प्रथा प्रचलित है.

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बिंदापाथर बस्ती पालोजोड़ी की काली मंदिर सैकड़ों वर्ष पुरानी है. गोविंदपुर-साहिबगंज स्टेट हाइवे के किनारे यह भव्य काली मंदिर स्थापित है. जो भक्त सच्चे हृदय और मन से मां के सामने मन्नत मांगते हैं, उनकी कामना पूर्ण होती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना लगभग 201 वर्ष पूर्व हुई थी. मंदिर में माता रानी की दिव्य शीला मूर्ति स्थापित है. दर्शन करने मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है. दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां मां के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के सामने से आवाजाही करने वाले सभी यात्री यहां रूककर माता का आशीर्वाद लेने के उपरांत ही यात्रा करते हैं. श्रद्धालुओं की ओर से पुष्प और नैवेद्य से मां काली की विशेष पूजा की जाती है. साल में दो बार इस मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन होता है.

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क्या है मान्यता

मान्यता है कि जो भी भक्त यहां मां का दर्शन करने आते हैं वह माता का दिव्य स्वरूप देख पलभर के लिए खो जाते हैं. ग्रामीण धनेश्वर सिंह ने बताया कि पालोजोड़ी गांव में एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, उस पर सवार सभी यात्री मां की कृपा से सुरक्षित थे. एक यात्री को खरोंच तक नहीं आयी थी. उसी समय से मंदिर निर्माण के लिए सिक्का दान का प्रचलन शुरु हुआ जो आज भी प्रथा प्रचलित है. मंदिर परिसर में शिव-पार्वती मंदिर का भी निर्माण किया गया है. यहां प्रतिदिन भोलेनाथ एवं मैया पार्वती का भी दर्शन व पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. मां काली मंदिर में दीपावली के पावन अवसर पर एवं दूसरा चैत मास में दो बार विशेष पूजा-अर्चना होती है. मेले का आयोजन किया जाता है. इस स्थल की साफ-सफाई व विकास के लिए स्थानीय नागरिक समर्पित रहते हैं.

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