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देश में दलित, आदिवासी व मुस्लिम बहुल सीटें पर ऐसी रही तस्वीर

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साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी, दलित, मुस्लिम और किसानों के प्रभाव वाली सीटों पर एनडीए को जबरदस्त जीत मिली. आंकड़ों को देखें तो 174 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर थी.

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2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक था. आदिवासी, दलित, मुस्लिम और किसानों के प्रभाव वाली सीटों पर चुनाव का ट्रेड बदल गया. देशभर में मुस्लिम बहुल 103 सीटें हैं. इनमें से 59 पर एनडीए को जीत मिली. दलित बहुल सीटों की संख्या 159 है, जिनमें से 101 सीटों पर एनडीए ने कब्जा जमाया. आदिवासी बहुल 68 सीटों पर भी तस्वीर ऐसी ही रही. 51 सीटें एनडीए के खाते में गयीं. इस चुनाव में विपक्षी दलों ने 139 सीटों पर किसान समस्या को मुद्दा बनाया था. हालांकि चुनाव नतीजे उस हिसाब से उनके खाते में नहीं गये. यूपीए के खाते में 21 सीटें गयीं थी और अन्य के हिस्से में भी 21 सीटें. यहां एनडीए ने बढ़त ली और 97 सीटों पर कब्जा जमाया.

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174 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर थी. इनमें से 159 सीटों पर भाजपा ने बाजी मार ली. वहीं, यूपीए को 13 सीटें मिली. कांग्रेस के गढ़ वाली 15 सीटों में से आठ सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की जीत करार दिया था. उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे की घुर विरोधी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी वोटों के बिखराव को रोकने के लिए तमाम मतभेदों को भुल कर एक साथ आयी थीं. हालांकि उन्हें इस प्रयोग का ज्यादा लाभ नहीं मिला था और दलित-मुस्लिम बहुत सीटें पर भी उन्हें ज्यादा कामयाबी नहीं मिली.

2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर इस सीटों पर तमाम राजनीति पार्टियां मतों के ध्रुवीकरण के लिए राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटी हैं. हालांकि इस बार उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर समाजवादी पार्टी के लिए अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में चुनावी लाभ नहीं देने का पूरा इंतजाम कर लिया है. वहीं कांग्रेस के साथ सीटों का तालमेल कर समाजवादी पार्टी ने दलितों और मुसलमानों के वोटों को एक बार फिर अपने पक्ष में करने की कोशिश शुरू कर दी है. बहरहाल, चुनाव की तारीख नजदीक आने के बाद बहुत कुछ उलटफेर की संभावना बनी रहेगी.

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