17.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 11:23 pm
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Khakee: The Bihar Chapter Review: गैंगस्टर-कॉप ड्रामा की फिर से दोहराती वही पुरानी कहानी, पढ़ें रिव्यू

Advertisement

खाकी : द बिहार चैप्टर, बिहार के दबंग और सिंघम कहे जाने वाले आईपीएस ऑफिसर अमित लोधा की जिंदगी से प्रेरित सच्ची घटनाओं की कहानी है. कहानी अमित द्वारा ही लिखी गई किताब बिहार डायरीज पर आधारित है. कहानी सच्ची हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

वेब सीरीज -खाकी द बिहार चैप्टर (Khakee The Bihar Chapter)

क्रिएटर -नीरज पांडे

निर्देशक – भव धुलिया

कलाकार-करण टिकेर, अविनाश तिवारी, जतिन सरना, रवि किशन, अभिमन्यु सिंह, ऐश्वर्या सुष्मिता

प्लेटफार्म -नेटफ्लिक्स

रेटिंग -ढाई

बिहार राज्य बीते एक दशक से कई काल्पनिक कॉप और गैंगस्टर ड्रामा फिल्मों और वेब सीरीज की पृष्ठभूमि रहा है. इस शुक्रवार नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई खाकी : द बिहार चैप्टर, बिहार के दबंग और सिंघम कहे जाने वाले आईपीएस ऑफिसर अमित लोधा की जिंदगी से प्रेरित सच्ची घटनाओं की कहानी है. कहानी अमित द्वारा ही लिखी गई किताब बिहार डायरीज पर आधारित है. कहानी सच्ची हैं, लेकिन परदे पर इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा है,ऐसा कुछ भी अलहदा नहीं है. जो परदे पर दर्शकों ने पहले नहीं देखा है.वैसे मामला अगर यादगार नहीं बना है, तो बोझिल भी नहीं हुआ है कलाकारों के अभिनय,सीरीज के रियलिस्टिक ट्रीटमेंट की वजह से यह सीरीज एक बार देखी जा सकती है.

बहुत परिचित सी है यह गैंगस्टर और कॉप वाली कहानी

इस सीरीज की कहानी उस दौर के बिहार की है, जब बिहार को क्रिमिनल और गैंगस्टर्स का अड्डा माना जाता था. कहानी चोर पुलिस वाली ही है, जिसमें आपको कई जगहों पर गैंग्स ऑफ वासेपुर,भौकाल,मिर्जापुर के साथ -साथ प्रकाश झा की फिल्मों का भी टच देखने को मिलेगा. सात एपिसोड वाले इस सीरीज में चंदन महतो (अविनाश तिवारी ) एक ऐसा क्रिमिनल या गैंगस्टर जो सबकी पहुंच से बाहर था, कैसे राजस्थान से आया एक युवा आईपीएस (करण टिकेर )उसको पकड़ लेता है. इसकी पूरी जर्नी है. कहानी सात एपिसोड की है,लेकिन असली खेल शुरू होता है पांचवें एपिसोड से. तब तक क्रिमिनल और पुलिस दोनों के ही किरदारों को दर्शाने और उनके नोबड़ी से सम बडी और फिर स्पेशल वन बन जाना स्क्रीन पर चलता रहता है, जो इस कहानी को एंगेजिंग बनाए रखता है, लेकिन कहानी और उसके ट्रीटमेंट में ऐसा कुछ नहीं है,जो सीरीज को खास बना दे. बिहार की कहानी है, तो राजनेताओं की क्रिमिनल और पुलिस दोनों से सांठ गांठ और जातिगत की फांस को भी कहानी और किरदारों से बखूबी जोड़ा गया है, लेकिन यह नया नहीं है.

चोर पुलिस का खेल

चोर पुलिस की इस खेल में मोबाइल टावर का जिस तरह से इस्तेमाल दिखाया गया है. वैसा फ़िल्म सहर में भी था. चोर पुलिस के इस खेल में परिचित फॉर्मूलों को ही अपनाया गया है जिससे कहानी में जो थ्रिल आना चाहिए था, वह इस वजह से ढीला पड़ता हुआ नज़र आता है. सीरीज में जरूरत से ज्यादा इतने किरदार जुड़ते जाते हैं और जबरन बिहार बिहार करते हैं कि वह दूसरे किरदार को उभरने भी नहीं देते हैं. किरदारों पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी ख़ासकर चंदन महतो के किरदार पर शुरुआत से आखिरी एपिसोड से पहले तक, उसकी इमेज एक खूंखार अपराधी की तौर पर विकसित करने की कोशिश की गयी थी फिर अचानक से आखिरी एपिसोड के कुछ समय पहले उसे एक बेहद समर्पित पिता बना दिया जाता है. यह भी सीरीज स्थापित करने की कोशिश करती है कि उसके पास बड़ी जातियों के लोगों ने अपराध को अपनाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा था. उसके इस पहलू को किरदार में शुरुआत से ही जोड़ा जाना था. आखिऱ में वह थोपा सा लगता है. उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गयी थी, उस घटना ने उसे किस तरह से बदला था. उसकी भी बैक स्टोरी दिखायी जा सकती थी.सीरीज की कहानी सात एपिसोड की है, लेकिन हर एपिसोड लगभग एक घंटे का है, एडिटिंग के ज़रिए थोड़ा इसे कम करने की ज़रूरत थी. इस कहानी को महारानी के लेखक उमा शंकर सिंह ने लिखा है, जिन्होंने महारानी में एक से बढ़ कर एक संवाद दिए हैं.

संवाद है अच्छे

इस बार भी संवाद अच्छे बने हैं, जो बिहार के समाज को बखूबी सामने ले आते हैं, लेकिन महारानी की तरह संवाद याद नहीं रह जाते हैं. कॉप और गैंगस्टर की इस ड्रामे में भारी भरकम डायलॉगबाजी की उम्मीद थी कुल मिला कर, इस कहानी में नीरज पांडे ने मेकर्स के रूप में बिहार के बारे में जो जो प्रचलित या कहें मनोहर कहानियां रही हैं. उन सबका कॉकटेल प्रस्तुत किया है. यह किसी अन्य गैंगस्टर ड्रामा सीरीज की तरह ही बन कर ही रह जाती है. लंबे अरसे तक याद नहीं रहती है.

बढ़िया कलाकारों का है जमावड़ा

इस सीरीज में अभिनय के लोकप्रिय नाम ना सही लेकिन अभिनय का भरोसेमंद नाम ज़रूर जुड़े हैं, जिसने इस सीरीज की औसत स्क्रीनप्ले को संभाला है.अविनाश तिवारी अपने हर किरदार के साथ कुछ नया करने की कोशिश करते हैं और इस बार भी चंदन महतो के किरदार में उन्होने एक अलग छाप छोड़ने की कोशिश की है. अपने लुक से लेकर बॉडी लैंग्वेवेज सभी में उन्होंने अपने किरदार को जिया है.करण टेकर के लिए यह एक जबरदस्त मौका साबित हुआ है, जिसे उन्होने बखूबी निभाया है.जतिन सरना और अभिमन्यु सिंह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. ऐश्वर्या सुष्मिता सीमित भूमिका में भी याद रह जाती है.रवि किशन, आशुतोष राणा सहित बाकी के कलाकारों ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें