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केशव मौर्य बदायूं लोकसभा सीट से लड़ेंगे चुनाव! स्वामी प्रसाद की बयानबाजी बनेगी संघमित्रा के टिकट कटने की वजह

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बदायूं लोकसभा सीट से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य सांसद हैं. मगर, उनके टिकट काटने की चर्चा काफी समय से चल रही है. उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं.

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Bareilly: लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) में छह महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में हर सीट पर टिकट के दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं. भाजपा भी केंद्र में हैट्रिक लगाने की कोशिश में प्रमुख नेताओं को अलग-अलग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाकर मतदाताओं को साधने की रणनीति बना रही है.

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केशव प्रसाद मौर्य कई बार आ चुके हैं बदायूं

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भाजपा (BJP) की मुख्य नजर ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) मतदाताओं पर है. इसी कड़ी में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के बदायूं लोकसभा क्षेत्र (Budaun Loksabha) से चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई है. पिछले कुछ समय से डिप्टी सीएम का बदायूं कई बार आना भी हुआ है. पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बदायूं से चुनाव लड़ा कर लखनऊ से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया जाएगा.

स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार बने हुए हैं हमलावर

वहीं मौर्य समाज के पक्ष में भी माहौल बनाया जाएगा. दरअसल मौर्य मतदाताओं हर विधानसभा में 15 से 20 हजार तक हैं. सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के हमलावर तेवर के बीच पार्टी केशव प्रसाद मौर्य के जरिए इस वर्ग में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है. दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के साथ ही हिंदुत्व के विरोध में बयान दे रहे हैं.उनके लखनऊ में आयोजित सम्मेलन में भी पिछड़ा वर्ग समाज के लोगों की भीड़ थी. मौर्य समाज के मतदाता बड़ी संख्या में भाजपा के साथ में हैं. यह मतदाता भाजपा से छिटक न जाए. इसलिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बदायूं लोकसभा से चुनाव लड़ाने की तैयारी है.

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स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा हैं सांसद

इसके लिए सर्वे कराने की भी बात सामने आ रही है. हालांकि, बदायूं लोकसभा सीट से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य सांसद हैं. मगर, उनके टिकट काटने की चर्चा काफी समय से चल रही है. क्योंकि, उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं. इसके बाद से वह भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदुत्व को लेकर निशाना साध रहे हैं.

सांसद संघमित्रा मौर्य हालांकि, पिछले कुछ समय से पार्टी में काफी सक्रिय हैं और पार्टी कार्यक्रमों में भी मुख्य भूमिका निभा रही हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में सपा सांसद धर्मेंद्र यादव को चुनाव हराया था. सांसद संघमित्रा मौर्य के सपा के टिकट पर आंवला और एटा लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा काफी समय से है. मगर, सांसद की तरफ से कोई पुष्टि नहीं की गई है. उन्होंने पिछले दिनों भाजपा के टिकट पर बदायूं से ही चुनाव लड़ने की बात कही थी.

सिराथू विधानसभा से चुनाव हार गए थे केशव मौर्य

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव 2022 सिराथू विधानसभा से लड़ा था. मगर, वह अपना दल के संस्थापक सोने लाल पटेल की बेटी पल्लवी पटेल से चुनाव हार गए थे. इसके बावजूद सियासी समीकरण साधते हुए उनको सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी डिप्टी सीएम के रूम में जिम्मेदारी दी गई. वह पिछली सरकार में भी डिप्टी सीएम रहे थे. वह 2012 में विधायक बने थे. इसके बाद वर्ष 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. मगर, योगी सरकार के पहले कार्यकाल में डिप्टी सीएम बनाये जाने पर उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया.

संघ पृष्ठभूमि से आते हैं केशव प्रसाद मौर्य

7 मई, 1969 को जन्म लेने वाले केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं. वह गो संरक्षण कार्यों में भी शामिल रहे हैं. उनको विधानसभा चुनाव 2017 से पहले यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उनको डिप्टी सीएम बनाया गया. वह वर्तमान में एमएलसी हैं. वह मूल रूप से इलाहाबाद की सिराथू विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं.

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में तीन विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा

यूपी की बदायूं लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिल्सी और बदायूं सदर है. बिसौली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां की शेखू और सहसवान विधानसभा में सपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. अन्य विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी.

बदन सिंह बदायूं के पहले सांसद

बदायूं लोकसभा सीट से पहले सांसद कांग्रेस के बदन सिंह थे. 1962 और 1967 के चुनावों में यहां भारतीय जन संघ का बोलबाला रहा. 1971 में हार के बाद 1977 में फिर से जनसंघ को यहां से जीत नसीब हुई. इसके साथ ही 1980 और 1984 दोनों ही चुनावों में यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1989 में जनता दल के शरद यादव ने बाजी मारी.

1991 में यहां भाजपा का खाता खुला और स्वामी चिन्मयानंद सांसद चुने गए. वर्ष 1996 से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है. सलीम इकबाल शेरवानी ने 1996 से लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल की. उनके बाद मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां के सांसद बने. हालांकि वर्ष 2019 का चुनाव वह भाजपा उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य से हार गए.

जानें बदायूं के सियासी समीकरण

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बदायूं एक मशहूर ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है. यहां की जनसंख्या करीब 38 लाख है. इसमें करीब 20 लाख पुरुष और 18 लाख महिलाएं हैं. इस क्षेत्र को पिछड़ा माना जाता है. यहां की साक्षरता दर 51.29 प्रतिशत है. यहां यादव, मौर्य, मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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