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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के लिए तैयार है काशी, जानें शास्त्रानुसार वस्त्र धारण करने का तरीका

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13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण होने जा रहा है. इस मौके पर जानें हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार पूजन करते वक्त क्या है सनातनी वस्त्र धारण करने की परंपरा

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kashi vishwanath corridor inauguration: पीएम नरेंद्र मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का लोकार्पण करने 13 दिसंबर को वाराणसी आ रहे हैं. काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण के पावन अवसर पर पूरी काशी उपस्थित रहेगी. इस अवसर पर मंदिर धाम में अर्चकों और भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी. हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार पूजन करते वक्त स्त्री व पुरूष के लिए सनातनी वस्त्र धारण करने की परंपरा है.

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हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार वस्त्रों का महत्व

हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार, स्त्री और पुरुषों द्वारा धारण किए जाने वाले वस्त्रों की रचना देवताओं ने की है. इसीलिए ये वस्त्र शिव और शक्तितत्त्व प्रकट करते हैं. स्त्रियों के वस्त्रों से अर्थात साडी से शक्तितत्त्व जागृत होता है और पुुरुषों के वस्त्रों से शिवतत्त्व जागृत होता है.

शास्त्रानुसार वस्त्र धारण करने का तरीका

शास्त्रानुसार वस्त्र धारण करने से हमें अपने वास्तविक स्वरूप का परिचय और अनुभव होता है. साथ ही हमारी आध्यात्मिक शक्ति का व्यय नहीं होता, बल्कि उसकी बचत होती है. देवताओं द्वारा निर्मित वस्त्र पहनने से स्थूलदेह और मनोदेह के लिए आवश्यक शक्ति अपने आप मिलती है.’ इसलिए काशी विश्वनाथ धाम उद्घाटन के अवसर पर सभी भक्तों को पूजन वस्त्र के रूप में सनातनी वस्त्र धोती, कुर्ता, गमछा, अंगवस्त्र धारण करना चाहिए.

पूजा के समय इन वस्त्र के पहनने की मनाही

आज कल लोग पूजन-पाठ, मन्दिर में अपनी सुविधानुसार कोई भी वस्त्र धारण कर लेते हैं, जबकि शास्त्रों में सिले हुए वस्त्र पहनने की मनाही है. पुरुषों को धोती पहनना चाहिए और ऊपर अंगवस्त्र या गमछा से शरीर को ढक लेना चाहिए. आम जनता को काशी विश्वनाथ मंदिर में आते वक्त यही वस्त्र धारण करना चाहिए. हमारे धर्म शास्त्रों में इन सारी बातों का उलेख किया गया है. यही वस्त्र शुद्ध सनातनी परम्परा के प्रतीक हैं.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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