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देव दीपावली पर आज क्रूज से 70 देशों के राजदूत देखेंगे काशी का अद्भुत नजारा, 60 घाटों पर एक साथ होगी गंगा आरती

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देव दीपावली पर गंगा और गोमती के कुल 108 घाटों और 75 कुंडों पर दीपदान होगा. इस दौरान 60 घाटों पर गंगा की विशेष आरती होगी. इस मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर को 11 टन फूलों से सजाया गया है. मंदिर को बेहद आकर्षक मनाने के लिए कोलकाता और बेंगलुरु से फूल मंगाए गए हैं.

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Dev Deepawali 2023 Varanasi: वाराणसी में सोमवार को देव दीपावली कई मायनों में बेहद खास होगी. इस दौरान काशी की एक अद्भुत छवि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को देखने को मिलेगी. काशी आए लोगों को राम भक्ति का भी नजारा दिखेगा. शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीये जलाकर दीपावली मनाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था. इसलिए काशी में इसे महाउत्सव की तरह मनाते हैं. इस दिन पर काशी में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी सहित कई विशेष अतिथि इस दौरान शहर में मौजूद रहेंगे. खास बात है की पहली बार 70 देशों के राजदूत, प्रतिनिधियों की मौजूदगी काशी में देव दीपावली को बेहद खास बनाएगी. देव दीपावली पर काशी के उल्लास में शामिल होने के लिए ये मेहमान खासतौर पर यहां पहुंच रहे हैं. इस दौरान शहर में कुल 21 लाख दीपक जलाने की तैयारी है. इनमें से 12 लाख दीपों से गंगा के सभी घाट जगमग होंगे. खास बात है कि एक लाख दीपक गाय के गोबर के भी जलेंगे. देव दीपावली पर गंगा और गोमती के कुल 108 घाटों और 75 कुंडों पर दीपदान होगा. इस दौरान 60 घाटों पर गंगा की विशेष आरती होगी. अधिकारियों के मुताबिक देव दीपावली के मौके पर करीब 9 लाख पर्यटक काशी में मौजूद होंगे. विभिन्न देशों के राजदूत, प्रतिनिधि सोमवार दोपहर बाद एयरपोर्ट आएंगे. वहां से नमो घाट आएंगे. फिर क्रूज पर सवार होकर अस्सी घाट तक देव दीपावली के अद्भुत नजारे को देखेंगे.

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प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगा का किया जाएगा दुग्धाभिषेक

वाराणसी में गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ने बताया कि प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर 21 वैदिक ब्राह्मण व 42 रिद्धि सिद्धि स्वरूप कुमारी कन्याएं चंवर डोलाते हुए मां गंगा की आरती करेंगी. 108 लीटर दूध से गंगा का दुग्धाभिषेक, 108 किलो की अष्टधातु प्रतिमा का विशेष फूल द्वारा शृंगार किया जाएगा.

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काशी में नजर आएगा रामलला का मंदिर

देव दीपावली पर इस बार काशी में गुरु नानक देव, भगवान बुद्ध, संत रविदास और अयोध्या में राम मंदिर की थीम पर रंगोली और सवाजट की गई है. श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि गंगा द्वार पर लेजर शो की अवधि पांच मिनट की होगी, जो कई बार प्रसारित होगा. प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर लाइट शो नौकायन करते हुए और घाट पर खड़े सैलानी इसे आसानी से देख सकेंगे. गंगा के दूसरी ओर पर्यटक ग्रीन आतिशबाजी का लुत्फ उठाएंगे. गंगा द्वार के दूसरी ओर रेत पर शिव के भजनों और धुनों पर आतिशबाजी का इंतजाम किया गया है. रेत पर लगभग एक किलोमीटर के स्ट्रेच पर ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स शो का आयोजन किया जाएगा. भगवान शिव के ऊपर बने हर-हर शंभू, शिव तांडव स्त्रोत आदि भजनों के 9 से 10 ट्रैक पर आतिशबाजी होती। शो में पटाखे लगभग 60 से 70 मीटर ऊंचाई तक जाते हैं, जो काफी दूर से दिखाई देते हैं.

11 टन फूलों से सजाया गया काशी विश्वनाथ धाम

इस मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर को 11 टन फूलों से सजाया गया है. मंदिर को बेहद आकर्षक मनाने के लिए कोलकाता और बेंगलुरु से फूल मंगाए गए हैं. देव दीपावली के दिन प्रदोष काल सोमवार शाम 5:09 बजे से 7:49 बजे तक रहेगा. इस अवधि में दीपदान करना शुभ होता है. बताया जा रहा है कि कार्तिक पूर्णिमा पर शिवयोग और कृतिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है जो भक्तों पर सुख और सौभाग्य बरसाएगा. इसके साथ ही कार्तिक मास के धार्मिक नियम-संयम का समापन हो जाएगा.

देव दीपावली से जुड़ी मान्यता

शास्त्रों के मुताबिक एक बार त्रिपुरासुर राक्षस के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. त्रिपुरासुर, असुर तारकासुर के बेटे थे. ये एक नहीं, बल्कि तीन थे. तीनों ने देवताओं को परास्त करने का प्रण लिया था. लंबे समय तक तीनों ने ब्रह्मा जी की तपस्या की. त्रिपुरासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने तीनों को देवताओं से परास्त नहीं होने का वरदान दिया. ब्रह्मा जी से वरदान पाकर तीनों शक्तिशाली हो गए. उस समय त्रिपुरासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. यह देख स्वर्ग के देवता ब्रह्मा जी के पास गए। उन्हें स्थिति से अवगत कराया. तब ब्रह्मा जी बोले ​कि त्रिपुरासुर को रोकने के लिए सभी को भगवान शिव से सहायता लेनी होगी. यह सुनने के बाद सभी देवता कैलाश पहुंचे और महादेव से रक्षा की कामना की. कालांतर में भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया. इस उपलक्ष्य पर देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दीपावली मनाई. इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव के आशीर्वाद से मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति अर्जित की थी. इसी दिन सायंकाल में भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था.

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