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Kallu ऐसे ही नहीं बने सुपरस्टार, घर की गरीबी जान निकल आएंगे आंसू

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'हूक राजाजी' से मशहूर हुए भोजपुरी गायक अरविंद अकेला कल्लू को आज कोई विशेष पहचान की जरूरत नहीं है.

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भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार अरविंद अकेला कल्लू (Arvind Akela Kallu) आज एक सुपरस्टार के रूप में जाने जाते हैं. उनकी गायिकी और एक्टिंग को लोग बेहद पसंद करते हैं, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. उनके पास इंडस्ट्री में कोई गॉडफादर नहीं था. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपना रास्ता खुद बनाया है. 9 साल की उम्र में ही वह रातों-रात मशहूर हो गए थे, केवल एक एलबम गाकर, जिसे उनके पिता ने किसी तरह तैयार करवाया था. आइए जानते हैं उनकी संघर्षमय जीवन की कहानी…

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पवन सिंह को मानते हैं गुरु

अरविंद अकेला कल्लू (Arvind Akela Kallu) की भोजपुरिया दर्शकों के बीच अच्छी खासी पहचान है. वहीं, वे खुद पवन सिंह के बहुत बड़े फैन हैं और उन्हें अपना गुरु मानते हैं. पवन सिंह के गानों को सुन-सुनकर ही वे बड़े हुए और रियाज करते रहे. कल्लू की कामयाबी के पीछे उनकी कड़ी मेहनत का हाथ है, लेकिन इसका पूरा श्रेय उनके पिता चुनमुन चौबे को जाता है. एक्टर ने बताया था कि उनके पिता राइटर और डायरेक्टर दोनों थे, मगर वे स्टेज शोज ही लिखा करते थे और गाना भी गाया करते थे. अरविंद को बचपन से ही गाना गाने का शौक था और वे स्कूल के दिनों से ही गाते थे. पहली बार मंच पर गाने का मौका उन्हें 2006 में मिला, जब वे 8 साल के थे. उन्होंने सरस्वती पूजा में गांव वालों के सामने पहली बार गाया था और तभी से गांव भर में पॉपुलर हो गए थे.

बचपन गरीबी में बीता

अरविंद अकेला कल्लू ने अपने बचपन में गरीबी का सामना किया. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी और उन्हें पैसों की कमी भी बहुत बार अनुभव करनी पड़ी. उनके पिता की रिक्शा बनाने की छोटी सी दुकान थी, जो कि बक्सर के छोटे से गांव अहिरौली में स्थित थी. अपने सपनों को पूरा करने के लिए अरविंद ने मेहनत की और अपना पहला एल्बम शूट करवाया, जिसका नाम ‘गवना कहिया ले जइबा’ था. उनकी उम्र उस समय में सिर्फ 9 साल थी, लेकिन इस एल्बम के बाद उनका नाम छोटे से कल्लू के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गया. धीरे-धीरे उन्होंने सफलता प्राप्त की ओर अग्रसर होते हुए नए-नए प्रोजेक्ट्स को अपनाया.

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