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बिरसा के वंशजों ने राष्ट्रपति से की ये मांग, जनजातीय राष्ट्रीय गौरव दिवस का नाम दिये जाने पर जतायी आपत्ति

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जनजातीय गौरव दिवस के दिन 15 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली बिरसा ओड़ा पहुंची. भगवान बिरसा मुंडा के वंशजों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से पैर धोकर राष्ट्रपति का स्वागत किया.

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रांची: जनजातीय गौरव दिवस के दिन 15 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली बिरसा ओड़ा: पहुंची. भगवान बिरसा मुंडा के वंशजों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से पैर धोकर राष्ट्रपति का स्वागत किया. बिरसा ओड़ा: में राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा की पूजा-अर्चना की. बिरसा मुंडा के वशंज सुखराम मुंडा, जंगल सिंह मुंडा और गांव के मुंडा जेटा मुंडा ने राष्ट्रपति को पूजा करायी.

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राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा व अन्नपूर्णा देवी और राष्ट्रपति की बेटी इतिश्री मुर्मू ने भी भगवान बिरसा पूजा-अर्चना की. राष्ट्रपति लगभग आधे घंटे तक बिरसा ओड़ा: में रूकी. भगवान बिरसा के परिजनों से मुलाकात की उनकी मांगें सुनी. भगवान बिरसा के पौत्र सुखराम मुंडा ने राष्ट्रपति को तीन मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा. उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय राष्ट्रीय गौरव दिवस का नाम दिये जाने पर आपत्ति जतायी.

कहा कि जनजातीय राष्ट्रीय गौरव दिवस में न तो बिरसा शब्द है और न ही मुंडा या आदिवासी इससे जुडा है. ऐसे में मुंडाओं की स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास व धरती आबा भगवान वीर बिरसा मुंडा की वीरगाथा के दफन होने का खतरा है. इसलिए 15 नवंबर को केवल बिरसा जयंती या भगवान बिरसा मुंडा राष्ट्रीय गौरव दिवस की संज्ञा दी जानी चाहिए.

उन्होंने धरती आबा के वंशजों को उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा दिलाने में भी सहयोग का आग्रह किया. कहा कि मैं अपने पोता-पोतियों को उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए भेजना चाहता हूं. लेकिन ऐसा करने में मैं और मेरा परिवार असमर्थ है. उन्होंने राष्ट्रपति से भगवान बिरसा के वंशजों को उच्च शिक्षा दिलाने में आवश्यक सहयोग का आग्रह किया. साथ ही घर बनाने में मदद की अपील की. सुखराम मुंडा ने राष्ट्रपति से सरना कोड लागू करने का भी आग्रह किया. उलिहातू में बिरसा ओड़ा: से निकल कर राष्ट्रपति बिरसा कॉम्प्लेक्स पहुंची. वहां भगवान बिरसा की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.

उलिहातू में थी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था :

राष्ट्रपति का काफिला तीन हेलीकॉप्टर पर सवार होकर उलिहातू पहुंचा था. एक हेलीकॉप्टर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू, उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू, राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे. दूसरे हेलीकॉप्टर में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी और तीसरे में राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे अधिकारी सवार थे. मीडिया को राष्ट्रपति के दौरे से अलग रखा गया. कार्यक्रम स्थल से 12 किमी दूर मीडिया को रोक कर उलिहातू में नो इंट्री कर दी गयी.

अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों व आमंत्रित अतिथियों के अलावा केवल स्थानीय लोगों को ही गांव जाने दिया गया. राष्ट्रपति के जाने के बाद नो इंट्री हटायी गयी. उसके बाद खूंटी और आस-पास के लोग बड़ी संख्या में बिरसा ओड़ा: पहुंचे. पूरे दिन वहां मेला जैसा नजारा बना रहा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के अंदर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वहीं एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का स्वागत राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मेयर आशा लकड़ा व अन्य अधिकारियों ने किया.

बिरसा के वंशजों ने घर के लिए लगायी गुहार

रांची. भगवान बिरसा मुंडा के वंशजों ने राज्य सरकार पर घर बनाने में सहयोग नहीं करने की शिकायत की है. भगवान बिरसा के प्रपौत्र कानू मुंडा ने कहा : हमें उलिहातू में घर बनाने के लिए मदद नहीं मिल रही है. हमारी जमीन पर बिरसा ओड़ा: है. उसी परिसर में परिवार को घर बनाना है. लेकिन, सरकार से कई बार आग्रह के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. राज्य सरकार बिरसा ओड़ा: को सरकारी संपत्ति की तरह इस्तेमाल कर रही है.

वहां कार्यक्रम आयोजित करने के लिए परिवार से पूछने तक की जरूरत नहीं समझी जाती है. यही हाल रहा, तो बिरसा ओड़ा: में किये जाने वाले कार्यक्रम के लिए सरकार से किराया लेंगे. धरती आबा के पौत्र सुखराम मुंडा के पुत्र कानू मुंडा ने कहा : उपायुक्त हमें खूंटी में घर बनाने को बोलते हैं. जबकि, हमारा परिवार अपना गांव उलिहातू छोड़ने की सोच भी नहीं सकता है.

लुगनी के पुत्र से मिलीं राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर गुड़ाबांधा पूर्वी सिंहभूम की लुगनी के पुत्र से मिली. राष्ट्रपति के विशेष आग्रह पर लुगनी अपने पुत्र के साथ एयरपोर्ट आयी थी. झारखंड में राज्यपाल रहते श्रीमति मुर्मू ने लुगनी के पुत्र की मदद की थी. राज्यपाल रहते हर पर्व-त्योहार में लुगनी के पुत्र को कपड़ा व मिठाई भेजती थी. लुगनी के पुत्र का उन्होंने स्कूल में नामांकन भी कराया था. गुड़ाबांधा में एक घटना के बाद राज्यपाल रहते श्रीमति मुर्मू ने लुगनी के पुत्र की देखभाल के लिए विशेष पहल की थी.

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