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Jharkhand News : 13 साल पुराने खूंटी जिले की कितनी बदली तस्वीर ? स्थापना दिवस पर पढ़िए ये रिपोर्ट

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Jharkhand News : खूंटी (चंदन कुमार) : रांची जिले से अलग होकर 12 सितंबर 2007 को खूंटी अलग जिला बना था. भगवान बिरसा मुंडा की धरती का सर्वांगीण विकास की उम्मीद लेकर अलग जिले का गठन किया गया था. वक्त के साथ तस्वीर बदली है, लेकिन अभी भी कई सपने साकार होने बाकी हैं.

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Jharkhand News : खूंटी (चंदन कुमार) : रांची जिले से अलग होकर 12 सितंबर 2007 को खूंटी अलग जिला बना था. भगवान बिरसा मुंडा की धरती का सर्वांगीण विकास की उम्मीद लेकर अलग जिले का गठन किया गया था. वक्त के साथ तस्वीर बदली है, लेकिन अभी भी कई सपने साकार होने बाकी हैं.

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जिला बनने से पूर्व खूंटी अनुमंडल के रूप में कार्यरत था, जिसमें खूंटी, मुरहू, तोरपा, रनिया, अड़की, कर्रा, बुंडू, सोनाहातू और तमाड़ प्रखंड शामिल थे. अंग्रेजों ने आदिवासी आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से खूंटी को 1905 में अनुमंडल बनाया था. तब पहले एसडीओ आर्थर लवडे बने थे. बुंडू, सोनाहातू और तमाड़ को अलग कर तथा अन्य छह प्रखंडों को मिलाकर खूंटी जिला बनाया गया था. खूंटी जिला अक्सर चर्चा में रहा है. अलग जिला बनने के बाद से ही खूंटी उग्रवाद, डायन कुप्रथा, अफीम की खेती, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, हत्या, एवं पत्थलगड़ी को लेकर काफी चर्चित रहा. आज के दौर में नक्सली घटनाओं में भी कमी आयी है.

खूंटी जिले को खिलाड़ियों की खान कहा जाता है. मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से लेकर कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी इस जिले से निकले हैं. झारखंड के कई हिस्सों में तेल सप्लाई करने वाली इंडियन आयल टर्मिनल खूंटी में ही है. खूंटी को जलपप्रात और पर्यटनस्थल के लिये भी जाना जाता है. रानी फॉल, पंचघाघ, पेरवाघाघ, आम्रेश्वर धाम, मृग विहार, उलीहातू, डोंबारी बुरू आदि लोगों को खूब आकर्षित करता है.

गठन होने के बाद जिले में तेजी से विकास हुआ है. ग्रामीण क्षेत्र में सड़क, पानी और बिजली को लेकर काफी कार्य हुये हैं. इसके बाद भी अभी और अधिक उम्मीदें बाकी हैं. कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आय बढ़ाने को लेकर अधिक प्रयास करने की जरूरत है. शहरी क्षेत्र का भी विकास होना बाकी है. नगर पंचायत द्वारा पेयजलापूर्ति योजना शुरू की गयी है, लेकिन काम धीमी गति हो रहा है. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का सपना लंबे समय से पूरा नहीं हो सका है.

नॉलेज सिटी का सपना धरातल पर नहीं उतर सका है. खेल को बढ़ावा देने के लिये हॉकी और फुटबॉल स्टेडियम तो बनाये गये, पर खेल का कोई खास विकास नहीं किया जा सका है. लंबे समय से खूंटी शहरी क्षेत्र में बाईपास की मांग अब भी जस की तस है. जिले में मनोरंजन का कोई साधन नहीं है. सिनेमा हॉल एवं पार्क का अभाव है.

खूंटी जिले का क्षेत्रफल 2611 वर्ग किलोमीटर है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 531885 है. जिसमें 267525 पुरूष और 264360 महिलायें हैं. जनसंख्या घनत्व 215 प्रति वर्ग किमी है. साक्षरता दर 64.51 प्रतिशत है. जिले में मुख्यतः नागपुरी, मुंडारी और हिंदी बोली जाती है. जिले में कुल 756 गांव और एक नगर पंचायत क्षेत्र है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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