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1991 में बिहार के मुमताज को कोडरमा का सांसद बनाया था लालू ने, जानें झारखंड गठन के बाद यहां किसका रहा है कब्जा

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1998 में लालू प्रसाद यादव ने राजद से आबिद हुसैन को उतारा़ वह भी दूसरे नंबर पर रहे. 1999 में जैसे ही तिलकधारी प्रसाद सिंह को लालू प्रसाद यादव का साथ मिला और वह दूसरी बार लोकसभा पहुंच गये.

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विकास, कोडरमा : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक समय बिहार की राजनीति के धुरी थे. उनके इर्द-गिर्द ही राजनीति की धूरी घुमती थी. यहीं कारण है कि लालू प्रसाद यादव ने राजनीति में कई नये प्रयोग किये. संयुक्त बिहार के समय झारखंड वाले हिस्से में भी कई प्रयोग किये. जो जमीनी नेता नहीं थे, उनको भी शिखर तक पहुंचा दिया. यही कारण है कि दक्षिण बिहार की कोडरमा सीट पर लालू प्रसाद यादव ने मुमताज अंसारी को सांसद बना दिया था़ मुमताज अंसारी कोडरमा में राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं थे. वह मूल रूप से दाऊदनगर (औरंगाबाद) के रहने वाले थे.
1991 में लालू ने जनता दल से मुमताज अंसारी को कोडरमा से उतारा. उस समय कोडरमा के लिए बिल्कुल नये मुमताज भाजपा के दिग्गज रीतलाल प्रसाद वर्मा और कांग्रेस के दिग्गज तिलकधारी प्रसाद सिंह को हरा दिया था. 1996 में लालू प्रसाद यादव ने कोडरमा के विधायक रमेश प्रसाद यादव (अब स्वर्गीय) को जनता दल से उतारा़ रमेश प्रसाद यादव को करीब 32 फीसदी वोट मिले थे, इसके बावजूद वह चुनाव हार गये उस समय कांग्रेस प्रत्याशी उमेशचंद्र अग्रवाल को मात्र 11 फीसद वोट मिले थे.

1998 में लालू प्रसाद यादव ने राजद से आबिद हुसैन को उतारा़ वह भी दूसरे नंबर पर रहे. 1999 में जैसे ही तिलकधारी प्रसाद सिंह को लालू प्रसाद यादव का साथ मिला और वह दूसरी बार लोकसभा पहुंच गये. 2004 में जैसे ही लालू प्रसाद का साथ छूटा तिलकधारी प्रसाद सिंह फिर हार गये.

राज्य गठन के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भाकपा माले ने जेल में बंद युवा नेता राजकुमार यादव को मैदान में उतारा. अपने पहले चुनाव में ही राजकुमार यादव तीसरे नंबर रहे. निवर्तमान सांसद तिलकधारी प्रसाद सिंह चौथे नंबर पर चले गये उस समय भाजपा से बाबूलाल मरांडी जीते थे. 2009 में भी बाबूलाल मरांडी झाविमो से जीते, जबकि दूसरे नंबर पर राजकुमार यादव रहे़ 2014 के मोदी लहर में भाजपा के प्रो रवींद्र कुमार राय जीते और माले के राजकुमार यादव दूसरे नंबर पर रहे.

2019 में अन्नपूर्णा ने चौंकाया था, पलट गयी थी पूरी बाजी

2019 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सबको चौंकाया था. राजनीतिक दावं-पेंच में कोडरमा का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल गया. लंबे समय तक राजद में रहीं अन्नपूर्णा देवी ने ऐन चुनाव से पहले भाजपा में जाना तय कर लिया. राजनीतिक गलियारे में अटकलें चल रहीं थीं. लेकिन भाजपा ने ऐसा पासा चला कि विरोधियों के खेल बिगड़ गये.

अन्नपूर्णा देवी के सामने तब झाविमो से बाबूलाल मरांडी प्रत्याशी थे. अन्नपूर्णा देवी मोदी लहर में भारी मतों से चुनाव जीतीं. राजनीति का संयोग आज बदल गया. बाबूलाल मरांडी भी आज भाजपा में हैं. प्रदेश भाजपा की कमान बाबूलाल मरांडी के पास है. कोडरमा में राजनीति का चक्का तेजी से घुमा है. कोडरमा से आने वाले संसदीय चुनाव में एनडीए की तस्वीर साफ है. कांग्रेस और झामुमो के बीच दावेदारी चल रही है. यहां इंडिया गठबंधन को मजबूत दावेदार की तलाश है.

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