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रांची और उसके आस पास के क्षेत्रों में देखा गया अनोखा सूरज, सूर्य के चारों तरफ बनी लाल और ब्लू रंग की रिंग, जानिए क्या है ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’

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22-degree halo: झारखंड की राजधानी रांची और उसके आस पास के क्षेत्रों में सोमवार की सुबह से सूर्य कुछ अलग ही नजर आया. सूरज के चारों ओर सतरंगी वलय देखा गया. खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहते हैं. ये सूर्य रांची के अलावा हजारीबाग, लातेहार, गुमला जैसे इलाकों में दिखा.

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झारखंड की राजधानी रांची और उसके आस पास के क्षेत्रों में सोमवार की सुबह से सूर्य कुछ अलग ही नजर आया. सूरज के चारों ओर सतरंगी वलय देखा गया. खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहते हैं. ये सूर्य रांची के अलावा हजारीबाग, लातेहार, गुमला जैसे इलाकों में दिखा. असल में यह एक खगोलीय घटना है, इसे सूर्य या कुछ मौकों पर चंद्रमा का ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहा जाता है.

कैमरे में कैद किया अद्भुत नजारा

इसको देखने के लिए क्षेत्र के लोग आकाश की ओर टकटकी लगाए रहे. कई लोगों ने इस पल को अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया. लोग अपने घरों के छत सहित से इसे देखते नजर आए.

क्या है 22 डिग्री सर्कुलर हलो

सूर्य और कभी-कभार चंद्रमा के ’22 डिग्री सर्कुलर हेलो’ को मून रिंग या विंटर हेलो के नाम से जाना जाता है. एमपी बिरला प्‍लैनेटेरियम के एक सीनियर शोधकर्ता ने बताया कि ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें सिरस क्‍लाउड (वैसे बादल जिनकी परत काफी पतली और महीन होती है और जिनका निर्माण प्राय: 18 हजार फीट ऊपर होता है) में मौजूद हेक्‍सागोनल आइस क्रिस्‍टल्‍स से विक्षेपित हो जाती हैं.

नहीं लगाया जा सकता इस खगोलिय घटना का पूर्वानुमान

इस तरह के बादल सामान्य तौर पर तब बनते हैं, जब पृथ्वी की सतह से पांच से दस किलोमीटर ऊंचाई पर जल-वाष्प बर्फ के क्रिस्टलों में जम जाती है. उनके मुताबिक ठंडे देशों में यह आम घटना क्रम है. हालांकि, भारत जैसे देशों में यह दुर्लभ है. ये घटना कब होगी, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। इससे पहले भी इस तरह की घटना दिखाई दी है.

लोगों को होने लगी अनहोनी की आशंका

लोगों को इस दृश्य को देखकर अनहोने होने की आशंका की, पर आपको बता दें यह कोई कुदरती प्रकोप नहीं है. कोरोना वायरस के इस दौर में लोगों को मन से नकारात्मकता निकाल देनी चाहिए.

Posted By: Shaurya Punj

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