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जयेशभाई जोरदार रिव्यू: कमजोर है रणवीर सिंह की यह फिल्म, निराश हुए फैंस, यहां पढ़ें रिव्यू

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जयेशभाई जोरदार रिव्यू: कॉमेडी की चाशनी में किसी संवेदनशील मुद्दे को कहना बीते एक दशक में यह हिट फार्मूला बन चुका है. जिसमें एंटरटेनमेंट फुल डोज हो और कोई संदेश भी हो जाए.

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जयेशभाई जोरदार रिव्यू :

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  • फ़िल्म-जयेशभाई जोरदार

  • निर्माता-यशराज फिल्म्स

  • निर्देशक- दिव्यांग ठक्कर

  • कलाकार- रणवीर सिंह,शालिनी पांडे,बोमन ईरानी,जिया वैद्य, रत्ना पाठक शाह और अन्य

  • रेटिंग- दो

कॉमेडी की चाशनी में किसी संवेदनशील मुद्दे को कहना बीते एक दशक में यह हिट फार्मूला बन चुका है. जिसमें एंटरटेनमेंट फुल डोज हो और कोई संदेश भी हो जाए. जयेशभाई जोरदार इसी फॉर्मूले पर बनी है लेकिन कमज़ोर कहानी और स्क्रीनप्ले ने फॉर्मूले को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. जिससे जयेशभाई जोरदार नहीं बल्कि कमज़ोर रह गयी है. रही सही कसर फिल्म का फिल्म का नरेटिव कर गया है. जो बहुत लाऊड है.

फ़िल्म की कहानी गुजरात के एक काल्पनिक गांव की है. जहां पूरे गांव की सोच पुरूष प्रधान है. किसी लड़के ने किसी लड़की के साथ झेड़खानी की तो लड़की की गलती है.सजा भी उसे ही मिलेगी.उसका साबुन से नहाना बंद तो ऐसे समाज में बेटियों को पूरी तरह से बोझ ही माना जाएगा. बेटी से वंश नहीं बढ़ता तो उसकी घर और समाज को ज़रूरत नहीं है. उनकी कोख में ही ह्त्या की जा रही है. उसी गांव के सरपंच ( बोमन ईरानी) के बेटे जयेशभाई (रणवीर सिंह) की सोच अलग है.

एक बेटी का पिता बनने के बाद दूसरी भी बच्ची ना हो इसलिए पांच बच्चियों को उसकी पत्नी(शालिनी ) कोख में ही उसके पिता ने मरवा दिया है लेकिन अब वह अपनी अजन्मी बच्ची को बचाना चाहता है. अपने गांव और वहां के समाज से किस तरह से वह भिड़ता है. यही आगे की कहानी है. गुजरात के इस गांव के अलावा हरियाणा के भी एक गांव को दिखाया गया है.

जहाँ कन्या भ्रूण ह्त्या की वजह से गांव में एक लड़की नहीं बची है जिससे पूरे गांव में किसी मर्द की शादी नहीं हुई है. फिल्म का विषय बहुत सशक्त है. कन्या भ्रूण हत्या, औरतों के सामान अधिकार, रूढ़िवादी सोच , प्रदा प्रथा जैसे मुद्दे को फिल्म दिखाती है लेकिन जिस तरह से फिल्म में इसको दिखाया गया वह बेहद कमज़ोर है. फिल्म का फर्स्ट हाफ ठीक ठाक है. सेकेंड हाफ में कहानी पूरी तरह से बिखर गयी है. फिल्म जितने सशक्त विषय पर है. फिल्म का एक दृश्य भी उसके साथ बखूबी न्याय नहीं कर पाया है

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अभिनय की बात करें तो रणवीर सिंह जोरदार रहे हैं.उन्होंने जयेशभाई के किरदार को अपनी आवाज़,बॉडी लैंग्वेज से लेकर डांस तक में आत्मसात किया है. बाल कलाकार जिया वैद्य ने पूरे आत्मविश्वास के साथ पर्दे पर नज़र आयी है.जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है.शालिनी पांडे ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है.रत्ना पाठक शाह की भूमिका औसत रह गयी है.जिस तरह की उम्दा कलाकार हैं किरदार उनके साथ उस तरह से न्याय नहीं कर पाया है. बोमन ईरानी सहित बाकी के कलाकारों का काम ठीक ठाक है. फिल्म का म्यूजिक और दूसरे पक्ष औसत है. कुलमिलाकर अगर आप रणवीर के फैन हैं तो ही यह फिल्म आपका मनोरंजन करेगी.

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