23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

भारत की बढ़ती धमक

Advertisement

भारत और अमेरिका को निकट लाने में चीन एक बड़ा कारण रहा है. दोनों ही देश चीन को चुनौती समझते हैं और उस पर लगाम लगाना दोनों के साझा हित में है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता आधुनिक विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र की यात्रा पर हैं. प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका का यह छठा दौरा है. मगर यह पहली बार है जब अमेरिका ने उन्हें स्टेट विजिट यानी राजकीय दौरे पर बुलाया है. इससे पहले वर्ष 2009 में अमेरिका ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राजकीय दौरे पर बुलाया था. उस वक्त राष्ट्रपति बनने के बाद बराक ओबामा ने पहली बार राजकीय दौरे पर बुलाने के लिये भारत को चुना था. यानी बीते दो दशकों में दुनिया के दो बड़े लोकतंत्रों ने एक-दूसरे के महत्व को समझा है और उस रिश्ते को लगातार मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. इस सदी की शुरुआत में अमेरिका के लिए भारत से ज्यादा अहम चीन और पाकिस्तान जैसे भारत के प्रतिद्वंद्वी देश थे.

- Advertisement -

दरअसल शीतयुद्ध के दौर में भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनायी थी. मगर अमेरिका समझता था कि भारत का झुकाव तत्कालीन सोवियत संघ और उसके विघटन के बाद रूस की तरफ है. इसमें कुछ वास्तविकता भी थी क्योंकि चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद भारत अपनी सैन्य जरूरतों के लिए सोवियत संघ पर निर्भर था. भारत अभी भी अपने सबसे ज्यादा सैन्य साजो-सामान रूस से ही खरीदता है. उधर, अमेरिका ने पहले रणनीतिक कारणों से पाकिस्तान को शह दी. साथ ही, चीन को एक आर्थिक शक्ति बनता देख अवसरों की तलाश में वह चीन के भी करीब हो गया. लेकिन, 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत को लेकर अमेरिका का नजरिया बदलने लगा.

वहीं कम्युनिस्ट चीन के आक्रामक होते जा रहे राजनीतिक और आर्थिक तेवर को देख इसकी काट के लिए अमेरिका ने भारत को अपना दोस्त बनाने की कोशिश की. वर्ष 2008 में दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच अहम असैन्य परमाणु संधि भी हुई जिसका तब भारत में काफी राजनीतिक विरोध भी हुआ था. भारत और अमेरिका को निकट लाने में चीन एक बड़ा कारण रहा है. दोनों ही देश चीन को चुनौती समझते हैं और उस पर लगाम लगाना दोनों के साझा हित में है. पीएम मोदी के दौरे को लेकर काफी तैयारियां चल रही थीं और बताया जा रहा है कि इस दौरे में खास तौर पर रक्षा से जुड़े अहम समझौतों पर मुहर लगेगी. वर्ष 2016 में पीएम मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा था कि अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर भारत का ‘ऐतिहासिक संकोच’ खत्म हो गया है. पीएम मोदी का मौजूदा दौरा दोनों देशों के रिश्तों में मील का एक नया पत्थर साबित हो सकता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें