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Indian Police Force Review: इंडियन पुलिस फोर्स से भी मनोरंजन का निशाना लगाने में चूके रोहित शेट्टी

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सिद्धार्थ मल्होत्रा और शिल्पा शेट्टी स्टारर सीरीज इंडियन पुलिस फोर्स अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर रही है. यह सीरीज रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स की चमक को धुंधला कर गयी है. कहानी से किरदार तक सबकुछ बहुत सतही रह गया है. कुल मिलाकर सर्कस के बाद इस बार भी रोहित शेट्टी चूक गये हैं.

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वेब सीरीज- इंडियन पुलिस फोर्स

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निर्देशक- रोहित शेट्टी और सुशवंत प्रकाश

कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, विवेक ओबेरॉय, शिल्पा शेट्टी, मयंक टंडन, विभूति ठाकुर, निकितिन धीर, ईशा तलवार, शरद केलकर, श्वेता तिवारी, वैदेही और अन्य

प्लेटफार्म- अमेजॉन प्राइम वीडियो

रेटिंग- दो

हिन्दी सिनेमा को कई यादगार कॉप ड्रामा फिल्में देने वाले रोहित शेट्टी ने इस जॉनर के साथ जब अपनी पहली वेब सीरीज इंडियन पुलिस फोर्स की घोषणा की तो उम्मीदें थी कॉप यूनिवर्स को यह सीरीज एक नये मुकाम पर तीसरे पर्दे पर ले जाएगी, लेकिन यह सीरीज रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स की चमक को धुंधला कर गयी है. कहानी से किरदार तक सबकुछ बहुत सतही रह गया है. कुल मिलाकर सर्कस के बाद इस बार भी रोहित शेट्टी चूक गये हैं.

घिसी पिटी है कहानी

राजधानी दिल्ली में में सिलसिलेवार बम विस्फोट हो रहें हैं और इससे दिल्ली पुलिस सदमे में आ जाती है. कबीर मलिक (सिद्धार्थ मल्होत्रा) और विक्रम बख्शी (विवेक ओबेरॉय), जो दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल यूनिट का हिस्सा हैं. उन्हें इन सबके पीछे के मास्टर माइंड आतंकवादियों को पकड़ने जिम्मेदारी दी जाती है. गुजरात एटीएस प्रमुख तारा शेट्टी (शिल्पा शेट्टी) मामले को सुलझाने में कबीर और विक्रम बख्शी की मदद करती हैं. तारा की मदद से, कबीर और विक्रम हैदर उर्फ ​जरार (मय्यंक टंडन) के करीब पहुंचते हैं, जो सीरियल धमाकों का मास्टरमाइंड है. क्या वह दोषी को पकड़ पायेंगे. सात एपिसोड की इस सीरीज में इसी पुलिस और आतंकी की इस चेसिंग को टॉम एंड जैरी के अंदाज में दिखाया गया है.

वेब सीरीज की खूबियां और खामियां

वेब सीरीज का मतलब कहानी को गहन कथा शैली साथ कहना. कहते हैं कि फिल्म मेकर्स जो ढाई घंटे की फिल्म में डिटेलिंग से बयां नहीं कर पाते हैं. वह वेब सीरीज के जरिये कहते हैं लेकिन रोहित शेट्टी की इस वेब सीरीज में सबकुछ सतही ही रह गया है. रोहित शेट्टी की इस सीरीज की कहानी एकदम सीधी है, इसमें कुछ भी ट्विस्ट एंड टर्न और नयापन नहीं है. रोहित शेट्टी ने यह सीरीज सोच-समझ के साथ नहीं बल्कि कमर्शियल मसालों के साथ बनायी है. अगर आप किरदारों के ठोस चरित्र-चित्रण और अच्छी तरह से रिसर्च की गई कहानी की उम्मीद कर रहे हैं, तो आप निराश होंगे क्योंकि यहां कुछ भी नया नहीं दिखाया गया है. वही रटा रटाया सा है, जिससे यह मसाला सीरीज एंटरटेन तो दूर की बात है, एंगेज भी नहीं कर पाती है. पूरा दिल्ली शहर बॉम्ब पर बैठा है लेकिन सब प्लॉट्स से दहशत नदारद है. टॉम एंड जैरी के अन्दाज में चेसिंग कई बार आपका सिर पीटने तक को मजबूर कर देती है. सीरीज में जरुरत से ज्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है. फिल्म की कहानी और किरदारों को और कमजोर संवाद बना गये हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी रही सही कसर को पूरा करती है. मुंबई के स्टूडियो में दिल्ली को दिखाने वाला सेट बनाया गया है. सीरीज के कई फ्रेम में इसकी पोल खुलती है. सीरीज का एक्शन जरूर अच्छा हैखासकर हैंड टू हैंड एक्शन. बड़े एक्शन सीन कमज़ोर सिनेमेटोग्राफी की वजह से प्रभावी नहीं बन पाये हैं. म्यूजिक औसत है.

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सितारों के बीच मयंक और वैदेही याद रह जाते हैं

अभिनय की बात करें तो अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा इस सीरीज का चेहरा है. उनकी कोशिश अच्छी है, लेकिन अजय देवगन, अक्षय कुमार से तुलना होने पर वह कहीं पीछे नजर आते हैं. गुजरात एटीएस प्रमुख तारा शेट्टी के किरदार में शिल्पा शेट्टी कुंद्रा को कहानी में स्पेस नहीं मिल पाया है. वह कुछ एक्शन दृश्यों में नजर आयी हैं, लेकिन वह रोहित शेट्टी की पहली महिला पुलिस ऑफिसर के टैग के साथ न्याय नहीं कर पाया है. विवेक ओबरॉय, शरद केलकर, निकितिन धीर और मुकेश ऋषि अपने किरदारों के साथ न्याय करते हैं. हालांकि ये किरदार लेखन के स्तर पर कमजोर रह गये हैं. ईशा तलवार को कैमियो में वेस्ट किया गया है. श्वेता तिवारी के लिए भी करने को सीरीज में कुछ नहीं था. मयंक टंडन और वैदेही परशुरामी ज़रूर नोटिस होने में कामयाब रहे हैं. इतने सितारों के बावजूद इस सीरीज में वह याद रह जाते हैं.

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