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Indian Navy Day 2023: नौसेना के बहादुर नायक कौन थे? जानिए उनसे जुड़ी रोचक बातें

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हमारी नौसेना दुनिया की सबसे मजबूत नौसेनाओं में से एक है. वर्ष 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना के कई नौसैनिकों ने अपनी वीरता, त्याग व सूझबूझ से दुश्मनों के हौसले को पस्त कर दिया था. क्या आपको पता है ऐसे बहादुर नायकों के बारे में.

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Indian Navy Day 2023: हर साल 4 दिसंबर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में इसी दिन भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट की शुरुआत की थी. हमारी नौसेना देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभाती है. आज हमारी नौसेना दुनिया की सबसे मजबूत नौसेनाओं में से एक है. वर्ष 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना के कई नौसैनिकों ने अपनी वीरता, त्याग व सूझबूझ से दुश्मनों के हौसले को पस्त कर दिया था. क्या आपको पता है ऐसे बहादुर नायकों के बारे में.

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वाइस एडमिरल एन कृष्णन अपने सूझबूझ से पाक को दी थी मात

वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय वाइस एडमिरल नीलकंठ कृष्णन नौसेना की पूर्वी कमान के प्रमुख थे. युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा अमेरिका से ली गयी पनडुब्बी पीएनएस गाजी के डूबने से पाकिस्तानी नेवी की कमर टूट गयी. इस काम को अंजाम देने में वाइस एडमिरल कृष्णन के सूझबूझ की अहम भूमिका रही. उस समय भारतीय नौसेना के लिए आइएनएस विक्रांत रीढ़ की हड्डी की तरह था. पाकिस्तान ने आइएनएस विक्रांत को डुबोने के लिए पनडुब्बी पीएनएस गाजी को विशाखापत्तनम भेजा था. इस मौके पर कृष्णन ने बड़ा दांव खेला. उन्होंने पनडुब्बी रोधी क्षमता से लैस आइएनएस राजपूत के कप्तान इंदर सिंह से कहा कि वह विक्रांत के कॉल साइन का इस्तेमाल करें. साथ ही उसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर खूब सारी रसद की मांग करें. इसके बाद विशाखापत्तनम बाजार से बड़ी मात्रा में राशन और सब्जियां खरीदी गयीं, ताकि वहां मौजूद पाकिस्तानी जासूस यह खबर दे सकें कि विक्रांत इस समय विशाखापत्तनम में खड़ा है, लेकिन उसे अंडमान निकोबार द्वीप की ओर भेज दिया गया था. यहां कृष्णन का दांव काम कर गया और पीएनएस गाजी भारतीय नौसेना की ट्रैप में फंस गया.

कमोडोर बबरू भान यादव ऑपरेशन ट्राइडेंट के योद्धा

कमोडोर बाबरू भान यादव भारतीय नौसेना के पहले अधिकारी थे, जिन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें यह सम्मान मिला. युद्ध के दौरान उन्होंने तीन मिसाइल बोट टास्क फोर्स आइएनएस निपट, आइएनएस निर्घाट और आइएनएस वीर की कमान संभाली. युद्ध की शुरुआत के साथ कमांडर बबरू भान यादव के नेतृत्व में ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत 4 दिसंबर, 1971 को कराची पर हमला किया. इस मिशन के दौरान कोमोडर बबरू भान यादव निडर होकर हर तरह के हमले के खतरे का सामना करते हुए आगे बढ़े. उनके नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को नष्ट कर युद्ध का रुख भारत की ओर मोड़ दिया.

कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला खुकरी के साथ ली जल समाधि

वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की पनडुब्बी रोधी फ्रिगेट में शामिल आइएनएस खुकरी 9 दिसंबर को दुश्मन की पनडुब्बी पीएनएस हंगूर के हमले का शिकार हो गयी थी. कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला इस जहाज के कप्तान थे. वे चाहते तो अपनी जान बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने कप्तान की भूमिका निभाते हुए अपनी लाइफ जैकेट अपने एक साथी को दी और जहाज के साथ जल समाधि ले ली. कैप्टन मुल्ला के एक साथी के अनुसार, आइएनएस खुखरी में तेजी से पानी भर रहा था, लेकिन कैप्टेन मुल्ला अपनी सीट पर बैठे हुए थे. उनके साथ 174 नाविक और 18 अधिकारी इस ऑपरेशन में शहीद हो गये. कैप्टन मुल्ला की इस त्याग के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

क्या था ऑपरेशन ट्राइडेंट

वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना के प्रमुख रहे एडमिरल एसएम नंदा के नेतृत्व में ऑपरेशन ट्राइडेंट का प्लान बनाया गया था. इस मिशन की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वॉर्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गयी थी. 4 दिसंबर, 1971 को नौसेना ने कराची स्थित पाकिस्तान नौसेना हेडक्वार्टर पर पहला हमला किया था. इस हमले में पाकिस्तान के एम्युनेशन सप्लाइ शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूद कर दिये गये. इस दौरान पाकिस्तान के ऑयल टैंकर भी तबाह हो गये. कराची तेल डिपो में लगी आग की लपटें कई किमी की दूरी से भी देखी जा सकती थी और आग को सात दिनों तक नहीं बुझाया जा सका.

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रोचक बातें

  • नौसेना का नीति वाक्यशं नो वरुणः है, जिसका मतलब है कि जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें.

  • भारतीय नौसेना वर्ष 1830 में अस्तित्व में आयी. उस समय ब्रिटिश शासन था और इसे रॉयल इंडियन नेवी कहा जाता था.

  • हालांकि, भारत का नौसैनिक इतिहास हजारों सालों पुराना है. छत्रपति शिवाजी को भारतीय नौसेना के जनक के रूप में जाना जाता है

  • उन्होंने समुद्र व्यापार करने और उसकी सुरक्षा के लिए कोंकण और गोवा के तट पर एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया था.

  • 26 जनवरी, 1950 को भारतीय नौसेना का पुनर्गठन किया गया.

  • 22 अप्रैल, 1958 को वॉइस एडमिरल राम दास कटारी को इंडियन नेवी का पहला भारतीय चीफ बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उनसे पहले रहे सभी अधिकारी ब्रिटिश थे.

  • वर्ष 1961 में इंडियन नेवी ने पहला एक्शन गोवा से पुर्तगाल नेवी को हटाने के लिए लिया. इसे ऑपरेशन विजय नाम दिया गया.

  • केरल स्थित एझिमाला नेवल एकेडमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना एकेडमी है.

  • इंडियन नेवी के मरीन कमांडो फोर्स (मार्कोस) को कठोर प्रशिक्षण देकर स्पेशल ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाता है.

  • इंडियन नेवी का अपना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत था. इस पोत को वर्ष 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था.

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