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एशियाई खेल में भारत का लक्ष्य है 100 पदक

हम पिछले खेलों में पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहे थे. भारत यदि इस बार अपने स्वर्ण पदकों की संख्या को 24-25 तक पहुंचा दे तो वह चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया के बाद पांचवें स्थान पर आ सकता है. यह सुधार करना बहुत मुश्किल नहीं है.

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चीन के हांगझोऊ में एशियाई खेलों की शुरुआत हो चुकी है और भारत ने इसमें अब तक का सबसे बड़ा 921 सदस्यीय दल भेजा है. जिसमें 655 खिलाड़ी और 260 कोच और सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं. भारत ने खेलों की थीम रखी है, ‘इस बार सौ पार.’ पर जकार्ता में जीते 16 स्वर्ण सहित 70 पदकों को इस बार 100 के पार पहुंचाना आसान नहीं है. भारत के अधिकांश पदक सात-आठ खेलों में आते हैं और इनमें पिछले खेलों की अपेक्षा पदकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने की गुंजाइश कम है. पर इतना जरूर है कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ देने में सफल हो जाएं, तो लक्ष्य के आसपास तो पहुंच ही सकते हैं.

हम पिछले खेलों में पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहे थे. भारत यदि इस बार अपने स्वर्ण पदकों की संख्या को 24-25 तक पहुंचा दे तो वह चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया के बाद पांचवें स्थान पर आ सकता है. यह सुधार करना बहुत मुश्किल नहीं है. पिछले खेलों में हमारी कबड्डी और हॉकी टीमों ने निराश किया था. इन दोनों खेलों के पुरुष और महिला वर्ग में स्वर्णिम प्रदर्शन किया जा सकता है. इस बार पुरुष और महिला क्रिकेट शामिल किये जाने से दो और स्वर्ण पदकों पर कब्जा किया जा सकता है. इसके अलावा बॉक्सिंग, तीरंदाजी और बैडमिंटन के साथ कुश्ती में भी बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है. जहां तक कुश्ती की बात है, तो इसमें जकार्ता में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने स्वर्ण जीते थे, जिसमें से पूनिया इन खेलों में भी भाग ले रहे हैं. वह लगातार दूसरा स्वर्ण जीतने का माद्दा रखते हैं. पर विनेश की अनुपस्थिति में अंतिम पंघाल स्वर्ण की मजबूत दावेदार के तौर पर उभर कर सामने आयी हैं. अमन सहरावत भी स्वर्ण पदक के दावेदार हैं. अंतिम पंघाल ने तो अभी हाल ही में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भारतीय उम्मीदों को बढ़ाया है. इस तरह, भारत पिछले खेलों में जीते दो स्वर्ण वाले प्रदर्शन को सुधार सकता है.

तीरंदाजी में इस बार कंपाउंड वर्ग के तीरंदाज भारतीय किस्मत को बदल सकते हैं. इसके पुरुष, महिला और मिक्सड टीम वर्ग में भारतीय टीमें एशिया में पहले नंबर पर हैं. बैडमिंटन की बात करें, तो भारतीय कोच पुलेला गोपीचंद का कहना है कि एशियाई खेलों का स्तर ओलिंपिक खेलों से भी अधिक है. वे मानते हैं कि ओलिंपिक खेलों में सीमित खिलाड़ी होते हैं और यहां हर देश को दो खिलाड़ी भेजने की छूट होती है. इस कारण यहां पदक तक पहुंचना आसान नहीं है. पीवी सिंधु के इस वर्ष लगातार खराब प्रदर्शन करने पर भी वह उनको ही पदक का सबसे मजबूत दावेदार मानते हैं. भारत आजकल थॉमस कप चैंपियन है, इस कारण टीम स्पर्धा का स्वर्ण जीत सकता है. वहीं पुरुष सिंगल्स में किदांबी श्रीकांत और एचएस प्रणय भारतीय चुनौती को पेश करने वाले हैं. पर सही मायनों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के सबसे मजबूत दावेदार सात्विक साईराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी है. इस जोड़ी ने पिछले दो सीजनों में अपने झंडे गाड़ कर अपने को स्वर्ण का मजबूत दावेदार बना दिया है.

एथलेटिक्स और निशानेबाजी ऐसे खेल हैं जिनसे भारतीय प्रदर्शन की तकदीर तय होनी है. पिछली बार भी भारत के पदकों के करीब 40 प्रतिशत से अधिक इन दो खेलों से ही आये थे. इन दोनों खेलों में भारत को इस बार भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा, तजिंदरपाल सिंह तूर, पुरुष और महिलाओं की चार गुणा चार सौ मीटर की रिले टीमों के अलावा मुरली श्रीशंकर, चित्रावेल ऐसे एथलीट हैं, जिन्हें बहुत चुनौती मिली भी नहीं. इसके अतिरिक्त भी पदक जीतने के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. भारत पिछली बार 21 खेलों में खाली हाथ लौटा था, यदि इनमें कुछ पदक मिले तो लक्ष्य तक पहुंचने की राह बन सकती है. भारत के प्रदर्शन में चार चांद हॉकी में स्वर्ण आने से ही लगता है. पिछली बार भारतीय पुरुष हॉकी टीम उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी थी और उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था. पर इसके बाद भारतीय टीम का कायाकल्प हो चुका है. वह टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने के साथ एफआइएच प्रो लीग में शानदार प्रदर्शन कर चुकी है. भारत के लिए इन खेलों में स्वर्ण जीतने के इसलिए भी मायने हैं, क्योंकि ऐसा करने वाली टीम को अगले वर्ष पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों का टिकट मिलना पक्का है. पुरुष टीम की तरह महिला हॉकी टीम की राह आसान नहीं है. पर भारतीय टीम ने टोक्यो ओलंपिक में चौथा स्थान पाने के दौरान जिस तरह का प्रदर्शन किया था और फिर एफआइएच प्रो लीग के लिए क्वालीफाइ किया था, उस तरह का प्रदर्शन दोहराने पर स्वर्ण आना पक्का है और ऐसा करने पर पेरिस ओलंपिक का टिकट भी मिल जायेगा.

हांगझोऊ खेलों में क्रिकेट को शामिल किया गया है, पर यहां खास तौर से पुरुष क्रिकेट में दूसरे दर्जे की टीमें ही संघर्ष करती नजर आयेंगी. इसकी वजह अगले माह भारत में आइसीसी विश्व कप का होना है. इसमें उन देशों को लाभ मिलेगा, जिनकी दूसरी पंक्ति मजबूत है. यहां भारतीय टीम पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है. महिला क्रिकेट में स्वर्ण जीतकर भारतीय टीम नेे इतिहास रच दिया है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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