16 फरवरी की सुबह खलारी के करकट्टा इलाके में लोगों को धुएं की तेज गंध महसूस हुई, जब धुएं का गुबार बढ़ने लगा तो लोगों को शक हुआ और उन्होंने पता लगाने की कोशिश की कि आखिर माजरा क्या है. तब पता चला कि करकट्टा के बंद पड़े खदान में आग लग गयी है और खदान के मुहाने से आग की तेज लपटें और धुएं का गुबार तेजी से निकल रहा है. आग की लपटों को देख लोग डर गये और सीसीएल प्रबंधन को सूचित किया.
खलारी का करकट्टा खदान नाॅर्थ कर्णपुरा क्षेत्र में आता है. यह झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 65 किलोमीटर दूर है. करकट्टा का खदान काफी समय से बंद पड़ा है और सीसीएल ने काफी समय पहले ही यहां खुदाई का काम बंद कर दिया था. लेकिन अवैध खनन का काम यहां बदस्तूर जारी था. अवैध खनन को ही खदान में आग लगने की वजह बताया जा रहा है क्योंकि जानकारों का कहना है कि इस इलाके के भूमिगत खदान में वर्षों से आग लगी हुई है और अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई किये जाने की वजह से आग ऊपर की तरफ आ गयी है.
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करकट्टा के बंद पड़े खदान में आग लगने से आसपास रहने वाले सैकड़ों लोगों की जान खतरे में है. तीन दिन से यहां लगातार आज जल रही जो कम होने की बजाय भयावह होती जा रही है. अभी तक सीसीएल ने आग पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. वहीं स्थानीय निवासी दिनेश पांडेय ने बताया कि करकट्टा में जो आग लगी है उसके लिए पूरी तरह से सीसीएल प्रबंधन जिम्मेदार है. इस इलाके में यह खदान वर्षों से बंद पड़ा है. लेकिन प्रबंधन ने कभी भी खदान को सही तरीके से ना तो बंद कराया और ना ही यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम किये. चूंकि खदान में कोयला मौजूद है, इसलिए गरीब लोग यहां से कोयला निकालते हैं और उससे अपनी रोजी-रोटी जलाते हैं. अवैध खनन की वजह से कई बार यहां जमीन धंसने की घटना भी हो चुकी है. अब जबकि यहां भयंकर आग लगी हुई है तो आसपास की कई बस्तियों पर खतरा है, जहां की आबादी 2000 हजार से अधिक है. सीसीएल के कर्मियों का दूसरी जगह पर विस्थापन तो सहज है, लेकिन जो लोग सीसीएल के कर्मी नहीं हैं, उनका विस्थापन कैसे होगा और अगर दुर्घटना हुई तो उसके लिए क्या और कितना मुआवजा दिया जायेगा यह बड़ा सवाल है.
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वहीं रतिया गंझू का कहना है कि आग लगातार बढ़ रही है. इसकी वजह से प्रशासनिक अधिकारी आकर निरीक्षण कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह सीसीएल की खदान है इसलिए जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसपर है. लेकिन अबतक ना तो सीसीएल प्रबंधन और ना ही प्रशासन की ओर से कुछ किया गया है. आग बढ़ती जा रही है, जहरीली हवा के बढ़ने से स्थानीय लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है, आंखों में जलन हो रही है. इसके साथ ही लोगों में आग के बढ़ने की वजह से बड़ी दुर्घटना की आशंका भी घर कर गयी है.
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आग को बुझाने के लिए अबतक क्या कार्रवाई हुई इस सवाल के जवाब में सीसीएल के जनसंपर्क अधिकारी अनुपम ने बताया कि आग बुझाने के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं. यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि आग कहां तक पहुंची है, उसकी भयावहता कितनी ज्यादा है उसके बाद आग पर काबू पाया जा सकता है. पीआरओ अनुपम ने कहा कि यह आरोप सही नहीं है कि सीसीएल की लापरवाही से आग लगी है. सीसीएल ने उस खदान में खुदाई का काम बहुत पहले छोड़ दिया था. आउट सोर्सिंग से खुदाई हो रही थी लेकिन वह भी काफी समय से बंद थी. हम बंद पड़ी खदानों पर पूरा काम करते हैं. कई खदान को इतनी खूबी से इको पार्क में बदला गया है कि यह बताना मुश्किल हो जायेगा कि कभी वहां खदान था. कुछ खास इलाके की बात अगर की जा रही है तो उसे चिह्नित करके बतायें हम उसपर काम करेंगे.
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नाॅर्थ कर्णपुरा के जीएम संजय कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अवैध खनन की वजह से खदान के मुहाने को बार-बार खोला जाता है और यही आग लगने की वजह है. आग पर काबू पाने का प्रयास हो रहा है और जल्दी ही खदान के मुहाने को बंद किया जायेगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पूरे कोयलांचल में बंद पड़े खदानों में दुर्घटनाएं होती हैं और इसकी जिम्मेदारी कोल कंपनियां लेने से बचती हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वे बंद पड़े खदानों में सुरक्षा मापदंड़ों का सही से पालन नहीं करती हैं.
उत्तर कर्णपुरा क्षेत्र में कई सालों तक रिसर्च करने वाले पर्यावरणविद् नितीश प्रियदर्शी का कहना है कि इस इलाके में काफी समय से आग लगी हुई है और अब यह ऊपर तक आ पहुंची है. कोयला खदान में आग लगने से यहां से बड़ी मात्रा में जहरीली गैस निकलती है, जिसमें कार्बन मोनोआॅक्साइड और कार्बन डाइआॅक्साइड की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है. इसके साथ ही यहां के कोयले में कई हैवी मेटल लीड (शीशा)और क्रोमियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो डस्ट के साथ पूरे इलाके में फैलेंगे और फेफड़े की बीमारियों को बढ़ायेंगे. आग लगने से राख भी उड़ेगा जो फेफड़े में पहुंचकर जम जायेगा, जो बड़ी परेशानी की वजह बनेगा. इसके साथ ही इनसे नदी, तालाब और मिट्टी भी प्रदूषित होंगे.