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Hindi Literature 2020 : साहित्य जगत के लिए भारी रहा साल 2020 मंगलेश डबराल, राहत इंदौरी सहित इन दिग्गजों को खोया

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Hindi Literature 2020 : समकालीन हिंदी साहित्य को विगत वर्षों से लगातार क्षति हो रही है पिछले वर्ष हमने नामवर सिंह जैसे दिग्गज को खोया था उससे पहले केदारनाथ सिंह और उससे पहले वीरेन डंगवाल भी आंख मूंद चुके हैं. वर्ष 2020 भी साहित्य जगत ने कई दिग्गजों को खोया. समकालीन हिंदी साहित्य के सबसे बड़े कवि मंगलेश डबराल इसी वर्ष हम अलविदा कह गये. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ साहित्यकारों को जो साल 2020 में हमारा साथ छोड़ गये.

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समकालीन हिंदी साहित्य को विगत वर्षों से लगातार क्षति हो रही है पिछले वर्ष हमने नामवर सिंह जैसे दिग्गज को खोया था उससे पहले केदारनाथ सिंह और उससे पहले वीरेन डंगवाल भी आंख मूंद चुके हैं. वर्ष 2020 भी साहित्य जगत ने कई दिग्गजों को खोया. समकालीन हिंदी साहित्य के सबसे बड़े कवि मंगलेश डबराल इसी वर्ष हम अलविदा कह गये. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ साहित्यकारों को जो साल 2020 में हमारा साथ छोड़ गये.

मंगलेश डबराल : समकालीन हिंदी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित कवियों में शुमार मंगलेश डबराल का निधन नौ दिसंबर को हुआ. वे कोरोनावायरस से संक्रमित थे. मंगलेश डबराल उत्तराखंड के रहने वाले थे उनका निधन 72 साल की आयु में हुआ. समकालीन हिंदी कवियों में उन्होंने सबसे ज्यादा ख्याति पायी थी. उनके बारे में यह कहा जाता है कि वे जितने बड़े कवि थे उतने ही वे सहज सरल थे. मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए. पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु. वर्ष 2000 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इनकी कविताओं का अंग्रेजी, रुसी, जर्मन सहित विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ था.

राहत इंदौरी : मशहूर शायर राहत इंदौरी 11 अगस्त को इस दुनिया से अलविदा कह गये. राहत इंदौरी को कोरोना संक्रमित होने के बाद 70 साल की उम्र में अस्पताल में निधन हो गया. राहत इंदौरी का असली नाम राहत कुरैशी था. राहत साहब को मुशायरों में काफी पसंद किया जाता था और वे लगातार 40-45 साल तक मुशायरों में शायरी सुनाते रहे. 2016 में उनके गजलों और शायरी का एक संग्रह ‘मेरे बाद’ प्रकाशित हुआ था. वो बुलाती है मगर जाने का नहीं और किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े ना है सोशल मीडिया में काफी वायरल रहा था.

श्रवण कुमार गोस्वामी : राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त रांची के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी का निधन 11 अप्रैल को 84 वर्ष की आयु में हो गया. वे काफी लंबे समय से बीमार थे ब्रेनस्ट्रोक के कारण साहित्यिक गतिविधियों से भी दूर थे. डॉ गोस्वामी रांची के डोरंडा कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर थे, हालांकि वे रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. रांची विश्वविद्यालय में उनके द्वारा लिखी गयी नागपुरी व्याकरण की किताब पढ़ाई जाती थी. उनकी सबसे चर्चित रचना ‘जंगलतंत्रम’ है. यह उपन्यास काफी चर्चित रहा और इसने डॉ गोस्वामी की ख्याति पूरे देश में फैला दी. उन्हें राधाकृष्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

खगेंद्र ठाकुर : हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक खगेंद्र ठाकुर का निधन साल की शुरुआत में जनवरी माह में ही हो गया था. वे 83 वर्ष के थे. हिंदी साहित्य में आलोचना के क्षेत्र में नामवर सिंह के बाद उनका जाना बहुत बहुत क्षति थी. खगेंद्र ठाकुर का जन्म झारखंड के गोड्डा जिले में 9 सितंबर 1937 को हुआ था. उन्होंने हिंदी साहित्य की कई विधाओं मसलन कविता, आलोचना और व्यंग्य में अपनी कलम चलायी. उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं.

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सादिया देहलवी : मशहूर लेखिका सादिया देहलवी का कैंसर से लंबी जंग लड़ने के बाद अगस्त महीने में हुआ. वह 63 वर्ष की थीं. सादिया ने बुधवार को अपने घर पर अंतिम सांस ली. सादिया ने 40 से अधिक वर्षों तक महिलाओं, अल्पसंख्यकों, इस्लामी आध्यात्मिकता और दिल्ली की विरासत और संस्कृति के बारे में लिखा. कई प्रतिभाओं की धनी सादिया ने ‘अम्मा एंड फैमिली’ (1995) सहित कई टेलीविजन धारावाहिक तथा वृत्तचित्रों का निर्माण किया और कई की पटकथा भी लिखी. ‘अम्मा एंड फैमिली’ में मशहूर अदाकारा जोहरा सहगल ने भी काम किया था. वे दिग्गज लेखक खुशवंत सिंह की करीबी मित्र थीं.

Posted By : Rajneesh Anand

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