![Janmashtami 2023: जन्माष्टमी के दिन करें भारत के इन श्रीकृष्ण मंदिरों के दर्शन 1 Undefined](https://cdnimg.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/Prabhatkhabar/2023-09/2a30b397-8950-430f-be91-f62fa067acaf/1_Janmashtami_2023_Special__Best_Krishna_Temple_of_india.jpg)
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका, गुजरात
यह गुजरात का सबसे फेमस कृष्ण मंदिर है इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर चार धाम यात्रा का भी मुख्य हिस्सा है. चारों धामों में से यह पश्चिमी धाम है. यह मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है और 43 मीटर की ऊंचाई पर मुख्य मंदिर बना है. इस मंदिर की यात्रा के बिना आपकी गुजरात में धार्मिक यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी.
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प्रेम मंदिर, वृंदावन
वृंदावन का प्रेम मंदिर अत्यंत भव्य है. रात के वक्त भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं होती है. प्रेम मंदिर की सजावट एकदम खास तरीके से की गई है. रात के वक्त ये मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से चमकता रहता है, जिसका रंग हमेशा बदलता रहता है.
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बरसाना का राधा रानी मंदिर
मथुरा के पास ही बरसान है. बरसाना के बीचोबीच एक पहाड़ी है. उसी के ऊपर राधा रानी मंदिर है. राधा-कृष्ण को समर्पित इस भव्य और सुन्दर मंदिर का निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 में करवाया था. दरअसल, राधा रानी बरसाने की ही रहने वाली थी.
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श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन का समय वृंदवन में ही बिताया था. यह सबसे फेमस और प्राचीन मंदिर भी है. भगवान कृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है इसलिए उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम भी श्री बांके बिहारी रखा गया है. जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती होने के बाद यहा श्रद्धालुओं के लिए रात 2 बजे ही मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं. मंगला आरती साल में केवल एक बार होती है. भगवान कृष्ण के जन्म के बाद यहां श्रद्धालुओं के बीच खिलौने, कपड़े और दूसरी चीजें बेची जाती हैं.
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श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी
यह कर्नाटक का सबसे फेमस पर्यटन स्थल भी है इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान की पूजा खिड़की के नौ छिद्रो में से ही की जाती है. यह हर साल पर्यटक का तांता लगा रहता है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां की रौनक देखते ही बनती है. पूरे मंदिर को फूलो और लाइट्स से सजाया जाता है. त्योहार के दिन यहां काफी भीड़ होती है और आपको दर्शन के लिए 3-4 घंटे तक इंतजार करना पड़ सकता है.
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जगन्नाथ मंदिर
उड़ीसा राज्य में पुरी का जगन्नाथ धाम चार धाम में से एक है। मूलत: यह मंदिर विष्णु के रूप पुरुषोत्तम नीलमाधव को समर्पित है। कहते हैं कि द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं.