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Hanuman Janmotsav 2023: अलीगढ़ में हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

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Hanuman Janmotsav 2023: अलीगढ़ में हनुमान जन्मोत्सव को लेकर अचल ताल स्थित गिलहराज मंदिर में भव्य आयोजन किया जाएगा. आज अचल ताल पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया गया है. आइए जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदयरंजन शर्मा से हनुमान जन्मोत्सव के विषय में विस्तृत जानकारी.

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Hanuman Janmotsav 2023: हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का खास महत्व है. अलीगढ़ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदयरंजन शर्मा ने श्री हनुमान जन्मोत्सव के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन गुरुवार हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, बव करण के शुभ संयोग में 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल 2023 दिन बुधवार सुबह 09:19 से प्रारंभ होकर 06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार को सुबह 10:05 तक पूर्णिमा तिथि मान्य रहेगी. अतः उदया तिथि के हिसाब से 06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार को ही श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव मान्य होगा.

हनुमान जयंती क्यों मनाया जाता है

इस दिन प्रभु राम के अनन्य सेवक पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ था. “राम काज कीन्हें बिनु मोहिं कहाँ विश्राम” ये दोहा बताता है कि राम कार्य हेतु ही हनुमान जी अवतार लेते हैं. श्री राम विष्णु के अवतार हैं,  तो श्री हनुमान जी रुद्रावतार हैं. बिना हनुमान के राम भक्ति पाना असंभव है. माना जाता है कि हनुमान ही मातंग ऋषि के शिष्य थे. सूर्य देव और नारद से भी इन्होनें कई गूढ़ विद्या सीखी.  चैत्र माह की पूर्णिमा को ही हनुमान का जन्म होने के कारण इस दिन श्री हनुमान जनमोत्स्व मनाते हैं. नवरात्रि के बाद श्री हनुमान जी की भक्ति में साधक डूब जाते हैं.

हनुमान जन्मोत्सव 2023 मुहूर्त 

हनुमान जनमोत्स्व पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल दिन बुधवार सुबह 9:19 से प्रारंभ हो जाएगी जो 06 अप्रैल दिन गुरुवार सुबह 10:05 तक होगी. अतः 06 अप्रैल 2023 दिन गुरुवार को ही हनुमान जन्मोत्सव मनाना अति उत्तम माना जाएगा. पूर्णिमा 06 अप्रैल को ही मनाई जाएगी और उसी दिन रात्रि और पूरे दिन हनुमान का जनमोत्स्व मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का विशेष फल है क्योंकि चैत्र पूर्णिमा की रात्रि में ही हनुमान जनमोत्स्व मनाने का विशेष प्रावधान है.

अलीगढ़ गिलहराज मंदिर

अलीगढ़ में हनुमान जन्मोत्सव को लेकर अचल ताल स्थित गिलहराज मंदिर में भव्य आयोजन किया जाएगा. आज अचल ताल पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया गया है. 5 अप्रैल को विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा. इसमें मेरठ, बदायूं और आसपास की भव्य झांकियों देखी जा सकेंगे. वहीं 6 तारीख को भव्य फूल बंगला बनाया जाएगा. विशाल भंडारे का आयोजन भी होगा. शाम को भव्य महाआरती भी होगी. मंदिर के महंत कौशल नाथ ने बताया कि अचल ताल स्थित गिलहराज मंदिर में भव्य आरती को देखने के लिए आसपास के जनपद से भी लोग पहुंचते हैं. 8 अप्रैल को सर्व दुख निवारण यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. 9 अप्रैल को सुल्तानपुर के धर्मेंद्र पांडे भजन संध्या करने आ रहे हैं.

पूजा के दौरान न करें ये भूल

हनुमान को महाकाल शिव का 11वां रुद्रावतार माना गया है. इनकी विधिवत उपासना करने से सभी बाधाओं का नाश होता है. ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान चालीसा या सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए. इस दौरान इन गलतियों से बचना चाहिए.

  • हनुमान जनमोत्स्व के दिन अगर व्रत रखते हैं तो इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. जो भी वस्‍तु दान दें. विशेष रूप से मिठाई हो, तो उस दिन स्‍वयं मीठे का सेवन न करें.

  •  राम भक्‍त हनुमान सीता जी में माता का दर्शन करते थे और बाल ब्रह्मचारी के रूप में स्‍त्रियों के स्‍पर्श से दूर रहते हैं,  इसलिए माता स्‍वरूप स्‍त्री से पूजन करवाना और उनका स्‍पर्श करना वे पसंद नहीं करते. फिर भी यदि महिलाएं चाहे तो हनुमान जी के चरणों में दीप प्रज्‍जवलित कर सकती हैं.  लेकिन उन्‍हें न तो छुएं और न ही उन्‍हें तिलक करें. महिलाओं का हनुमान जी को वस्‍त्र अर्पित करना भी वर्जित है.

  • काले या सफ़ेद वस्त्र धारण करके हनुमान जी की पूजा न करें. ऐसा करने पर पूजा का नकरात्मक प्रभाव पड़ता है. हनुमान जी की पूजा लाल या पीले वस्‍त्र में ही करें.

  •  हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्‍व है. इसलिए हनुमान जयंती पर उनकी पूजा करते समय अपना तन मन पूरी तरह स्‍वच्‍छ कर लें. इसका मतलब है कि मांस,  मदिरा इत्यादि का सेवन करके भूल से भी हनुमान जी के मंदिर न जाये और न घर पर उनकी पूजा करें. पूजन के दौरान गलत विचारों की ओर भी मन को भटकने न दें.                      

  •  यदि आप का मन अशांत है और आप क्रोध में है. तब भी हनुमान जी की पूजा न करें. शांतिप्रिय हनुमान को ऐसी पूजा से प्रसन्‍नता नहीं होती और उसका फल नहीं मिलता.

  • हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं होता है, साथ खंडित अथवा टूटी मूर्ति की पूजा करना भी वर्जित है.

रिपोर्टः आलोक अलीगढ़

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