21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 01:57 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर से जुड़ीं 5 याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया खारिज, जानें पूरा अपडेट

Advertisement

वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. बता दें कि जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) मुस्लिम पक्ष की सभी (5) याचिकाओं को खारिज कर दी हैं. हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सभी याचिकाओं को सुनने योग्य माना है. कोर्ट ने आदेश दिया कि 6 महीने में इसकी सुनवाई पूरी की जाए. वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने दो याचिकाओं में 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में ट्रायल को भी मंजूरी दी है. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में सुनवाई करते हुए अपना फैसला 8 दिसंबर को सुरक्षित कर लिया था. सुन्नी सेट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमने इंतजामियां मसाजिद की ओर से दाखिल याचिका पर जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराए जाने के आदेश पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. इस दौरान सिविल वाद, सुनने योग्य है या नहीं, इसको लेकर भी सवाल खड़े हुए. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित किए आदेश का हवाला भी दिया गया. दरअसल, मुस्लिम पक्ष की तरफ से वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता (सुनने योग्य है या नहीं) और ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग को चुनौती दी गई. केस शिफ्ट होने के बाद इस मामले की सुनवाई कर रही कोर्ट ने तीन तारीख में पूरी बहस सुन ली.

- Advertisement -
  • कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने दी यह दलील

  • हिंदू पक्ष ने कोर्ट से की यह मांग

  • जानें कब से चल रही है कानूनी लड़ाई

कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने दी यह दलील

वहीं मस्जिद पक्ष की ओर से जहां सिविल वाद के सुनने योग्य होने या नहीं होने पर सवाल उठाए गए और तर्क दिए गए कि यह पूजा स्थल अधिनियम-1991 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात और नियम 11 से प्रतिबंधित हैं. वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि यह अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होता है. दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने तर्कों की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के दर्जनों केसों का हवाला दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन, अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और अजय कुमार सिंह ने पक्ष रखा और मस्जिद पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता ने बहस की. उन्होंने कहा गया कि हाईकोर्ट से स्थगन आदेश के बावजूद वाराणसी की जिला अदालत को सर्वे का आदेश पारित नहीं करना चाहिए था. अब उस आदेश के तहत ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो चुका है. दुबारा सर्वे की जरूरत नहीं है.

हिंदू पक्ष ने कोर्ट से की यह मांग

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन, अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और अजय कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी की. इधर मस्जिद पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता ने बहस की. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से स्थगन आदेश के बावजूद वाराणसी की जिला अदालत को सर्वे का आदेश पारित नहीं करना चाहिए था. अब उस आदेश के तहत ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो चुका है. दुबारा सर्वे की जरूरत नहीं है. हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई कि अगर राखी सिंह की ओर से यह वाद वापस ले लिया जाता है तो परेशानी होगी. लिहाजा, इस केस में भी सर्वे होना चाहिए. यह भी तर्क दिया गया कि राखी सिंह के केस के तहत परिसर के जितने हिस्से का सर्वे हुआ है, उसे छोड़कर बाकी हिस्से का करा लिया जाए.

Also Read: Gyanvapi Survey Case: ASI ने जिला कोर्ट को सौंपी 1500 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट, मुस्लिम पक्ष ने की यह मांग जानें कब से चल रही है कानूनी लड़ाई

बता दें कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले में 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी. प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं. मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया. ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है. अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था. लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी. 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें