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Guruvar Vrat Puja Vidhi: ऐसे शुरू करें गुरुवार व्रत, इस विधि से करें पूजा, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु

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Guruvar Vrat Puja Vidhi: बृहस्पतिवार के व्रत की काफी मान्यता है. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि गुरुवार के व्रत करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाती हैं और घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है.

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हिंदू धर्म में व्रत (Fast) रखने का एक खास महत्व माना जाता है. वैसे तो कहा जाता है कि उपवास रखना शरीर के लिए भी काफी लाभकारी होता है. लेकिन आम तौर पर लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्रत (Fast) रखते हैं. हफ्ते में आने वाले हर एक व्रत का अपना अलग महत्व माना जाता है. जिसमें बृहस्पतिवार के व्रत की काफी मान्यता है.

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि गुरुवार के व्रत करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाती हैं और घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है.

बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा क्यों?

बृहस्पतिवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इसी कारण इस दिन को बृहस्पतिवार या गुरुवार भी कहते हैं. एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, पक्षियों में सबसे भारी अर्थात् गुरू गरूड़ देव ने कठिन तप करके बृहस्पतिवार को ही भगवान विष्णु की शरण प्राप्त की थी. तब से बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन माना जाने लगा है.

कब से करें शुरू?

पूष या पौष के महीने को छोड़कर आप कभी भी ये व्रत शुरू कर सकते हैं. पौष का महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसम्बर या जनवरी में आता है. बाकी इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं. किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए शुक्ल पक्ष काफी शुभ माना जाता है.

कितने गुरुवार रखें व्रत?

16 गुरुवार तक लगातार व्रत करने चाहिए और 17वें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए. पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं परन्तु महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों में यह व्रत नही करना चाहिए.

गुरुवार व्रत की विधि:

गुरुवार व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करें. इसके बाद पूजाघर या केले के पेड़ की नीचे विष्णु भगवान की प्रतिमा या फोटो रखकर उन्हें प्रणाम करें. कोई नया छोटा सा पीला वस्त्र भगवान को अर्पित करें. हाथ में चावल और पवित्र जल लेकर व्रत का संकल्प लें. एक लोटे में पानी और हल्दी डालकर पूजा के स्थान पर रखें. भगवान को गुड़ और धुली चने की दाल का भोग लगाएं. गुरुवार व्रत की कथा का पाठ करें. भगवान को प्रणाम करें और हल्दी वाला पानी केले की जड़ या किसी अन्य पौधे की जड़ों में डालें.

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