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Govardhan Puja 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat Timings: आज है है गोवर्धन पूजा, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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Govardhan Puja 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat Timings: दीपावली के अगले दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है. यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है. इस दिन मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है.

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धनतेरस के बाद नरक चौदस, दीपावली और उसका अगला दिन होता है गोवर्धन पूजा. दीपों का पर्व यूं तो भगवान राम की घर वापसी और माता लक्ष्मी के पूजन के साथ मनाया जाता है. पर, गोवर्धन पूजा वाले दिन भगवान कृष्ण की पूजा होती है साथ ही गाय के गोबर से गोवर्धन देव बनाकर उन्हें पूजने की परंपरा भी रही है. अन्नकूट/गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई. यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है. इस दिन मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है.

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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त-

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:36 pm से 08:47 am

अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट्स

गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – 03:22 pm से 05:33 pm

अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट्स

गोवर्धन पूजा विधि

  • सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं.

  • इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें.

  • कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है.

  • भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें.

  • इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है.

  • भगवान श्री कृष्ण की आरती करें.

  • भगवान श्री कृष्ण ने की थी ब्रजवासियों की रक्षा.

भगवान श्री कृष्ण ने की थी ब्रजवासियों की रक्षा

बताया जाता है कि ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे, लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की जगह गोवर्धन पूजा करने की बात कही तो इंद्र रुष्ट हो गए और उन्होंने अपना प्रभाव दिखाते हुए ब्रजमंडल में मूसलधार बारिश शुरू कर दी. इस वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों की रक्षा की. गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामीणों के साथ गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे.

फिर ब्रह्माजी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है. यह जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा. जिसे कार्तिक अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा पर इस विधि से करें आरती

गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है. सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है.

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