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Gaya Pitrapaksha Mela 2023: कल से पितृपक्ष होगा शुरू, बिहार सरकार टूर पैकेज की दे रही सुविधा, देखें डिटेल्स

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Gaya Pitrapaksha Mela 2023: पुराणों और शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने यहां अपना दाहिना पांव गयासुर पर रखा था. इसका महत्व इतना है कि शमी वृक्ष के पत्ते के समान पिंड का दाना भी गया क्षेत्र विष्णुपद में रख देने मात्र से सात गोत्र और 121 कुलों का उद्धार होता है.

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  • पितृपक्ष मेला 2023 कल से शुरू हो रहा है.

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  • इसके लिए बिहार सरकार के द्वारा जारी टूर पैकेज की भी सुविधा ले सकते हैं

Gaya Pitrapaksha Mela 2023: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 कल यानी 29 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. गया के पितृपक्ष मेले का खासा महत्व रहा है. पुराणों और शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने यहां अपना दाहिना पांव गयासुर पर रखा था. इसका महत्व इतना है कि शमी वृक्ष के पत्ते के समान पिंड का दाना भी गया क्षेत्र विष्णुपद में रख देने मात्र से सात गोत्र और 121 कुलों का उद्धार होता है.

Also Read: पितृपक्षः बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, जानिए पत्नी और दामाद का क्या अधिकार है

गया में पितृपक्ष मेला 2022 (Pitru Paksha Mela 2022) की तैयारी पूरी कर ली गई है. देश के कई स्थानों पर पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण की परंपरा है लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का खासा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान करने से 121 कुल और 7 गोत्र का उद्धार होता है.

बिहार सरकार टूर पैकेज की दे रही सुविधा

आप बिहार सरकार के द्वारा जारी टूर पैकेज की भी सुविधा ले सकते हैं. तीर्थयात्रियों की सुविधा व सहायता के लिए बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 5 श्रेणियों में टूर पैकेज जारी किया है. टूर पैकेज के माध्यम से मुक्तिधाम आने वाले तीर्थयात्रियों को प्रति तीर्थयात्री कम से कम 11 हजार 250 रुपए व अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए अधिकतम 21 हजार 100 रुपए प्रतियात्री अग्रिम भुगतान करना होगा. ये भुगतान कॉरपोरशन के पास करना है. टूर पैकेज में एक यात्री, दो यात्री व एक सूमह में आने वाले चार तीर्थ यात्रियों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया गया है.

29 सितंबर से शुरू होगा पितृपक्ष मेला, जानिए गया में ही क्यों पितरों का श्राद्ध करने जाते हैं लोग?

गया में पितृपक्ष मेला 2022 (Pitru Paksha Mela 2022) की तैयारी पूरी कर ली गई है. देश के कई स्थानों पर पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण की परंपरा है लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का खासा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान करने से 121 कुल और 7 गोत्र का उद्धार होता है.

इ-पिंडदान का जानिए तरीका..

इ-पिंडदान के लिए तीर्थयात्रियों को ब्राह्मण दक्षिणा, कर्मकांड की वीडियो रिकॉर्डिंग समेत आवासन, भोजन, पूजन सामग्री, यातायात और अन्य सभी सुविधाओं के लिए प्रति तीर्थयात्री 23,000(तेइस हजार) रुपए भुगतान करने होंगे. इन सुविधाओं को www.bstdc.bihar.gov.in या bstdc@gmail.com के माध्यम से संपर्क करके दे सकते हैं.

इ-पिंडदान कैसे करते हैं..

इ-पिंडदान स्थानीय स्तर पर एक प्रतिनिधि रखकर कराया जाता है. पिंडदान से जुड़े सामान की खरीदारी, पिंडदान व कर्मकांड समेत अन्य सभी काम की वीडियोग्राफी करवाकर कॉरपोरेशन के माध्यम से पिंडदान कराने वाले तीर्थयात्री के पासे इसे भेज दी जाती है. इस कर्मकांड के लिए किसी को भी प्रतिनिधि बनवाया जा सकता है. इसकी जानकारी इ-पिंडदान पैकेज के अधिकृत पंडा सुनील कुमार ने दी.

Also Read: Pitru Paksha 2023: इस दिन से शुरू होने वाला पितृपक्ष, पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

पुनपुन नहीं जाने वाले गोदावरी में करेंगे पिंडदान

तीर्थस्थली गयाजी में 28 सितंबर से शुरू हो रहे 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के पहले दिन गयाजी के गोदावरी सरोवर अथवा पुनपुन नदी में पिंडदान का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो श्रद्धालु पुनपुन जाने में असमर्थ होते हैं, गयाजी स्थित गोदावरी सरोवर में पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड करने से पुनपुन नदी में कर्मकांड करने के समान फल की प्राप्ति कि मान्यता है. गयाजी में पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना गया है.

पुनपुन नहीं जाने वाले गोदावरी में करेंगे पिंडदान

तीर्थस्थली गयाजी में 28 सितंबर से शुरू हो रहे 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के पहले दिन गयाजी के गोदावरी सरोवर अथवा पुनपुन नदी में पिंडदान का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो श्रद्धालु पुनपुन जाने में असमर्थ होते हैं, गयाजी स्थित गोदावरी सरोवर में पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड करने से पुनपुन नदी में कर्मकांड करने के समान फल की प्राप्ति कि मान्यता है. गयाजी में पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना गया है.

पूर्णिमा तिथि कब से कब तक

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – सितंबर 28, 2023 को 06:49 पी एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – सितंबर 29, 2023 को 03:26 पी एम बजे

पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त

कुतुप मूहूर्त – 11:47 am से 12:35 pm

अवधि – 00 घंटे 48 मिनट

रौहिण मूहूर्त – 12:35 pm से 01:23 pm

अवधि – 00 घंटे 48 मिनट

अपराह्न काल – 01:23 pm से 03:46 pm

अवधि – 02 घंटे 23 मिनट

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

  • पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर 2023

  • प्रतिपदा और द्वितीया – 30 सितंबर 2023

  • द्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023

  • तृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023

  • चतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023

  • पंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023

  • षष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023

  • सप्तमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023

  • अष्टमी श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023

  • नवमी श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023

  • दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023

  • एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023

  • द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023

  • त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023

  • चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023

  • अमावस्या श्राद्ध- 14 अक्टूबर 2023

क्या है मान्यता

पौराणिक हिन्दु मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को याद करने और विधिवत पूजा अनुष्ठान करने से वे प्रसन्न होते हैं और इससे जातकों के जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं. आमतौर से ये तीन घटकों को आपस में जोड़ती है. पहला पिंडदान (Pinddan), दूसरा तर्पण (Tarpan) और तीसरा ब्राह्मण को खिलाना (Brahman Bhoj). इसके साथ ही इस दौरान पवित्र शास्त्रों को पढ़ना भी शुभ माना गया है.

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