15.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 04:33 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Jharkhand News: भुला दिये गये गढ़वा के एकलौते शहीद रामप्रीत ठाकुर, वीरता के लिए मरणोपरांत मिला था शौर्य चक्र

Advertisement

971 में हुए भारत-पाक युद्ध में गढ़वा जिले के एकमात्र शहीद रामप्रीत ठाकुर को गढ़वा जिला प्रशासन ने भी विस्मृत कर दिया है. भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पीयूष तिवारी, गढ़वा : 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में गढ़वा जिले के एकमात्र शहीद रामप्रीत ठाकुर को गढ़वा जिला प्रशासन ने भी विस्मृत कर दिया है. 1971 का भारत-पाक युद्ध तीन दिसंबर से 16 दिसंबर तक हुआ था. 13 दिनों तक चले इस युद्ध में मेराल (गढ़वा) प्रखंड के खोरीडीह गांव निवासी रामप्रीत ठाकुर की शहादत आठ दिसंबर को हुई थी. वह ऑपरेशन कैक्टस लीली का हिस्सा थे तथा इसी अभियान के लिए वह सेना के जवानों को सैन्य जीप (बतौर चालक) से लेकर बांग्लादेश के ब्राह्मण बरिया की ओर जा रहे थे.

- Advertisement -

उसी समय पाकिस्तानी सैनिकों ने बम से हमला किया, जिसमें रामप्रीत ठाकुर सहित कई अन्य जवानों की मौत हो गयी थी. भारतीय सेना में वह 1966 से सेवाएं दे रहे थे. मौत से पहले तक वह देश की विभिन्न सीमाओं पर तैनात रहे और फिर 1971 के युद्ध में अपनी शहादत दी. उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया था.

पार्सल से आया था पिता का सामान

पिता की शहादत को याद करते हुए उनके बड़े पुत्र सेवानिवृत आर्मी जवान ब्रजमोहन ठाकुर ने बताया कि उनके दादा यानी रामप्रीत ठाकुर के पिता अकल राम की मौत उनके जन्म से पहले ही हो गयी थी. ऐसे में संघर्ष करते हुए वह बड़े हुए. ब्रजमोहन बताते हैं कि उनके पिता की शहादत के एक सप्ताह के बाद तार से यह सूचना परिवार को मिली थी. तब वह महज आठ साल के थे़ पिता का शव घर नहीं लाया गया था, इसलिए परिवार के लोग उनका अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके थे.

महीने भर बाद गढ़वा रोड स्टेशन (रेहला) में उनके पिता का सारा सामान एक बक्से में पार्सल से आया था़ जिसे लेकर वह खुद घर आये थे़ शहादत की खबर पर उनकी मां सनकलिया देवी बेतहाशा रो रही थी़ं लेकिन उन्होंने हमारे लिए खुद को संभाला व लालन-पालन किया. बड़े होने पर उन्हें और उनके छोटे भाई को भी देश की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया अौर भारतीय सेना में भेजा.

गढ़वा छोड़ कई जगह स्मारक

रामप्रीत ठाकुर का स्मारक एसी सेंटर (बेंगलुरु), एएसइ नॉर्थ (गया, बिहार), आर्मी कैंप (बूटी मोड़, रांची) और श्रीनगर में बनाया गया है़ लेकिन गढ़वा जिले में उनके नाम पर कोई स्मारक या संस्थान नहीं है़ प्रशासन उनकी बरसी या अन्य तिथियों पर किसी तरह का कार्यक्रम का आयोजन नहीं करता है.

अब भी खेती-गृहस्थी में करती हैं शहीद की विधवा

तब भारत सरकार ने उनकी मां को वीर नारी के खिताब से सम्मानित किया था़ ब्रजमोहन ठाकुर ने बताया कि वह एवं उनके छोटे भाई दोनों सेना से सेवानिवृत हुए है़ं वह आगे की पीढ़ी को भी सेना में भेजना चाहते है़ं 75 वर्षीय सनकलिया देवी आज भी खोरीडीह में एक आम महिला की तरह रहती हैं और खेती-गृहस्थी करती है़ं

Posted by: Pritish Sahay

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें