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वाराणसी: बृहस्पति के राशि परिवर्तन के साथ ही 12 साल बाद गंगा पुष्करम कुंभ शुरू, PM मोदी वर्चुअली होंगे शामिल

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वाराणसी के मंदिरों, घाटों, गलियों में इस समय दक्षिण भारतीयों की भीड़ देखी जा रही है. काशी तमिल संगमम् के बाद अब एक बार फिर लाखों तेलुगू भाषी लोग काशी पहुंच रहे हैं. 22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले यह वृहद् आयोजन दक्षिण भारतीय समाज के लिए धार्मिक लिहाज से बेहद खास है.

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Varanasi: विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी शनिवार से गंगा पुष्करम कुंभ के आयोजन से गुलजार है. बृहस्पति के राशि परिवर्तन के साथ ही 12 साल बाद गंगा के तट पर गंगा पुष्करम कुंभ का शनिवार से शुभारंभ हो गया. ऐसे में उत्तरवाहिनी गंगा का किनारा फिर से उत्तर और दक्षिण की संस्कृति के मिलन का साक्षी बना. वाराणसी के पवित्र गंगा घाटों पर दक्षिण भारतीय समाज के लोगों ने अपने पितरों के लिए तर्पण करने के साथ पार्थिव शिवलिंग का पूजन किया. वहीं 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा पुष्करम कुंभ को वर्चुअली संबोधित करेंगे.

काशी के मंदिर, घाट, गलियां दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं से गुलजार

वाराणसी के मंदिरों, घाटों, गलियों में इस समय दक्षिण भारतीयों की भीड़ देखी जा रही है. काशी तमिल संगमम् के बाद अब एक बार फिर लाखों तेलुगू भाषी लोग काशी पहुंच रहे हैं. 22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले यह वृहद् आयोजन दक्षिण भारतीय समाज के लिए धार्मिक लिहाज से बेहद खास है. पुष्करम कुंभ प्रत्येक 12 वर्ष पर नदियों के किनारे आयोजित होता है. इस बार काशी में दक्षिण भारत के तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है.

श्रद्धालुओं ने पितरों की मुक्ति को लेकर किया पूजन अर्चन

दरअसल ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है. इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालुओं ने काशी में पितरों का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरों में दर्शन-पूजन किया. अस्सी से लेकर राजघाट के बीच सभी 84 घाटों पर दक्षिण भारतीय लोग अपने पूर्वजों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान करते नजर आए.

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करीब 12 लाख दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

मेले में अस्सी, केदारघाट, शंकराचार्य घाट, मानसरोवर, चौकी व राजघाट पर सबसे अधिक भीड़ नजर आ रही है. आंध्रा आश्रम के ट्रस्टी वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि गंगा के हर घाट पर श्रद्धालुओं द्वारा पितरों के निमित्त तर्पण व अनुष्ठान कराये जा रहे हैं. इस बार गंगा पुष्करम कुंभ पवित्र गंगा नदी के किनारे लगने के कारण गंगोत्री से गंगा सागर तक जिन-जिन शहरों में गंगा हैं, वहां पर श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु काशी भी आएंगे. इसके पूर्व 2011 में गंगा पुष्करम कुंभ हुआ था. इस बार 10 से 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.

शुभ मुहूर्त होते ही करने लगे तर्पण-पिंडदान

गंगा पुष्करम कुंभ का शुभ मुहूर्त शनिवार को भोर में 5:15 बजे से आरंभ होते ही श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के बाद तर्पण व पिंडदान करने लगे. इसके बाद उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, मां अन्नपूर्णा, कालभैरव, बिंदुमाधव का दर्शन पूजन किए. गंगा पुष्करम कुंभ में पंचगंगा घाट स्थित बिंदु माधव के दर्शन पूजन की मान्यता है. यहां पर सबसे अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ है. इसके साथ ही अस्सी से लेकर हनुमान घाट के बीच जगह-जगह पार्थिव शिवलिंग बनाकर रुद्राभिषेक व पूजन किया जा रहा है.

घाटों में बनाए गए चेंजिंग रूम

गंगा पुष्करम कुंभ में शामिल होने आ रहे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर जिला प्रशासन व मंदिर की ओर से खास इंतजाम किए गए हैं. अस्सी घाट से राजघाट तक चेंजिंग रूम लगाए गए हैं. इसके साथ ही शहर के होटल धर्मशाला की सूची भी सार्वजनिक की गई है जिससे कि श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं हो और वह सुविधाजनक तरीके से धार्मिक कार्यों को संपन्न कर सकें.

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