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बिकरू कांड में पहली सजा, विकास दुबे के गुर्गे श्यामू को पांच साल की जेल, जानें अब तक मामले में कब क्या हुआ?

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उत्तर प्रदेश में बहुचर्चित बिकरू कांड में पहली सजा का ऐलान किया गया है. हत्या के प्रयास में श्यामू बाजपेई को सजा सुनाई गई है.चौबेपुर पुलिस ने श्यामू बाजपेई खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र दाखिल किया था. उसके खिलाफ आठ गवाह कोर्ट में पेश किए गए.

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Kanpur News: उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरू कांड में विकास दुबे के गुर्गों के पुलिस पर गोली चलाने के आरोपित श्यामू बाजपेई को कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है. ये इस बहुचर्चित मामले में पहली सजा है. इसके साथ ही उस पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया गया. वहीं विकास दुबे के करीबी गुड्डन त्रिवेदी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. गुड्डन को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था.

कानपुर के चौबेपुर स्थित बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की देर रात को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. पुलिस ने घटना के आरोपित श्यामू बाजपेई को गिरफ्तार कर लिया था. आठ जुलाई को उसे असलहा बरामद कराने के लिए टीम ले गई थी.

शिवली में जंगल के पास गाड़ी रोककर वह असलहा निकलवाने गया था. मौका मिलते ही पेड़ की जड़ से तमंचा निकालकर उसने पुलिस टीम पर फायर झोंककर भागने का प्रयास किया. इस पर पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें एक गोली उसके पैर में लगी और वह गिर पड़ा. चौबेपुर पुलिस ने श्यामू बाजपेई खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र दाखिल किया गया था. मामले की सुनवाई स्पेशल जज एंटी डकैती अमित मालवीय की कोर्ट में हुई. अभियोजन की ओर से आठ गवाह पेश किए गए.

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विकास दुबे के करीबी गुड्डन को हाईकोर्ट से जमानत

इसके साथ ही गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी. गुड्डन और उसके ड्राइवर सुशील को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट में एडवोकेट प्रशांत सिंह और एडवोकेट लालमणि सिंह ने कहा कि घटना के दौरान गुड्डन की मौके पर लोकेशन नहीं थी. इसके साथ ही पुलिस उससे कुछ रिकवरी नहीं करा पाई. बचाव पक्ष के वकील ने नौ माह पूर्व सुशील की जमानत को भी इसमें आधार बनाया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद सोमवार को गुड्डन को जमानत दे दी.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि 2 जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस टीम गई हुई थी. जहां पर गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ में मिलकर पुलिस पार्टी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी, जिसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.

घटना में 12 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. पुलिसकर्मियों की हत्या से गुस्साई यूपी पुलिस ने 3 जुलाई की सुबह से ताबड़तोड़ एनकाउंटर शुरू किए थे. इसके बाद 9 जुलाई को मुख्य अपराधी विकास दुबे उज्जैन से कानपुर लाते समय एनकाउंटर में मारा गया. इसके साथ ही करीब 48 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.

छह बीघा जमीन का था विवाद

इस कांड के पीछे की मुख्य वजह छह बीघा जमीन का विवाद सामने आया था, इसी को लेकर यह झगड़ा शुरू था. बिकरू कांड की मुख्य वजह जादेपुर निवासी राहुल तिवारी की ओर से विकास दुबे व अन्य के खिलाफ कराई गई एफआईआर थी. इसे लेकर दबिश देने के लिए पुलिस टीम दो जुलाई 2020 की रात बिकरू पहुंची थी.

जादेपुर निवासी राहुल तिवारी की शादी पड़ोस के गांव मोहनी निवादा निवासी लल्लन शुक्ला की बेटी के साथ हुई थी. लल्लन की केवल तीन बेटियां हैं, जिसमें दो की शादी हो चुकी है. लल्लन के जीवन काल से उनका भांजा सुनील उनके साथ रहने लगा था. सुनील की शादी विकास दुबे के भतीजे शिवम दुबे की बहन से हुई थी. लल्लन की मौत के बाद सुनील ने दावा किया कि मरने से पहले मामा उसे साढ़े छह बीघा जमीन दान में दे गए हैं. इसी आधार पर सुनील ने जमीन का बैनामा भी अपने नाम से करवा लिया था.

राहुल तिवारी ने इस बैनामे को कोर्ट में चुनौती दी है. करोड़ों की कीमत वाली जमीन पर विकास दुबे की नीयत भी खराब हुई और यही बिकरू कांड की सबसे बड़ी वजह बन गई. राहुल के मुताबिक, अधिकारी चाहें तो उसकी जमीन का विवाद भी खत्म हो सकता है, मगर कोई सुनवाई ही नहीं कर रहा है.

विवाद वाली जमीन का मामला अभी भी उलझा

गैंगस्टर विकास दुबे के मुठभेड़ में ढेर होने के बाद उन तमाम जमीन के विवाद समाप्त हो गए थे, जिन्हें लेकर बरसों से मामलो में आरोप प्रत्यारोप चल रहे थे. मगर, संयोग देखिए कि जहां अन्य जमीन के विवाद जिला प्रशासन ने आगे बढ़कर खत्म करा दिए, वहीं उस जमीन का मसला अब तक उलझा हुआ है, जिसके लिए इतनी जानें चली गईं. उस जमीन पर कब्जा राहुल तिवारी का है. लेकिन, जमीन अभी शिवम दुबे के बहनोई सुनील के नाम पर ही है.

जमीन के थे विकास दुबे से जुड़े तमाम विवाद

विकास दुबे से जुड़े तमाम विवाद जमीन के थे, जिसमें तारा चंद्र इंटर कालेज के प्राचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की पांच करोड़ की जमीन सबसे अहम थी. अब दोबारा से पांडेय परिवार के पास इस जमीन का स्वामित्व आ गया है. शिवली के संतोष मिश्रा की छह बीघा जमीन पर विकास दुबे ने 20 साल पहले कब्जा कर लिया था. यह जमीन भी अब उनको मिल गई है. इसी तरह से उधारी के बहाने विकास दुबे ने मुन्ना यादव की सात बीघा जमीन कब्जा ली थी. इसमें से चार बीघा जमीन उन्हें वापस मिल गई है और जो जमीन उसने विकास के नाम कर दी थी, उसे वापस लेने के लिए उन्होंने अदालत में केस कर दिया है.

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