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जामताड़ा : नारायणपुर के किसानों पर दोहरी मार, बारिश की बेरुखी के बाद नहीं मिली फसल बीमा की राशि

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जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के किसानों को एक साथ दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो बारिश नहीं होने से खेत सूखे पड़े हैं, दूसरी ओर सैकड़ों किसानों द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में किये गये फसल बीमा की राशि अभी तक नहीं मिली है. वहीं, लगातार दूसरे साल भी बिंदापाथर सूखे की चपेट में आने लगा है.

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Jharkhand News: जामताड़ा जिला अंतर्गत नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों किसानों के साथ विगत कुछ वर्षों से बारिश तो दगा दे रही है, लेकिन इस बेवफाई में बीमा कंपनी भी बहुत पीछे नहीं. वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रखंड के लगभग सभी गांवों के किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत बीमा करवाया था. हालांकि, कई किसानों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में भी बीमा करवाया था. किसानों ने इस उम्मीद से बीमा करवाया था कि उन्हें उनके क्षति हुए फसलों की शायद भरपाई हो जाये, लेकिन उनके उम्मीदों पर लगातार कई वर्षों से पानी फिर जा रहा है.

नारायाण प्रखंड के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार

बड़ी उम्मीद लगाकर किसानों ने प्रति एकड़ भूमि के लिए 440 रुपये की राशि अपनी फसलों की बीमा में खर्च किये, लेकिन राशि नहीं मिलने से किसान खूद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. ऐसा नहीं की किसानों को उनके फसल बीमा की राशि नहीं मिली हो. समीप के ही देवघर जिला के किसानों को राशि अभी हाल ही के दिनों में मिल गई, लेकिन नारायणपुर प्रखंड के किसानों को पीएम फसल बीमा की राशि नहीं मिलने से किसान कह रहे हैं कि हमारे साथ तो सौतेला व्यवहार हुआ है. इस वर्ष भी उम्मीद के अनुसार वर्षा नहीं हुई है. वर्षा के अभाव से धान के बिचड़े सूख रहे हैं.

  • बारिश के अभाव में धान के बिचड़े सूखने लगे.

  • किसानों को पीएम फसल बीमा की नहीं मिली राशि.

  • नारायणपुर प्रखंड के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार.

  • किसान खुद को कर रहे ठगा महसूस.

  • देवघर जिले के किसानों को अभी हाल ही फसल बीमा की मिली राशि.

  • लगातार दूसरे साल मानसून की बेरुखी ने बिंदापाथर क्षेत्र के किसानों की बढ़ायी चिंता.

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क्या कहते हैं किसान

किसान गणेश पंडित कहते हैं कि हमने वित्तीय वर्ष 2017-18 में पीएम फ़सल बीमा योजना के तहत ख़रीफ़ फ़सल के लिए बीमा किया था. लगातार कई वर्षों से अच्छी वर्षा नहीं होने के कारण धान की फ़सल नहीं हो सकी है. बीमा की राशि मिलनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक नहीं मिलने से ख़ुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. वहीं, हाशिम अंसरी ने कहा कि हमलोग लगातार कई वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे हैं. हमने फसल बीमा कराया, लेकिन लाभ नहीं मिला. जबकि समीप के देवघर जिला में किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ दिया गया है, लेकिन हमलोगों को नहीं देकर सौतेला व्यवहार हो रहा है. किसानन अब्दुल सत्तार का कहना है कि सूबे के कृषि मंत्री के क्षेत्र में किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिला है, लेकिन हमलोग अभी तक वंचित हैं. हमलोग भी विगत कई वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे हैं.

लाभुकों को राशि देने के लिए सरकार कर रही पहल : प्रखंड कृषि पदाधिकारी

इस संबंध में नारायणपुर प्रखंड के कृषि पदाधिकारी राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना के लाभुकों को राशि देने के लिए सरकार द्वारा पहल की जा रही है. जिन किसानों को आपदा के कारण विगत वर्षों में फसलों का नुकसान हुआ था और बीमा करवाए थे. उनका आंकड़ा तैयार किया गया था. उसी के आधार पर बीमा राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजे जा रहे हैं.

मानसून की बेरुखी ने बढ़ा दी बिंदापाथर क्षेत्र के किसानों की चिंता

दूसरी ओर, लगातार दूसरे साल मानसून की बेरुखी ने बिंदापाथर क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. जुलाई के दूसरे सप्ताह बीत जाने के बावजूद बारिश नहीं होने व आसमान से आग बरसने से खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है. बिंदापाथर समेत संपूर्ण जिले में प्रकृति की इस बेरुखी ने किसानों की कमर तोड़ दी है, जिस कारण किसान काफी चिंतित है और खेती से मोहभंग होते देखा जा रहा है. लोग अब खेती-बाड़ी छोड़कर दूसरे धंधे में अपना भविष्य तलाशने लगे हैं.

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किसान पलायन करने को मजबूर

क्षेत्र के मेहनतकश किसानों ने चैन्नई, हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में मजदूरी करने के लिए गांव छोड़कर जा रहे हैं. पिछले साल भी किसान सुखाड़ की मार झेल चुके हैं. इस साल भी खरीफ की फसल सुखाड़ की भेंट चढ़ सकता है. क्षेत्र के किसान सुकुमार मंडल, बारिन सिंह, खकन घोष, अजित मंडल, राम किस्कू, सरोज सोरेन, विजय यादव आदि ने बताया कि अब तक खेतों की जुताई पूरी हो चुकी होती है और धान के बिचड़े लगाने का काम शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार मौसम की बेरुखी ने उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. वर्तमान समय सावन के महीने में खेतों में चहल-पहल देखने को मिलता है चारों ओर हरियाली छायी रहती थी. किसान खेतों की जुताई से लेकर धान के बिचड़े की रोपाई की कार्य में व्यस्त रहते थे. वहीं इस साल मानसून की बेरुखी से ना सिर्फ उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है, बल्कि किसानों की कमर तोड़ दी है.

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