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झारखंड : हजारीबाग के बड़कागांव में गरमा मकई उत्पादन से किसानों को हो रहा मुनाफा, जानें कैसे

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हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में मक्के की फसल खूब लहलहा रही है. बाजारों में मक्के खूब देखने को मिल रहे हैं. राज्य के अन्य जिलों समेत दूसरे राज्यों में भी यहां के मक्के की खरीदारी हो रही है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है.

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बड़कागांव (हजारीबाग), संजय सागर : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इस चिलचिलाती धूप में भी मक्के की फसल लहलहा रही है. हर दिन किसानों को मुनाफा मिल रही है. बरकागांव के स्थानीय बाजारों में 10 रुपये प्रति किलो मक्का मिल रहा है. कोलकाता और हजारीबाग के व्यापारी बड़कागांव बाजारों से 10 रुपये प्रति किलो की दर से मक्के खरीद कर अन्य राज्य और जिलों के बाजारों में 15 से 20 प्रति किलो बेचते हैं. इससे किसान और व्यापारियों को मुनाफा मिल रहा है.

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कीड़े लगने वाले सब्जियों का समाधान निकाला मक्का

प्रचंड गर्मी में सब्जियों की खेती में कीट प्रकोप का खतरा कम करने में मक्के की फसल बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहा है. खेतों की उर्वरा शक्ति को संतुलित करने में प्राकृतिक रूप से सहयोग करने वाली मक्के की फसल से किसान बेहतर लाभ कमा रहे हैं. प्रति एकड़ किसानों को 25 से 35 हजार रुपये का फायदा हो रहा है. मक्के की फसल लेने के बाद पौधे का उपयोग पशु आहार के रूप में किया जा रहा है. खेतों में बच जाने वाली जड़ का हिस्सा रोटावेटर से जुताई के बाद खाद के रूप में मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में भी फायदेमंद साबित हो रही है.

तीन सीजन में हो रही मक्के की खेती

किसान बहुल बड़कागांव में पूर्व के वर्षों में सिर्फ खरीफ सीजन में ही मक्के की खेती की जाती थी. धान के बाद सर्वाधिक रकबे में बोई जाने वाली मक्का की खेती अब तीन सीजन में की जाने लगी है. खरीफ के अलावा रबी सीजन में मक्का लगाने वाले बहुसंख्यक किसान अब गर्मी के दिनों में भी बड़े रकबे में मक्का की खेती कर रहे हैं.

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अब किसान मक्के की खेती पर देने लगे हैं जोर

मकई के उत्पादक किसान जागेश्वर महतो, द्वारका महतो, कमली देवी, सुगिया देवी, मोहम्मद हसन अंसारी ने बताया कि मक्के की खेती बहुपयोगी लाभकारी नगदी फसल के रूप में सामने आयी है. किसानों ने बताया कि गर्मी के दिनों में तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है. इतने तापमान में सिंचाई सुविधा मिल जाये, तो गन्ने का बेहतर पैदावार होता है. वर्तमान सीजन में लगभग एक हजार हेक्टेयर में किसानों द्वारा मक्के की खेती की गई है. किसानों की माने,तो प्रचंड गर्मी में थोड़ी सी भी पानी की कमी होने पर सब्जी वर्गीय फसलों को सीधा नुकसान होता है. कीट प्रकोप का खतरा भी बना रहता है, इसलिए मक्के की खेती को वे प्राथमिकता दे रहे हैं.

मक्का का उपज जून माह से निकलनी हो जाती है शुरू

मकई के व्यापारी दिलीप साव, भुनेश्वर महतो ने बताया कि शुरुआत में स्थानीय बाजार के अलावा हजारीबाग, रांची, रामगढ़, कोलकाता, पटना और उत्तर प्रदेश की मंडी में बड़कागांव के मक्के की जबरदस्त मांग के कारण इसका बेहतर दाम भी मिल जाता है. बरखा का बाजार में इन दिनों 10 रुपये प्रति किलो मक्के को बेचा जा रहा है.

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