18.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 09:21 pm
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अमेरिका से बराबरी का बनता रिश्ता

Advertisement

भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, अंतरिक्ष और दूरसंचार जैसी भविष्य की तकनीकों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. भारत और अमेरिका ने इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने का फैसला किया है. यह दो महान आर्थिक और प्रौद्योगिकी महाशक्तियों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों का प्रकटीकरण है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

वैसे तो भारतीय प्रधानमंत्रियों की सभी यात्राएं मीडिया के लिए उत्सुकता और आकर्षण का विषय रहती रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा में, दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक निर्णयों, रणनीतिक खरीद, प्रौद्योगिकी सहयोग और व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री के स्वागत की काफी चर्चा हुई. इन दोनों महान लोकतंत्रों के रिश्ते इतिहास में बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. आज भी अमेरिका में कुछ ऐसे तत्व हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और लोकतंत्र आदि के फर्जी आख्यानों के आधार पर भारत पर उंगलियां उठाते रहते हैं. अतीत में ये तत्व सफल भी रहे हैं और आधिकारिक बयानों तथा कथनों आदि पर इसकी छाया देखने को मिलती रही है. लेकिन, पीएम मोदी की यात्रा की सफलता से पता चलता है कि शायद कूटनीतिक तौर पर यह पहले से तय था कि उनकी राजकीय यात्रा के दौरान वैसी कोई बयानबाजी नहीं की जायेगी.

- Advertisement -

भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, अंतरिक्ष और दूरसंचार जैसी भविष्य की तकनीकों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. भारत और अमेरिका ने इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने का फैसला किया है. यह दो महान आर्थिक और प्रौद्योगिकी महाशक्तियों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों का प्रकटीकरण है. आज अमेरिका आर्थिक, कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है. विश्व भारत को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में देखता है, जिसकी वर्तमान विश्व अर्थव्यवस्था में भूमिका है. इतिहास में एक समय था जब अमेरिकी डॉलर सारी दुनिया पर हावी था, वैश्विक आरक्षित मुद्रा में डॉलर का हिस्सा 70 प्रतिशत था, आज वह घटकर लगभग 54 प्रतिशत रह गया है. अमेरिका इस समय सदी की सबसे ऊंची महंगाई दर को झेल रहा है.

अफगानिस्तान से अचानक सेना की वापसी और वहां कट्टरपंथी सरकार के उदय के बाद दुनिया के ’दादा’ का दर्जा काफी घट गया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष में विफलता, यूक्रेन की लगातार हानि और परिणामस्वरूप ऊर्जा और बढ़ती मुद्रास्फीति के अलावा दुनियाभर में उत्पादन को प्रभावित करने वाली आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान ने, एक महाशक्ति के रूप में अमेरिका की कमजोरी को उजागर किया है. इन परिस्थितियों में, अमेरिका के लिए ऐसे साझेदार ढूंढना आवश्यक है जो सक्षम भी हो और भरोसेमंद भी. लोकतंत्र हमेशा से अमेरिका का मुख्य मुद्दा रहा है और अमेरिका जिस देश को अपना मुख्य शत्रु मानता है, उस चीन में निरंकुश शासन है. चीन का पड़ोसी और एक सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते, भारत संतुलन स्थापित करने में अमेरिका की मदद कर सकता है. क्वाड के साथ प्रौद्योगिकी सहयोग उस सोच का स्वाभाविक परिणाम है.

एक अमेरिकी राजनयिक का रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भारत के मध्यस्थ की भूमिका निभा सकने का हालिया बयान भारतीय नेतृत्व के बढ़ते दबदबे का संकेत है. अतीत में, अमेरिका महान और शक्तिशाली राष्ट्र के खुमार में जी रहा था. इसलिए भारत-अमेरिकी रिश्ते उस खुमारी से बाहर नहीं आ सके. पूर्व में हमने अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं में भारत के वाणिज्य मंत्री के समकक्ष स्थिति वाले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों (यूएसटीआर) का अहंकारपूर्ण रवैया भी देखा है. लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले यूएसटीआर के भारत आने-जाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.

गौरतलब है कि अतीत में भारत और अमेरिका के रिश्ते आमतौर पर असमान रहे हैं. रणनीतिक तौर पर अमेरिका ज्यादातर पाकिस्तान का समर्थक रहा है. कुल मिलाकर शीत युद्ध के समय से भारत और अमेरिका के रिश्तों में अगर कोई कड़वाहट नहीं थी, तो कोई अधिक सौहार्द भी नहीं था. लेकिन सोवियत संघ के पतन, चीन के आर्थिक उद्भव और भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार प्रगति के साथ भारत और अमेरिका के संबंधों में नये अध्याय जुड़े. वर्ष 2000 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत का दौरा किया और नागरिक परमाणु सहयोग पर एक ऐतिहासिक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये, जिसने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश में एक नया अध्याय खोला, और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी शुरू हुई.

इस बार मोदी की यात्रा के दौरान जीइ कंपनी द्वारा फाइटर जेट के इंजन में ऐतिहासिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को अमेरिका की पिछली नीति से बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. दूसरी ओर, चीन के बढ़ते दबदबे और एक महाशक्ति के रूप में अमेरिका को उसकी चुनौती के कारण भारत अमेरिका का स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार बनकर उभरा. भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड उसका एक स्वाभाविक परिणाम था.

पिछले करीब एक दशक में भारत और अमेरिका के रिश्तों में नयी गर्माहट देखने को मिल रही है. भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार देश के रूप में उभरा है. यह समझना होगा कि भारत पहले से अधिक शक्तिशाली बनकर उभरा है. पिछले कुछ वर्षों में, पहले ’मेक इन इंडिया’ और बाद में ’आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत, भारत रणनीतिक उपकरणों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. इससे भारत का न सिर्फ रूस और अमेरिका समेत पश्चिम से रक्षा सामान का आयात कम हो रहा है, बल्कि वह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रक्षा सामान का निर्यात भी करने लगा है. अंतरिक्ष, सॉफ्टवेयर, कंप्यूटिंग और भुगतान समेत विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है.

अमेरिका द्वारा अपने आत्मनिर्भरता के प्रयासों के तहत भारत से आने वाले कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने, और भारत द्वारा जवाबी कार्रवाई में कई अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने के कारण व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध कुछ हद तक तनावपूर्ण हो गये थे. अब भारत और अमेरिका दोनों ने अपने आर्थिक हितों को देखते हुए अपने व्यापार विवादों को खत्म करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान यह निर्णय लिया गया है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ वापस ले लेगा. और दूसरी ओर, अमेरिका भी विश्व व्यापार संगठन में भारत के विरुद्ध अपने विवाद वापस लेगा. इस बराबरी के समझौते को भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नया अध्याय माना जा रहा है, जहां कोई भी फैसला एकतरफा नहीं होता.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें