16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

ओड़िया समुदाय के रज संक्रांति पर्व पर खरसावां में कोरोना का दिखा असर, पारंपरिक झूला झूलन से वंचित हुई महिलाएं

Advertisement

Jharkhand News (खरसावां) : बनस्ते डाकिला गजो, बरसकु थोरे आसिछी रज, आसिछी रज लो घेनी नुआ सजो बाजो... रज संक्रांति पर गाये जाने वाला ओड़िया भाषा का यह लोक गीत कोल्हान के हर व्यक्ति के मुंह पर है. तीन दिवसीय रज संक्रांति 14 जून को शुरू हुआ जो 16 जून तक जारी रहेगा. रज संक्रांति को साधारणत: लोग रज, मऊज के नाम से भी जानते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jharkhand News (शचिंद्र कुमार दाश, खरसावां) : बनस्ते डाकिला गजो, बरसकु थोरे आसिछी रज, आसिछी रज लो घेनी नुआ सजो बाजो… रज संक्रांति पर गाये जाने वाला ओड़िया भाषा का यह लोक गीत कोल्हान के हर व्यक्ति के मुंह पर है. तीन दिवसीय रज संक्रांति 14 जून को शुरू हुआ जो 16 जून तक जारी रहेगा. रज संक्रांति को साधारणत: लोग रज, मऊज के नाम से भी जानते हैं.

- Advertisement -

तीन दिनों के इस त्योहार में सोमवार को पहली रज, मंगलवार को रजो पर्व व बुधवार को बासी रज मनाया जायेगा. लेकिन इस वर्ष कोविड-19 को लेकर रज पर्व का उत्साह कुछ कम दिख रहा है. कहीं भी सामूहिक रूप से रज मिलन या मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. लोग घरों में ही पूजा अर्चना करने के साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन बना कर त्योहार का आनंद उठा रहे हैं. सरायकेला-खरसावां जिला में करीब एक दर्जन गांवों में रज संक्रांति पर मेला का आयोजन होता है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. कुछ स्थानों पर मंदिरों में सिर्फ पूजा कर रश्म अदायगी की जा रही है.

तीन दिनों तक नहीं होता है कृषि कार्य

इस त्योहार को लेकर कई बातें कही जाती है. आषाढ़ माह के आगमन पर मानसून के स्वागत में ओड़िया समुदाय के लोग इस त्योहार को मनाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रज पर्व के दौरान धरती माता का विकास होता है. किंवदंती के अनुसार रजोत्सला संक्रांति के मौके पर धरती मां विश्राम करती है. इस दौरान किसी तरह का कृषि कार्य नहीं होता है. रज पर्व के बाद धरती माता की पूजा की जाती है, ताकि खेतों में फसल की अच्छी पैदावार हो. पर्व के दो दिनों तक जमीन पर न तो हल चलाया जाता है और न ही खोदाई की जाती है.

Also Read: Jagarnath Mahto Update News : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के आने को लेकर रिम्स और चेन्नई MGM के डाॅक्टर्स के बीच हुई चर्चा, आज लौटने की है संभावना
मानसून का स्वागत

रज पर्व को मनाते हुए लोग साल के पहली बारिश में मानसून का स्वागत करते हैं, ताकि अच्छी खेती हो. हर वर्ष अमूमन यहीं देखा जाता है कि रज पर्व के दो-चार दिन आगे- पीछे ही मानसून क्षेत्र में दस्तक देती है. रज पर्व के दौरान बारिश होने को शुभ संकेत माना जाता है.

साल का पहला पर्व है रज

ओड़िया पंचाग के अनुसार, साल का पहला महत्वपूर्ण पर्व है रजत्सला संक्रांति. रज संक्रांति के नाम से जाने जाने वाला यह लोकपर्व कहीं दो तो कहीं तीन दिनों तक मनाया जाता है. ओडिया समुदाय के लोग रज पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं. रज पर्व विशुद्ध रूप से महिलाओं को समर्पित है. रज पर्व में महिलाओं के झूला झूलने की वर्षों पुरानी परंपरा है.

सरायकेला-खरसावां जिला के ओड़िया बहुल गांवों में यह परंपरा अब भी कायम है. पेड़ों में रस्सी लगा कर झूला बनाने व झूला को विभिन्न तरह के फूलों से सजा कर झूलने की परंपरा है. कई जगह पर पारंपरिक तरीके से लकड़ी का झूला बना कर महिलाएं झूलती हैं. झूलों को फूलों से सजाया जाता है. इस वर्ष लोग ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घर के आंगन में रस्सी का झूला बना कर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए झूला झूलते नजर आ रहे हैं.

Also Read: हसीन वादियों के बीच बसा है केवना गांव, परंतु यहां की हालत बदतर है, कोरवा जनजाति का हक मार रहे सरकारी मुलाजिम
रज गीत गाकर महिलाओं के झूला झूलने की है परंपरा

रज पर्व में झूला झूलने के दौरान महिलाएं सामूहिक रूप से रज गीत गाती है. रज पर्व के लिए खासतौर पर ओड़िया भाषा में रज गीत भी तैयार किया जाता है. बनस्ते डाकिला गज, बरसकु थोरे आसे रे रज, आसिछी रज लो घेनी नुआ सजो बाजो…, पाचीला इंचो कली, बेकोरे नाइची गजरा माली, गजरा माली लो झुलाओ रज र दोली…, दोली हुए रट रट, मो भाई मुंडरे सुना मुकुटो, सुना मुकुट लो दिसु थाये झट झट…, कट कट हुए दोली, भाउजो मन जाइछी जली, जाइछी जली लो, लो भाई विदेशु नइले बोली…आदि गीत ओड़िया लोकगीत विशेष रूप से रज पर्व के लिए तैयार किये गये हैं. महिलाएं एवं युवतियां झूला झूलने के दौरान सामूहिक रूप से ये रज गीत गाती है.

पान खाने की परंपरा

रज पर्व पर घरों में कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं. चावल को ढेंकी से कूट कर चूर्ण बनाया जाता है. इसके बाद इस चावल के चूर्ण से तरह-तरह के पीठा तैयार किये जाते हैं. पीठा को प्रसाद चढ़ाने के साथ लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. रज संक्रांति के दौरान पान खाने की भी परंपरा है. वहीं, इस मौके पर घरों में विशेष रूप से चावल के चूर्ण से अल्पना भी तैयार की जाती है.

Posted By : Samir Ranjan.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें