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ED का धनबाद में छापा नहीं है 1 दिन का खेल, महीने भर पहले से की जा रही थी रेकी

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इडी की कार्रवाई से कोयला कारोबारियों में हड़कंप मच गया है, लेकिन कार्रवाई अचानक नहीं हुई है. इसके लिए इडी एक माह से आउटर्सोसिंग कंपनियों की रेकी कर रही थी. इनका फोकस था कि कैसे कोयला कारोबारी कुछ वर्षों में ही मालामाल हो गये.

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धनबाद: इडी की कार्रवाई से यहां के कोयला कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है. सूत्रों के अनुसार इडी की टीम पिछले एक माह से धनबाद में रह कर विभिन्न आउटर्सोसिंग कंपनियों की रेकी कर रही थी. इन कंपनियों के बैंक खातों से हुए ट्रांजेक्शन की जानकारी ली. साथ ही इन कंपनियों से जुड़े निदेशक व उनके नजदीकी रिश्तदारों से लेन देन की जानकारी इकठ्ठा की गयी.

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कंपनियों के निदेशकों की अन्य व्यवसाय के संबंध में भी पड़ताल की गयी. फोकस यह था कि पिछले कुछ वर्षों में कैसे इन कंपनियों के मालिक माला-माल हुए. क्या वास्तविक कारोबार के अनुसार टैक्स दे रहे थे या नहीं. इसके लिए सभी का आयकर विभाग से भी सहयोग लिया गया. धनबाद के अलावा कोलकाता के विभिन्न आयकर परिक्षेत्रों में रिटर्न फाइल करने वाली वैसी कंपनियों का भी रिकॉर्ड देखा गया जो धनबाद एवं आस-पास के इलाका में काम करते हैं.

कोयला के साथ-साथ रियल इस्टेट में किया करोड़ों का निवेश :

सूत्रों के अनुसार इडी की जांच में पता चला कि कोयला के बड़े कारोबारियों ने यहां कोयला के साथ-साथ रियल इस्टेट में बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपये निवेश किया है. बहुत सारे काराबारियों ने ज्यादातर राशि हवाला कारोबार के जरिये लगाया है.

Also Read: झारखंड में ED की बड़ी कार्रवाई, रांची ‍‍‍व धनबाद में छापामारी, कोयला आउटसोर्सिंग कंपनियों के ऑफिस सील

बैंकों से लेन-देन वास्तविक कारोबार के मुकाबले काफी कम है. छापेमारी को अवैध कोयला खनन से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार अवैध खनन में भी यहां के कई कारोबारियों की भूमिका संदिग्ध मिली है. अवैध खनन में हर माह करोड़ों रुपये का लेन-देन होता रहा है.

अब तक सीबीआइ, आयकर ही करती रही है कार्रवाई :

धनबाद में अब तक कोयला या बड़े कारोबारियों के यहां सीबीआइ या आयकर विभाग ही कार्रवाई करती रही है. एक-दो मामलों में एनआइए ने भी कार्रवाई की है. यह पहली बार है कि इडी ने एक साथ धनबाद में इतने कोयला कारोबारियों के यहां छापेमारी की है.

आउटसोर्सिंग कंपनियों को जानें, कौन क्या काम करती है?

धनसार इंजीनियरिंग (डेको)

उक्त कंपनी के मालिक मनोज अग्रवाल व पुत्र हर्ष अग्रवाल हैं. जानकारी के मुताबिक बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग की नींव इसी कंपनी ने रखी थी. ऐसा कह सकते हैं कि धनबाद की यह पहली आउटसोर्सिंग कंपनी है. इस कंपनी ने वर्ष 2003 में बीसीसीएल के खास कुसुंडा में कोयला खनन शुरू किया था. आज यह कंपनी न सिर्फ बीसीसीएल, बल्कि कोल इंडिया की अन्य अनुषंगी कंपनियों में भी आउटसोर्सिंग कार्य कर रही है.

हिल टॉप हाइराइज

इस कंपनी के मालिक आलोक अग्रवाल हैं. उक्त कंपनी बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया, सिजुआ व बरोरा एरिया में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कोयला व ओबी के खनन कार्य कर रही है. इस कंपनी का कोल इंडिया के अन्य अनुषंगी कंपनियों में कार्य चल रहा है.

देव प्रभा

इस कंपनी के मालिक एलबी सिंह व उनके भाई कुंभनाथ सिंह है. इनकी कंपनी बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग के अलावा ट्रांसपोर्टिंग समेत अन्य कार्यों में लगी हुई है. वर्तमान में बीसीसीएल के बस्ताकोला, लोदना व इजे एरिया में कोयला खनन व ट्रांसपोर्टिंग के कार्य कर रही है. साथ ही कोयला ट्रांसपोर्टिंग कार्य भी कर रही है. सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन के टासरा में कोयला खनन व ट्रांसपोर्टिंग कार्य चल रहा.

जीटीएस ट्रांसपोर्ट

इस कंपनी के मालिक गुरुपाल सिंह हैं. उक्त कंपनी बीसीसीएल आउटसोर्सिंग के साथ-साथ कोयला ट्रांसपोर्ट की बड़ी कंपनियों में से एक है. एक समय था, जब बीसीसीएल के कुसुंडा, बस्ताकोल, इजे, पीबी एरिया के साथ-साथ सेल में चासनाला व जीतपुर कोलियरी के ट्रांसपोर्टिंग कार्यों पर जीटीएस का एकछत्र राज हुआ करता था. वर्तमान में यह कंपनी इजे एरिया में आउटसोर्सिंग का काम कर रही है. जबकि बस्ताकोला व कुसुंडा में ट्रांसपोपोर्टिंग कार्य में लगी हुई है.

संजय उद्योग

इसके मालिक संजय खेमका हैं. उक्त कंपनी बीसीसीएल के कई एरिया में कोयला ट्रांसपोर्टिंग के साथ-साथ आउटसोर्सिंग के माध्यम से कोयला व ओबी के खनन कार्य में लगी हुई है. खास कर बरोरा, ब्लॉक-टू, सिजुआ, पीबी एरिया आदि. इसके अलावा संजय खेमका होटल व रियल इस्टेट के कारोबार से भी जुड़े हुए हैं.

Posted by: Sameer Oraon

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