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ED और CBI रेड पर भड़के भूपेश बघेल, कहा- छत्तीसगढ़ की खदानों को अपने मित्रों को देना चाहती है केंद्र सरकार

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छत्तीसगढ़ में ईडी की दबिश से प्रदेश में हड़कंप मचा है. शुक्रवार को रायपुर में कांग्रेस नेता और प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के घर ईडी की टीम ने रेड किया. इसके अलावा आईएएस रानू साहू के घर भी ईडी की टीम ने छापा मारा. इधर, सीएम बघेल ने रेड को लेकर केन्द्र पर हमला बोल दिया है.

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छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार पर हमला बोला है. प्रदेश में हुई ईडी और आईटी रेड पर बोलते हुए उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है और सबसे अधिक ईडी (ED) और आईटी (IT) के छापे अगर पड़े हैं तो छत्तीसगढ़ में पड़े हैं. उन्होंने कहा है कि इन छापों का मतलब मुझे जो समझ आ रहा है वह यह है कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की खदानों को अपने मित्रों को देना चाहते हैं. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED, ईडी) ने धनशोधन के एक मामले में जांच के तहत छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारियों और कांग्रेस के एक नेता के साथ-साथ हवाला ऑपरेटरों के परिसरों पर बीते दिन शुक्रवार को छापेमारी की.

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रेड से मची हड़कंप
छत्तीसगढ़ में ईडी की दबिश से प्रदेश में हड़कंप मचा है. शुक्रवार को रायपुर में कांग्रेस नेता और प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के घर ईडी की टीम ने रेड किया. इसके अलावा आईएएस रानू साहू के घर भी ईडी की टीम ने छापा मारा. वहीं, रायपुर के अलावा कोरबा जिले में भी ईडी की टीम ने रेड किया. ईडी की टीम ने राज्य के ठेकेदारों और हवाला डीलर के रामपुर और अन्य शहरों में 15 से ज्यादा जुड़े परिसरों पर तलाशी ली गई. बता दें, रायगढ़ की कलेक्टर रह चुकीं रानू साहू फिलहाल राज्य कृषि विभाग में निदेशक हैं. कथित कोयला घोटाला मामले की जांच के तहत ईडी ने पिछले दिनों साहू के खिलाफ छापेमारी कर उनकी संपत्ति भी कुर्क की थी. रायपुर में आईएएस अधिकारी साहू और अग्रवाल तथा कोरबा में कोरबा नगर निगम आयुक्त प्रभाकर पांडे के आवास के बाहर केंद्रीय अर्धसैनिक बल के कर्मी नजर आए.

ईडी और सीबीआई की रेड
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संघीय एजेंसी की ओर से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA, पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज करने के बाद एजेंसी की ओर से यह कार्रवाई की गई है. हालांकि छापेमारी किस मामले की जांच के सिलसिले में की जा रही है, यह स्पष्ट नहीं है लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह कथित चावल घोटाले से जुड़ी हो सकती है. एजेंसी राज्य में कथित कोयला लेवी और शराब घोटाले की भी जांच कर रही है, जिसमें उसने नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के अलावा आईएएस अधिकारियों सहित कुछ प्रमुख नौकरशाहों को गिरफ्तार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीते  18 जुलाई को ईडी से कहा था कि वह छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले की जांच में हर तरह से संयम बनाए रखे.

कैग ने छत्तीसगढ़ में अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी में खामियां उजागर की
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए निर्धारित उपायों का पालन नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को विधानसभा में कैग की यह रिपोर्ट पेश की. इसमें राज्य के खनन विभाग को पर्याप्त जनशक्ति और निरीक्षण के उचित रिकॉर्ड का रखरखाव करके निर्धारित मानदंडों के अनुरूप खदानों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करने की बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ कोयला, लौह अयस्क और डोलोमाइट जैसे प्रमुख खनिजों का अग्रणी उत्पादक है और इसमें बॉक्साइट और चूना पत्थर के भी काफी भंडार हैं. राज्य में 37 प्रकार के लघु खनिज पाये जाते हैं. एक अप्रैल, 2021 तक राज्य में कुल 1,957 लघु खनिज खदान पट्टे स्वीकृत किए गए थे.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि 2015 से 16 और 2020 से 21 के दौरान गौण खनिज से राज्य सरकार को प्राप्त रॉयल्टी 1438.67 करोड़ रुपये थी. यह खनन से कुल राजस्व प्राप्तियों 30606.89 करोड़ रुपये का 4.70 फीसदी थी. ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए खनन विभाग की ओर से निर्धारित उपायों का अनुपालन नहीं किया जा रहा था. खदान पट्टों के व्यापक डेटाबेस का अभाव होने के साथ खदान पट्टा क्षेत्र के सीमांकन को इंगित करने के लिए सीमा स्तंभ/ सीमा चिह्न भी गायब थे. इस वजह से स्वीकृत पट्टा क्षेत्रों से इतर की खनन गतिविधियों की पहचान नहीं हो पाई.खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए स्थापित चेक पोस्टों की संख्या अपर्याप्त पाई गई और स्थापित चेक पोस्ट भी तौल-कांटे की सुविधा से लैस नहीं थे.

रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के प्रशासकीय प्रतिवेदन के अनुसार खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण के नए पंजीकृत मामलों की संख्या वित्त वर्ष 2015-16 के 3756 से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 5410 हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेत खनन की निगरानी में कमी पाई गई और विभाग रॉयल्टी की चोरी और पर्यावरण मंजूरी शर्तों के गैर अनुपालन को रोकने में विफल रहा. कैग ने सुझाव दिया कि शासन को सतत रेत खनन तरीकों को अपनाना चाहिए और पर्यावरण मंजूरी की शर्तों और नियमों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रेत खनन गतिविधियों की नियमित निगरानी के लिए निर्देश भी देने चाहिए.

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