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धनबाद में पेय जलापूर्ति योजनाओं का हाल बुरा, 7 वर्षों से झेल रहे परेशानी, इन गांवों को मिलनी है सुविधा

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बलियापुर में ग्रामीण पेयजल योजना को वर्ष 2019 में ही पूरा करना था, पर एजेंसी उसे अब तक पूरा नहीं कर सकी है. धोखरा व परसिया के लोग शहर-ग्रामीण के चक्कर में पेयजल से वंचित हैं.

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धनबाद में जलापूर्ति योजनाओं का हाल बुरा है. विभागीय अधिकारी व अभियंताओं की शिथिलता के कारण धनबाद जिले में आम लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. दर्जनों जलापूर्ति योजनाएं सात वर्षों के बाद भी मूर्त रूप नहीं ले सकी हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चक्कर में लोग तबाह हैं. इन योजनाओं में बलियापुर ग्रामीण पेयजल योजना तथा गोविंदपुर-निरसा दक्षिणी व उत्तरी जलापूर्ति योजना शामिल हैं.

बलियापुर में ग्रामीण पेयजल योजना को वर्ष 2019 में ही पूरा करना था, पर एजेंसी उसे अब तक पूरा नहीं कर सकी है. धोखरा व परसिया के लोग शहर-ग्रामीण के चक्कर में पेयजल से वंचित हैं. इसी तरह दूसरी जलापूर्ति योजनाओं का हाल भी बुरा है.

योजना शुरू हुए सात साल बीते, फिर भी नहीं मिला पानी :

बलियापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना से अंचल के 68 गांवों में जलापूर्ति की जानी है. वर्ष 2016 में योजना प्रारंभ हुई थी. इसे फरवरी 2018 में पूरा करना था, लेकिन सात वर्ष बीतने के बाद भी लोगों को पानी मुहैया नहीं कराया जा सका. योजना के फेज वन में 42 गांवों के 16342 परिवारों को जलापूर्ति की जानी है. इस योजना के लिए 74 करोड़ 53 लाख रुपये की निविदा प्रकाशित हुई थी.

दामोदर नदी से पानी का उठाव कर उसे शीतलपुर में ट्रीटमेंट प्लांट बना वहां ले जाना था. इस योजना का काम श्रीराम इपीसी लिमिटेड, चेन्नई को दिया गया. फेज टू का काम श्याम इंजीनियरिंग कंपनी कर रही है. फेज एक में पांच जलमीनार क्रमश: शीतलपुर, बाघमारा, ब्रह्मणडीहा, आमझर और दुधिया में तथा फेज टू का ट्रीटमेंट प्लांट कुसमाटांड़ में बन रहा है. अभी इस योजना में चार जलमीनार का निर्माण किया गया है, जबकि सोलर टंकी से पानी नदारद है. इलाके के कुआं व तालाब सूख गये हैं. आदमी ही नहीं जानवरों को भी पानी नसीब नहीं हो रहा है.

इस साल भी गोविंदपुर-निरसा को नहीं मिलेगा पानी

गोविंदपुर-निरसा कलियासोल व एग्यारकुंड प्रखंड के लोगों को इस साल भी जलापूर्ति योजना से पानी नहीं मिल पायेगा. निरसा-गोविंदपुर दक्षिण ग्रामीण जलापूर्ति योजना व निरसा-गोविंदपुर उत्तर ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम मेसर्स टहल कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव को दिया गया था. बाद में टहल के संचालक ने हाथ खड़े कर दिये.

डीएमएफटी फंड से मैथन डैम व पंचेत डैम में इंटेकवेल व दक्षिण के कालापत्थर तथा उत्तर के देवियाना में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य अधूरा रह गया. निरसा गोविंदपुर उत्तर के लिए 23317.30 लाख रुपये व दक्षिण के लिए 48397.45 लाख रुपये का प्राक्कलन बना था. संवेदक को 152 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

योजना के तहत इन गांवों को मिलनी है सुविधा

निरसा-गोविंदपुर उत्तर योजना में नेताजी नगर, काशीटांड़, रामकनाली, कानाटांड़, असना, मोहनपुर, गोविंदपुर वेस्ट, महुबनी, शहरजोरी, मयूरनचना, काशीटांड़, छाताटांड़, तिलैया, उदयपुर, जेलगोरा, सहरा व निरसा-गोविंदपुर दक्षिण योजना में शिवलीबाड़ी, गोगना, पंचमोहली, लोधरिया, मर्मा, झिरका, कुरकुरी, पिंडराहाट, छोटाअंबोना, जामकुदर, बड़ा नवाटांड़ व डुमरिया में जलमीनार का निर्माण प्रस्तावित है.

फैक्ट्री संचालकों की पौ-बारह

निरसा गोविंदपुर क्षेत्र के जनमानस को शुद्ध पेयजल मिले इसकी चिंता किये बगैर जीटी रोड के किनारे व दो से पांच किलोमीटर के दूरी तक के हार्डकोक भठ्ठों व फैक्ट्रियों को पानी की किल्लत नहीं है. मैथन से भेलाटांड़ तक विस्तारित पाइप लाइन से हार्डकोक भठ्ठा व फैक्ट्री संचालकों को पौबारह है. एक टोले के लोगों ने पेयजल के कनेक्शन लेने के आवेदन दिया, नगर आयुक्त ने आदेश जारी कर दिया कि शहरी क्षेत्र की पाइप लाइन से ग्रामीण क्षेत्र के एक भी घर में नया कनेक्शन नहीं जोड़ा जायेगा. लेकिन सच्चाई यह है कि मैथन डैम से जितना पानी आपूर्ति होता है उसका 40 प्रतिशत पानी भी भेलाटांड़ नहीं पहुंच पाता, इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती.

अधिकारियों की लापरवाही की वजह से धनबाद जिले के आमजनों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा हैं. कई जलापूर्ति योजनाएं सात वर्षों के बाद भी मूर्त रूप नहीं ले सकी हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग प्रमंडल एक और दो में फंस कर लोग तबाह हैं. बलियापुर में ग्रामीण पेयजल योजना को 2019 में पूरा करना था, एजेंसी अब तक पूरा नहीं कर सकी है. धोखरा व परसिया के लोग शहरी-ग्रामीण के चक्कर में पेयजल से वंचित हैं.

रमेश कुमार राही, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, भाजपा, झारखंड

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