21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

योग जरूर करें, पर सावधानी बरतना न भूलें

Advertisement

योग हमारी जीवनशैली में बदलाव ले आता है. परंतु इसे लेकर एक संपूर्ण और समग्र योजना की अभी कमी है. योग को दिनचर्या में शामिल करने पर एक व्यक्ति को कितना खाना चाहिए, उसे किस तरह का अभ्यास करना चाहिए.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जन स्वास्थ्य के लिये वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का अपना अलग महत्व है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इन पर ध्यान देता है और मानता है कि उन सभी पद्धतियों को अपनाया जाना चाहिए जो कम दाम में प्रभावी उपचार कर सकती हैं. जन स्वास्थ्य का बुनियादी सिद्धांत व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ उपचार उपलब्ध कराना है. इस लिहाज से योग को प्रोत्साहन देने के लिए राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. इन प्रयासों का उद्देश्य यह है कि लोगों का ध्यान व्यायाम की तरफ जाए और इसका लाभ उन्हें मिले.

- Advertisement -

योग हमारी जीवनशैली में बदलाव ले आता है. परंतु इसे लेकर एक संपूर्ण और समग्र योजना की अभी कमी है. योग को दिनचर्या में शामिल करने पर एक व्यक्ति को कितना खाना चाहिए, उसे किस तरह का अभ्यास करना चाहिए, कितने घंटे करना चाहिए, इसे लेकर एक निश्चित योजना का अभाव दिखता है. जबकि इसकी तुलना में आधुनिक विज्ञान में व्यायाम को लेकर कहीं अधिक स्पष्टता है. मेडिकल साइंस में छात्रों को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, साइकोलॉजी, पैथोलॉजी जैसे विषय पढ़ाये जाते हैं.

इसके बाद फिजिकल मेडिसिन की पढ़ाई होती है जिसमें शरीर की हड्डियों व मांसपेशियों की पूरी समझ के आधार पर पता लगाया जाता है कि उसमें क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं और फिर उसे ठीक किया जाता है. कौन सी नस कहां से निकलती है और कहां जाती है, सब कुछ विस्तार से बताया जाता है. अच्छी तरह अध्ययन करने के बाद ही उपचार किया जाता है. इतना ही नहीं, यहां फिजियोथेरेपी या ऑक्यूपेशनल थेरेपी के विशेषज्ञ भी होते हैं जो हड्डी रोग विशेषज्ञ के मातहत काम करते हैं. इस लिहाज से आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अत्यंत विकसित विज्ञान है.

मगर योग को लेकर अच्छी बात यह है कि जब इसे बढ़ावा दिया जाता है, तो स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ती है. पर इसे लेकर और स्पष्टता की जरूरत है. जैसे, योग से जुड़े किसी भी अभ्यास को किसी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करना बेहतर होता है. इसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को हर तरह के योगाभ्यास की आवश्यकता नहीं होती. इसके कुप्रभाव भी हो सकते हैं और लोगों की तकलीफ बढ़ सकती है. कुछ योगाभ्यास या मुद्राएं ऐसी होती हैं जो किसी विशेष परिस्थिति में खतरनाक साबित हो सकती है. उदाहरण के लिए- यदि कमर, गर्दन, या जोड़ों की बीमारी है, या यदि कोई बहुत ज्यादा बीमार है और उसे पूरी तरह आराम की आवश्यकता है, तो ऐसी स्थिति में योग विशेषज्ञ के परामर्श के बाद या उसकी निगरानी में ही योग करना बेहतर होता है.

एक और जरूरी बात, यदि योगाभ्यास सामूहिक तौर पर कराया जाता है तो उसमें इसे अवश्य स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कौन सा अभ्यास प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है और किस अभ्यास को किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करना बेहतर होगा, तभी उसका लाभ मिल सकेगा. भारत में जहां बहुत से लोग एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टर से रोगों का उपचार कराते हैं. वहीं कइयों का भरोसा योग पर है और वे इस माध्यम से अपना उपचार करवाते हैं. ऐसे में योग के क्षेत्र में भी नियमित शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए. इस तरह से एलोपैथ व आयुर्वेद की तरह योग की नियमित पढ़ाई करने के बाद इसके छात्र भी दूसरे चिकित्सकों की तरह रोगियों का उपचार कर सकेंगे. योगाभ्यास के प्रभावों के बारे में भी अच्छी तरह अध्ययन किये जाने की जरूरत है. वैज्ञानिक आधार पर इस बात की पुष्टि की जानी चाहिए कि किस परिस्थिति में कौन सा योगाभ्यास सही रहेगा. फिजियोथेरेपी और योगाभ्यासों का सांख्यिकीय मान्यताओं के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है, और उसके बाद निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि दोनों में से उपचार का कौन सा तरीका बेहतर है या दोनों एक समान ही हैं.

डॉक्टर कभी भी किसी मरीज को योग करने या नहीं करने की सलाह नहीं देते हैं. पर योग से कितना लाभ होता है या नहीं होता है, इस बारे में बिना तथ्यों के कुछ भी कहना मुश्किल है. विदेशों की बात करें, तो वहां योग समेत किसी भी चिकित्सा पद्धति पर रोक नहीं लगायी जाती है. वहां उनके अभ्यास की अनुमति होती है, बशर्ते उससे किसी को कोई नुकसान न पहुंचे. योग के संदर्भ में एक सच यह भी है कि इसे लेकर भारत से बाहर जितने प्रयोग हो रहे हैं, यहां उतने नहीं हो रहे हैं. योग को लेकर अभी और शोध किये जाने की जरूरत है. इसके प्रभावों की वैज्ञानिक आधार पर पुष्टि होने से योग के लाभ को और स्पष्टता से बताया जा सकेगा. इससे योग को प्रोत्साहन देने के सरकार के प्रयासों को और बल मिलेगा.

(लेखक सफदरजंग अस्पताल,नयी दिल्ली में चिकित्सक और प्राध्यापक हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें