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गिरिडीह : देवरी के पांच गांवों में काली पूजा का अलग-अलग इतिहास, जानें क्या कुछ है खास

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देवरी प्रखंड के पांच गांव पतरवा, हरियाडीह, मनकडीहा, चिकनाडीह, असको व सलैयाटांड़ (भेलवाघाटी) में काली पूजा होती है. पूजा को लेकर इन गांव के श्रद्धालु उत्साह के साथ तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हैं.

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देवरी प्रखंड के पांच गांव पतरवा, हरियाडीह, मनकडीहा, चिकनाडीह, असको व सलैयाटांड़ (भेलवाघाटी) में काली पूजा होती है. पूजा को लेकर इन गांव के श्रद्धालु उत्साह के साथ तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हैं. दीपावली की मध्य रात्रि में विधि विधान से मां काली की पूजा होगी. प्रखंड के चिकनाडीह गांव स्थित काली मंदिर में एक सौ पांच वर्ष से पूजा हो रही है. बताया जाता है कई दशक पूर्व चिकनाडीह के बद्री पांडेय के साथ राय (घटवार) परिवार मिलकर गांव में सुख, शांति व खुशहाली कायम रखने के लिए मां काली पूजा की शुरुआत की थी, जो अभी भी जारी है. वर्तमान में बद्री पांडेय के पुत्र सुदामा पांडेय के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से पूजा होती है. मूर्तिकार लक्ष्मण पंडित मां काली की प्रतिमा बनायी है. आकर्षक साज सज्जा की गयी है. रविवार की देर रात विधि विधान से मां काली की पूजा की जायेगी. पूजा सफल बनाने को लेकर नेमधारी हजाम, अरविंद पंडित, रंजीत मंडल, संतोष वर्मा, दीपक पंडित, गोलू राय, पंकज कुमार, नवीन पांडेय, अभिषेक दुबे, प्रदीप शर्मा, उपेंद्र शर्मा आदि सक्रिय हैं.

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पतरवा में पूजा का इतिहास सबसे पुराना

देवरी प्रखंड की काली पूजा का सबसे प्राचीन इतिहास पतरवा का है. यहां स्थित मंदिर में एक सौ दस वर्ष से भी अधिक समय पूर्व से विधि विधान से काली पूजा की जा रही है. पूजा के दूसरे दिन यहां पर मेला भी लगता है. पूजा में पतरवा व मनकडीहा गांव के लोग सक्रिय रहते हैं.

हरियाडीह में 16 वर्षों से हो रही है पूजा

हरियाडीह गांव में 16 वर्षों से काली पूजा हो रही है. वर्ष 2006 में स्थानीय ग्रामीणों ने कमेटी गठित कर पूजा की शुरुआत की थी.

मनकडीहा में भी होती है आराधना

प्रखंड के मनकडीहा गांव में छह वर्षों से काली पूजा आयोजित की जा रहा है. यहां पर गांव के परमेश्वर दास ने पूजा की शुरुआत की थी. वर्तमान समय में भी श्री दास ही पूजा का नेतृत्व कर रहे हैं.

सलैयाटांड़ (भेलवाघाटी) में तैयारी पूरी

प्रखंड के असको में पिछले दो वर्ष से कमेटी गठित कर पूजा की जा रही है. पूजा को लेकर आयोजन कमेटी ने दुबे बाबा मंदिर में पंडाल बनाकर प्रतिमा स्थापित की है.

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