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धनबाद : शहर के पांच नालों से निकलने वाले 192 एमएलडी पानी को साफ करने में 2657 करोड़ रुपये खर्च करेगा निगम

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धनबाद नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्र के सीवरेज प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के डीपीआर पर विचार विमर्श के लिए धनबाद क्लब में स्टेक होल्डर्स की बैठक शनिवार को हुई.

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धनबाद नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्र के सीवरेज प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के डीपीआर पर विचार विमर्श के लिए धनबाद क्लब में स्टेक होल्डर्स की बैठक शनिवार को हुई. इसमें धनबाद नगर निगम क्षेत्र से डिस्चार्ज होने वाले सीवरेज के निस्तारण के लिए बनाये गये डीपीआर का प्रेजेंटेशन दिया गया है. यह प्रेजेंटेशन जुडको की कंसल्टेंट एजेंसी एनजेएस कंसल्टिंग इंजीनियरिंग ने दिया. दो चरण में तैयार होने वाले इस प्रोजेक्ट पर कुल 2649 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है. इसमें पहले चरण में 792 करोड़ रुपये खर्च किया जायेगा. पहले चरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसमें 12 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं. दूसरे चरण में कुल 1857 करोड़ रुपये खर्च होना है. इसमें धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-दो में क्या-क्या काम किए जाने हैं, कितनी राशि खर्च होगी, कब काम शुरू होगा, इन मुद्दों पर चर्चा हुई. इस में शहरी क्षेत्र से पांच प्रमुख नालों से दामोदर नदी में प्रतिदिन डिसचार्ज किये जा रहे 192 एमएलडी गंदे पानी को शोधित किया जायेगा. बल्कि इसे दोबारा प्रयोग करने लायक भी बनाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य धनबाद के आस पास दामोदर एवं इसकी सहायक नदियों को प्रदूषित होने से बचाना है. भविष्य में शोधित किए जाने वाले इस पानी का व्यावसायिक उपयोग भी किया जाएगा.

पांच ट्रीटमेंट प्लांट बनेंगे

एजेंसी ने प्रेजेंटेशन में बताया कि शहरी क्षेत्र का गंदा पानी दामोदर नदी में डिस्चार्ज करने वाले पांच प्रमुख नालों के ऊपर पांच ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जायेंगे. दूसरे चरण में इनमें से दो सबसे बड़े ट्रीटमेंट प्लांट के पास मलमूत्र के निस्तारण के लिए दो बड़े प्लांट के पास दो बायो गैस पावर प्लांट बनाने की योजना है. एनजेएस के अधिकारियों को नालों के गंदा पानी को बायो तकनीक से शोधित किया जायेगा. इसे इतना साफ बनाया जायेगा कि इसमें बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 10 तक होगा. फिर इस शोधित पानी को पावर प्लांट को बेचा जा सकेगा. इससे निगम को आय भी होगी. इस दौरान सांसद पीएन सिंह, झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, उपायुक्त वरुण रंजन और नगर आयुक्त रविराज शर्मा ने बेहतर सीवरेज सिस्टम के लिए अपने सुझाव भी दिये.

2024 के अंत तक योजना पर शुरू होगा काम

धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट पर 2024 अंत तक इस योजना के शुरू होने की संभावना है. इसे पूरा होने में तीन से चार वर्ष का समय लगेगा. एमजेएस के अधिकारियों के अनुसार 2028 में धनबाद सीवरेज सिस्टम धरातल पर काम करने लगेगा. सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए निगम क्षेत्र के 55 वार्ड को पांच जोन में बांटकर डीपीआर बनाया गया है. एजेंसी के अनुसार धनबाद की आबादी की वर्तमान वृद्धि दर से मिड इयर यानी 2041 एवं अल्टीमेट इयर 2056 तक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट तैयार किया जायेगा. वर्ष 2054 तक 234 एमएलडी गंदा पानी निकलेगा. एनजेएस की ओर से जीएम झारखंड बाला अंकैया व निदेशक योगेश्वर गोखले ने प्रेजेंटेशन दिया. कार्यक्रम का संचालन निगम का ब्रांड एंबेसडर शांभवी सिंह ने किया. इस अवसर पर जुडको के रामाशीष रजक, एनजेएस के डिजाइन इंजीनियर आनंद तिवारी, पर्यावरण विशेषज्ञ सुरेश खंडूरी, अपर नगर आयुक्त महेश्वर महतो, सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार, प्रसून कौशिक एवं सभी सिटी मैनेजर उपस्थित थे.

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पहले चरण में बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट और एसटीपी

धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट के पहले चरण में पर 792 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इस योजना के अंतर्गत नगर निगम क्षेत्र से हर दिन निकलने 192 एमएलडी गंदे पानी को दामोदर व अन्य नदियों में जाने से रोका जायेगा. इसके लिए नदियों के किनारे पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर गंदा पानी एकत्रित किया जायेगा. फिर इसे शोधित कर दामोदर व उसकी सहायक नदियों में छोड़ दिया जायेगा. इसमें लिए पांच जगह एसटीपी बनेगा. इसमें कतरी नदी रामपुर में 18 एमएलडी, वासुदेव नदी पांडरकनाली में 21, मटकुरिया नाला जामाडोबा में 75, जोरिया नाला परसबनिया में 60 और गोविंदपुर-बलियापुर नाला धांगी में 18 एमएलडी यानी पांचों को मिलाकर 192 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनाया जाएगा. प्रथम चरण की योजना पर नमामि गंगे के अंतर्गत राशि खर्च होगी.

धनबाद सीवरेज प्रोजेक्ट फेज-दो में 800 किमी की सीवर लाइन

दूसरे चरण की योजना में निगम के सभी 55 वार्ड के प्रत्येक घर को सीवर लाइन से जोड़ा जायेगा. पूरे निगम क्षेत्र में लगभग 800 किमी की सीवर लाइन बिछायी जायेगी. यह सीवर लाइन पहले चरण के तहत बनने वाले पांचों एसटीपी से जोड़ा जायेगा. इसी सीवर लाइन के माध्यम से प्रत्येक घर से निकलने वाले गंदा पानी व मलमूत्र सीवर लाइन से होता हुआ प्लांट जायेगा. यहां इसे शोधित कर दामादोर नदी में प्रवाहित कर दिया जायेगा. भविष्य की योजना के अनुसार इसे दोबारा प्रयोग में भी लाया जायेगा. दूसरे चरण की योजना पर एशियन डेवलपमेंट बैंक और डिस्ट्रिक्ट माइनिग फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) से खर्च होगी. इसमें अंडरग्राउंड सीवर पाइपलाइन, घर-घर कनेक्शन, सीवेज पंपिंग स्टेशन, सीवेज कलेक्शन आदि काम होगा. जहां सीवर लाइन बिछाने में दिक्कत होगी वहां सेप्टिक टैंक बनेंगे. यहां से सीवेज निकालकर प्लांट तक पहुंचाने का काम टैंकर के माध्यम से किया जायेगा.

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