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देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह 15 नवम्बर को, यह है कारण, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पारण समय

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कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 15 नवंबर दिन सोमवार को है. इस दिन को देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इसी दिन तुनसी विवाह उत्सव का आयोजन भी किया जाएगा. पंडित कौशल मिश्रा ने बताया कि एकादशी दो प्रकार की होती है. (1)सम्पूर्णा (2) विद्धा.

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एकादशी दो प्रकार की होती है- (1)सम्पूर्णा (2) विद्धा.

सम्पूर्णा: जिस तिथि में केवल एकादशी तिथि होती है अन्य किसी तिथि का उसमे मिश्रण नहीं होता उसे सम्पूर्णा एकादशी कहते हैं.

विद्धा एकादशी : यह एकादशी पुनः दो प्रकार की होती है

(1) पूर्वविद्धा (2) परविद्धा

पूर्वविद्धा:- दशमी मिश्रित एकादशी को पूर्वविद्धा एकादशी कहते हैं. यदि एकादशी के दिन अरुणोदय काल (सूरज निकलने से 1घंटा 36 मिनट का समय) में यदि दशमी का नाम मात्र अंश भी रह गया तो ऐसी एकादशी पूर्वविद्धा दोष से दोषयुक्त होने के कारण वर्जनीय है. यह एकादशी दैत्यों का बल बढ़ाने वाली है. पुण्यों का नाश करने वाली है.

पद्मपुराण में वर्णित है-

वासरं दशमीविधं दैत्यानां पुष्टिवर्धनम।

मदीयं नास्ति सन्देह: सत्यं सत्यं पितामहः।।

दशमी मिश्रित एकादशी दैत्यों के बल बढ़ाने वाली है इसमें कोई भी संदेह नही है।”

परविद्धा:-द्वादशी मिश्रित एकादशी को परविद्धा एकादशी कहते हैं!

द्वादशी मिश्रिता ग्राह्य सर्वत्र एकादशी तिथि:

“द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण करने योग्य है।”

इसलिए भक्तों को परविद्धा एकादशी में ही एकादशी व्रत रखना चाहिए. ऐसी एकादशी का पालन करने से भक्ति में वृद्धि होती है. वहीं दशमी मिश्रित एकादशी व्रत करने से तो पुण्य क्षीण होता है.

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संध्या काल में करें तुलसी उत्सव का आयोजन

-15 नवंबर दिन सोमवार को संध्या काल में तुलसी विवाह उत्सव का आयोजन करें.

– तुलसी के गमले में शालीग्राम भगवान को साथ रखें.

– गन्ने से मंडप बनाएं.

– फूलों से मंडप सजाएं.

– तुलसी माता को श्रृंगार के सामन चढ़ाएं. लाल चुनरी ओढ़ाएं.

– तुलसी और शालीग्राम का गठबंधन करें और फेर लगवाएं.

– फल-मिठाईयों का भोग लगाएं.

– प्रत्येक विवाहित स्त्री को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए तुलसी विवाह का आयोजन जरूर करना चाहिए.

– ऐसा भी माना जाता है कि दांपत्य जीवन में अगर परेशानी आ रही हो तो तुलसी विवाह उत्सव विधि-विधान से संपन्न कराने से परेशानी दूर होती है.

एकादशी व्रत करने वाले इस समय करें पारण

15 नवंबर दिन सोमवार को एकादशी व्रत करने वाले अगले दिन यानी 16 नवंबर दिन मंगलवार को सुबह 9 बजे के बाद व्रत का पारण करें.

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