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Jharkhand News: देसी गायों से प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा, होगी अच्छी पैदावार

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देसी गाय पालने से किसान प्राकृतिक खेती करके बिना रसायनयुक्त अनाज ज्यादा से ज्यादा उगा सकेंगे. खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा. उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी. केंचुआ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी. अच्छी उपज से किसानों की आय भी बढ़ेगी.

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Jharkhand News: 18वीं-19वीं सदी में ज्यादातर किसानों के घरों में गाय और बैल हुआ करता था. उस समय किसान अपने खेतों में गाय का गोबर और गौमूत्र डालकर प्राकृतिक खेती करते थे. इससे न सिर्फ अच्छी उपज होती थी, बल्कि बीमारियों से भी वे दूर रहते थे. रासायिनक खाद का प्रयोग वे नहीं करते थे. कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को देसी गाय पालना होगा, ताकि केमिकल की जगह खेतों में गाय का गोबर व गौमूत्र का प्रयोग किया जा सके.

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प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को पालना होगा देसी गाय

कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अमृत कुमार झा ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को देसी गाय पालना होगा और उसका गोबर और गौमूत्र खेतों में डालना होगा. खेतों में इनका उपयोग करना होगा. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और खेतों में केंचुआ की संख्या में वृद्धि होगी. खेतों में केंचुआ की संख्या में वृद्धि होने से उर्वरा शक्ति बनने के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ेगी. बिना केमिकल (रासायनिक खाद) का अनाज ज्यादा से ज्यादा उगेगा. बीमारी से भी छुटकारा मिलेगी.

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प्राकृतिक खेती से अच्छी उपज

केंचुआ के खेतों में बढ़ने से धरती के अंदर पानी रिचार्ज भी होगा. केंचुआ खेती को उपजाऊ बनाने के साथ-साथ धरातल में पानी को रिचार्ज भी करता है. खेतों में पर्याप्त नमी, खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने, उपजाऊ भूमि के साथ-साथ धरातल में पानी को रिचार्ज करता है. देसी गाय पालने से किसान प्राकृतिक खेती करके बिना रसायनयुक्त अनाज ज्यादा से ज्यादा उगा सकेंगे. खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा. उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी. केंचुआ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी. अच्छी उपज से किसानों की आय भी बढ़ेगी.

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रिपोर्ट : नवीन कुमार, साहिबगंज

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