18.8 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 09:32 am
18.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Criminal Justice Season 3 Review: मनोरंजक लेकिन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी पकंज त्रिपाठी की वेब सीरीज

Advertisement

क्रिमिनल जस्टिस वेब सीरीज न्याय व्यवस्था की मुश्किल भरी राहों को दिखाने के साथ-साथ यह दिखाता है कि आया है कि जिसे दोषी समझा जा रहा है असल में वही पीड़ित है.यह सीरीज भी इसी मूल ढांचे में फिट है. सीरीज की शुरुआत एक परिवार से होती है. जिनकी बेटी जारा (देशना) एक प्रसिद्ध बाल कलाकार है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

फ़िल्म- क्रिमिनल जस्टिस अधूरा सच (वेब सीरीज)

- Advertisement -

निर्माता-बीबीसी स्टूडियो और अप्पलॉज एंटरटेनमेंट

निर्देशक-रोहन सिप्पी

कलाकार-पंकज त्रिपाठी,श्वेता बासु प्रसाद, स्वस्तिका मुखर्जी, पूरब कोहली,आदित्य गुप्ता,देशना

प्लेटफार्म-डिज्नी प्लस हॉटस्टार

रेटिंग- ढाई

वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस का यह तीसरा सीजन है.फ्रेंचाइजी कहानियों के सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि बीते सीजन्स के साथ ही उनका सीधा मुकाबला रहता है. इस मुकाबले में क्रिमिनल जस्टिस का तीसरा सीजन पिछले दोनों सीजनों के मुकाबले उन्नीस साबित हुआ है.कुलमिलाकर यह सीरीज आपको शुरुआत से अंत तक बांधे रखते हुए मनोरंजन तो करती है लेकिन उस उम्मीद पर खरी नहीं उतरती है.जो इस फ्रेंचाइजी की खासकर पहले सीजन ने जगायी थी.

जुविनाइल जस्टिस सिस्टम पर फोकस करती कहानी

क्रिमिनल जस्टिस वेब सीरीज न्याय व्यवस्था की मुश्किल भरी राहों को दिखाने के साथ-साथ यह दिखाता है कि आया है कि जिसे दोषी समझा जा रहा है असल में वही पीड़ित है.यह सीरीज भी इसी मूल ढांचे में फिट है. सीरीज की शुरुआत एक परिवार से होती है. जिनकी बेटी जारा(देशना)एक प्रसिद्ध बाल कलाकार है. जिसके पैसों से उसके पूरे परिवार का ऐशो आराम चलता है लेकिन ज़ारा की उसके भाई मुकुल (आदित्य गुप्ता) से नहीं बनती हैं.मुकुल की ड्रग्स और शराब की लत भी है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि ज़ारा का मर्डर हो जाता है और सारे सबूत मुकुल को इस हत्या का जिम्मेदार ठहराते हैं.इस मर्डर के साथ कहानी में यह बात भी सामने आ जाती है कि मुकुल और ज़ारा सौतले भाई-बहन हैं.

मुकुल की मां (स्वस्तिका मुखर्जी) अपने बेटे को बचाने के लिए माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) के पास पहुंचती है. माधव मिश्रा ये केस ले लेता है.पुलिस, मीडिया से लेकर मुकुल के सौतले पिता भी उसे दोषी मान चुके हैं,ऐसे में माधव मिश्रा मुकुल को निर्दोष कैसे साबित करेंगे.यही दो एपिसोडस के बाद की आगे की कहानी है. इस सीरीज की कहानी में विक्टिम और दोषी दोनों ही टीनएज में हैं.ऐसे में टीनएज की मनःस्थिति को सीरीज में दिखाने की अच्छी कोशिश हुई है.माता-पिता के फैसले किस तरह से बच्चों के मेंटल हेल्थ को प्रभावित करते हैं. इस मुद्दे को बखूबी सीरीज में उठाया गया है नए सबूत कोर्ट की बहस इस सीरीज को एंगेज बनाते चलती है. एपिसोड दर एपिसोड यह बात समझ आती है कि जैसा दिख रहा है.वैसा है नहीं.

लेखन रह गया है कमजोर

खामियों की बात करें तो 8 एपिसोड की इस सीरीज में कहानी को जबरदस्ती खींचा गया है.जिस वजह से सीरीज की रफ्तार बीच बीच में धीमी हो गयी है. सस्पेंस फैक्टर भी इस बार सीरीज में कमतर रह गया है.जो किसी भी मर्डर मिस्ट्री की सबसे बड़ी जरूरत है.मुकुल के किरदार का गुस्सैल टीनएजर से जिम्मेदार अचानक से बन जाना अखरता है.अपराधिक घटनाओं पर मीडिया और सोशल मीडिया का ट्रायल यहां भी है. अब दोहराव सा लगते हैं. सीजन 3 बहुत हद तक विक्रांत मेस्सी वाले पहले सीजन की याद कई मौकों पर दिला जाता है. लेखन के अलावा दूसरे पहलुओं पर आए तो संवाद अच्छे बन पड़े हैं.सिनेमेटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक औसत हैं.

Also Read: Exclusive: भीमा भारती का किरदार लाइफटाइम में मिलने वाला किरदार है- सोहम शाह
पंकज त्रिपाठी का दिल जीतने वाला अभिनय

अभिनय की बात करें तो पंकज त्रिपाठी माधव मिश्रा के किरदार में अपने पुराने रंग में ही नज़र आए हैं. मतलब एक बार फिर वो दिल जीत ले जाते हैं. उनके कॉमेडी वन लाइनर्स शो को बीच-बीच में कॉमेडी वाली रिलीफ भी देते हैं. उनकी पत्नी की भूमिका में नज़र आईं अभिनेत्री ने खुशबू अत्रे ने उनका बखूबी साथ दिया है.श्वेता बासु प्रसाद भी उम्दा रही हैं तो स्वस्तिका मुखर्जी ने भी अपने अभिनय से याद रह जाती है. नवोदित अभिनेता आदित्य गुप्ता भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं.पूरब कोहली,गौरव गेरा,देशना सहित बाकी के कलाकारों ने भी अपने हिस्से की भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.

देखें या ना देखें

पंकज त्रिपाठी और सह कलाकारों के अच्छे परफॉर्मेंस की वजह से यह सीरीज एक बार देखी जा सकती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें