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झारखंड का हाल : शिक्षकाें के वेतन पर 22 कराेड़ खर्च, पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को अक्षर ज्ञान भी नहीं

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समग्र शिक्षा अभियान द्वारा विभागीय स्तर पर जिले के विद्यालयों में चलाये जा रहे ज्ञानसेतु एवं ई-विद्यावाहिनी कार्यक्रम के अंतर्गत सर्टिफिकेशन सर्वे में चौंकानेवाले नतीजे सामने आये हैं.

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धनबाद : समग्र शिक्षा अभियान द्वारा विभागीय स्तर पर जिले के विद्यालयों में चलाये जा रहे ज्ञानसेतु एवं ई-विद्यावाहिनी कार्यक्रम के अंतर्गत सर्टिफिकेशन सर्वे में चौंकानेवाले नतीजे सामने आये हैं. जिले के कुल 1,727 सरकारी विद्यालयों (प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक) में से 1,714 विद्यालयों के बच्चों को ढंग से अक्षरों का ज्ञान तक नहीं है. इस सर्वे में जिले के केवल 13 विद्यालय ही कसौटी पर खरे उतरे हैं. इन विद्यालयों के 60 प्रतिशत बच्चों में कक्षा दो तक के कोर्स को समझने और उसे हल करने की क्षमता है. यह सर्वे स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा चलाये जा रहे ज्ञानसेतु कार्यक्रम की वजह से सरकारी विद्यालयों की शिक्षा में होने वाला गुणात्मक सुधार का अध्ययन करना था. सर्वे के नतीजे बताते हैं कि यह ज्ञानसेतु कार्यक्रम बुरी तरह असफल रहा है.

ज्ञानसेतु का उद्देश्य : नीति आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार की स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने वर्ष 2018-19 के दौरान ज्ञानसेतु व ई-वाहिनी कार्यक्रम शुरू किया था. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में पहली कक्षा से लेकर नौवीं तक के बच्चों को दी जाने वाली बुनियादी शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना है. इसके अंतर्गत पिछले वर्ष सितंबर तक स्कूलों में केवल ज्ञानसेतु की कक्षाएं चलायी गयी थीं.

शिक्षकों के वेतन पर करीब 22 करोड़ खर्च : सरकारी विद्यालयों में कार्यरत 6,034 शिक्षकों पर प्रति माह करीब 22 करोड़ रुपये वेतन मद में सरकार खर्च कर रही है. अब यह तमाम खर्च सवालों के घेरे में हैं. इनके साथ ही जिले में शिक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए जिला से प्रखंड स्तर और संकुल स्तर कर व्यवस्था खड़ी की गयी है. इन पर प्रति माह सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति पर सवाल उठाना लाजिमी है.

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