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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव : सिहावा में बीजेपी को फिर श्रवण मरकाम पर भरोसा, 2013 में पहली बार बने थे विधायक

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छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सिहावा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर श्रवण मरकाम पर भरोसा जताया है. वर्ष 2013 में वह पहली बार विधायक बने थे. 2018 में उनका टिकट काट दिया गया था.

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अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सिहावा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने पूर्व विधायक श्रवण मरकाम को टिकट दिया है. वर्ष 2013 में मरकाम पहली बार बीजेपी के टिकट पर छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे थे. वर्ष 2018 में सिहावा (एसटी) सीट से बीजेपी ने पिंकी शिवराज शाह को अपना उम्मीदवार बनाया था. पिंकी शिवराज शाह 45,436 मतों के अंतर से चुनाव हार गईं थीं. कांग्रेस की डॉ लक्ष्मी ध्रुव ने उन्हें पराजित कर दिया था. डॉ लक्ष्मी को 88451 वोट मिले थे, जबकि पिंकी शाह को 43,015 मत प्राप्त हुए थे. वर्ष 2013 में श्रवण मरकाम ने इस क्षेत्र में जीत दर्ज की थी. उस वक्त उन्हें 53,894 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की अंबिका मरकाम को 46,407 मत प्राप्त हुए थे. निर्दलीय प्रत्याशी महेश कुमार देव को 16,753 और जीजीपी के पन्ना लाल कश्यप को 8,130 वोट मिले थे. इस साल क्षेत्र में कुल 1,72,952 वोटर थे. इनमें से 1,41,612 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इस तरह 81.88 फीसदी वोटिंग हुई और इसमें से 38.06 फीसदी वोट श्रवण मरकाम को मिले. अंबिका मरकाम को 32.77 फीसदी, महेश कुमार देव को 11.83 फीसदी और पन्ना लाल कश्यप को 5.74 फीसदी वोट मिले थे.

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श्रवण मरकाम ने 1992 में राजनीति में रखा कदम

धमतरी जला के नगरी तहसील के मुकुंदपुर में 15 फरवरी 1968 को हीराराम मरकाम के घर जन्मे श्रवण मरकाम पर एक बार फिर बीजेपी ने दांव लगाया है. श्रवण मरकाम का विवाह 23 अप्रैल 1994 को अनीता मरकाम से हुआ. उनकी दो संतानें हैं. एक पुत्र और एक पुत्री. 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले श्रवण मरकाम को जनसेवा और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करना अच्छा लगता है. वर्ष 1992 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. बीजेपी की सदस्यता ली. वर्ष 1992 से 1996 तक भाजयुमो मंडल नगरी के मंत्री रहे. वर्ष 2002 से वर्ष 2002 धमतरी जिला के भाजयुमो की जिला कार्य समिति के सदस्य रहे. बीजेपी के सक्रिय सदस्य और वर्ष 2005 तक मुकुंदपुर ग्राम पंचायत के सरपंच भी रहे. इतना ही नहीं, वर्ष 2000 से 2005 तक वह विकासखंड नगरी के सरपंच संघ के सचिव भी रहे.

2002 में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने

वर्ष 2002 में बीजेपी ने उन्हें अनुसूचित जनजाति मोर्चा का जिला अध्यक्ष बनाया. श्रवण मरकाम वर्ष 2007 तक इस पद पर रहे. वर्ष 2003 से वर्ष 2005 तक वह नगरी के गोंडवाना समाज युवा प्रकोष्ठ के कोषाध्यक्ष रहे. वर्ष 2003 से 2004 तक वह गोंडवाना समाज नगरी के महासचिव भी रहे. वर्ष 2004 से 2006 तक वह प्रदेश प्रतिनिधि रहे. जनभागीदारी समिति, शा महाविद्यालय नगरी (निरंतर) के सदस्य भी रहे. वर्ष 2006 में उन्हें रागाशिमि द्वारा अनुमोदित जिला धमतरी (निरंतर) की जिला नियुक्ति समिति का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2006 से 2009 तक वह नगरी-सिहावा उप क्षेत्र के गोंडवाना समाज के उपाध्यक्ष रहे.

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सरपंच और कई संघों के पदाधिकारी रहे हैं श्रवण मरकाम

वर्ष 2009 में वह गोंडवाना समाज सामान्य प्रभाग नगरी (निरंतर) का उपाध्यक्ष बने. वर्ष 2010 में नगरी विकासखंड के सरपंच संघ के अध्यक्ष बने. इसी दौरान वह धमतरी (निरंतर) की जिला कार्यसमिति बीजेपी के सदस्य, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, शाखा-नगरी (निरंतर) के युवा प्रभाग के उपाध्यक्ष, मुकुंदपुर ग्राम पंचायत के सरपंच भी रहे. वर्ष 2011 में श्रवण मरकाम धमतरी जिला के जिला सरपंच संघ के उपाध्यक्ष चुने गए, साथ ही विकासखंड नगरी पंचायत महासंघ के अध्यक्ष भी बने. वर्ष 2012 में नगरी-सिहावा विकासखंड के एकल विद्यालय संचालन समिति के उपाध्यक्ष बने.

2013 में पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे

वर्ष 2013 में श्रवण मरकाम को अस्मिता आयाम (विवेकानंद सार्धशती समारोह 2013-14) शाखा नगरी का संयोजक बनाया गया. वर्ष 2013 में ही वह पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए सिहावा (एसटी) विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए. वर्ष 2014-15 में उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा की पुस्तकालय समिति का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हुई बीजेपी ने एक बार फिर श्रवण मरकाम को टिकट दिया है. बता दें कि पार्टी ने वर्ष 2018 में उनका टिकट काट दिया था.

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