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कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, दिवाली, लोक आस्था का महापर्व छठ, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह प्रमुख हैं. इस महीने में गंगा स्नान करने का भी विधान है. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक महीने में गंगा स्नान करने से साधक द्वारा अनजाने में किए सभी पाप कट जाते हैं.
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छठ का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू हो जाती है. छठ का महापर्व चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है. पंचमी को खरना और षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है. इस दिन सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा की जाती है.
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इस साल छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी, इसका समापन 20 नवंबर 2023 को होगा. छठ पूजा में व्रत रखकर सूर्यदेव और छठी मैय्या की उपासना करने से संतान पर कभी कष्ट नहीं आता.
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17 नवंबर 2023 को नहाय खाय: छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं. व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.
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18 नवंबर 2023 को खरना: खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है. छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है.
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19 नवंबर 2023 को डूबते सूर्य को अर्घ्य : छठ पूजा का तीसरा दिन बेहद खास होता है. इस दिन शाम को अस्तगामी सूर्य यानि डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है.
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20 नवंबर 2023 को उगते सूर्य को अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है. छठ पूजा में मन-तन की शुद्धता बहुत जरुरी है. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं, इसके साथ ही छठ पर्व का समापन होता है.