13.6 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 03:50 am
13.6 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Chaturmas 2022: इस दिन से शुरु होने जा रहा है चातुर्मास, इन दिनों जरूर करें ये काम, होगा बड़ा फायदा

Advertisement

Chaturmas 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस वर्ष चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी 10 जुलाई से कार्तिक शुक्ल एकादशी 4 नवंबर 2022 तक रहेगा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Chaturmas 2022: इस साल चातुर्मास की शुरुआत 10 जुलाई 2022 दिन रविवार को देवशयनी एकादशी से हो रही है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चार माह के लिए चले जाते हैं. फिर देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि योग निद्रा से बाहर आते हैं, तब चातुर्मास का समापन होता है. देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं.

- Advertisement -

चातुर्मास 2022

चातुर्मास का प्रारंभ: 10 जुलाई, दिन रविवार, देवशयनी एकादशी से

चातुर्मास का समापन: 04 नवंबर, दिन शुक्रवार, देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी पर

क्या होता है चातुर्मास?

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन पूरे सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु पूरी सृष्टि का संचालन भगवान शिव को सौंप कर स्वयं क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं. इसके बाद वे कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागते हैं. भगवान विष्णु के शयन काल की यह पूरी अवधि चार महीने की होती है. इसी वजह से इस पूरी अवधि को चातुर्मास कहते हैं.

सनातन धर्म में चातुर्मास का महत्व क्या है?

मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु सो जाते हैं और इस दौरान भगवान शिव के हाथों में सृष्टि का संचालन आ जाता है. ऐसे में इस दौरान तमाम तरह के मांगलिक कार्य तो वर्जित रहते हैं लेकिन धर्म-कर्म व दान-पुण्य के लिए इस समय को अनुकूल माना जाता है. इसके पीछे जो वजह बताई जाती है वह भगवान शिव से जुड़ी है.

चूंकि इस समय भगवान शिव के हाथों में सृष्टि का संचालन करने की ज़िम्मेदारी होती है और भगवान शिव को स्वभाव से बेहद भोला माना जाता है. वे जल्द ही किसी बात पर प्रसन्न हो जाते हैं और जल्द ही किसी बात पर नाराज भी हो जाते हैं. ऐसे में चातुर्मास में किए गए दान-पुण्य, पूजा-पाठ व धर्म-कर्म का फल भी तुरंत प्राप्त होता है. वहीं इस दौरान किए गए गलत कार्यों पर भगवान शिव दंड भी देते हैं. यही वजह है कि चातुर्मास में निषेध कार्यों का कड़ाई के साथ पालन करना चाहिए.

ऐसे में आपके मन में एक सवाल यह भी उठ रहा होगा कि जब सारे शुभ कार्य चातुर्मास में किए जा सकते हैं तो फिर मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह व जनेऊ आदि पर क्यों पाबंदी है. दरअसल मांगलिक कार्यों में सभी देवताओं का आवाहन किया जाता है और उन सभी का आशीर्वाद लिया जाता है लेकिन चातुर्मास के दौरान सो रहे भगवान विष्णु किसी भी मांगलिक कार्य में उपस्थित नहीं हो पाते हैं जिसकी वजह से उनका आशीर्वाद किसी को प्राप्त नहीं हो पाता है. यही वजह है कि सारे मांगलिक कार्य उनके नींद से उठने के बाद ही शुरू किए जाते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें