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झारखंड: बेकार जमीन पर छायी हरियाली, आम और सब्जी की जैविक खेती से जीवन संवार रहे चंद्रमोहन

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किसान चंद्रमोहन दास ने बिना सरकारी सुविधा के खेती व बागवानी कर साबित कर दिया कि सरकारी सुविधाओं की आस लगाए बैठने की जगह खुद से भी राह आसान की जा सकती है. गांव में सरकार की ओर से पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इसके बाद भी वे सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

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गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम): झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड की बड़ाखुर्शी पंचायत के दारीसाई गांव के किसान चंद्रमोहन दास आम के साथ-साथ सब्जी की जैविक खेती कर अपना जीवन संवार रहे हैं. खास बात यह है कि ये आम पकाने में किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. सब्जियों की खेती में रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाओं के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक खादों का प्रयोग करते हैं.

यूं ही बेकार पड़ी थी जमीन

किसान चंद्रमोहन दास पुआल के बीच आम रखकर उसे पकाते हैं. किसान ने घर के पीछे बेकार पड़ी जमीन पर आम्रपाली, लंगड़ा, दशहरी, चौसा समेत विभिन्न प्रकार के रसीले आम के पेड़ लगाये हैं. उन्होंने बताया कि जमीन झाड़ियों से भरी पड़ी थी. उन्होंने खुद झाड़ियों की सफाई की और खेती व बागवानी शुरू की. फलस्वरूप इस बार आम के फलों में वृद्धि हुई है. सभी पौधे दारीसाई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से खरीदे गये थे. वे बताते हैं कि आम अप्रैल से जून तक तैयार हो जाते हैं.

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बिना सरकारी मदद के कर रहे खेती

किसान चंद्रमोहन दास ने बिना सरकारी सुविधा के खेती व बागवानी कर साबित कर दिया कि सरकारी सुविधाओं की आस लगाए बैठने की जगह खुद से भी राह आसान की जा सकती है. गांव में सरकार की ओर से पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है. सिंचाई के लिए घर में लगे समर्सिबल वाटर पंप से ही आम के बगीचे समेत तरह-तरह की सब्जियों की खेती कर रहे हैं. बाग में आम के साथ बैंगन, मकई, भिंडी, टमाटर, मद्रासी ओल आदि लगाये गये हैं. सब्जियों की खेती में रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाओं के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक खादों का प्रयोग करते हैं.

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