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अंगीठी के इस्तेमाल में सावधानी जरूरी

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गरमाहट देने वाली सिगड़ी या अंगीठी का बंद कमरे में इस्तेमाल जोखिम भरा साबित होता है. ऐसे में सर्दियों में अंगीठी जलाते हुए इससे निकलने वाली जहरीली गैसों के दमघोटू धुएं को लेकर सतर्क रहना बेहद जरूरी है.

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ठिठुरती ठंड से बचाव के लिए हमारे यहां आज भी अंगीठी का इस्तेमाल खूब होता है. विशेषकर गांवों-कस्बों में अंगीठी की ऊष्मा गरीबों का बड़ा सहारा बनती है. परंतु यह चिंतनीय है कि कोयले की अंगीठी जलाना जानलेवा बन जाता है. बीते दिनों हजारीबाग में चार लोगों का अंगीठी के धुएं से दम घुट गया. ठंड भगाने के लिए बंद कमरे में अंगीठी का कोयला जला हुआ छोड़कर चारों युवक रात को सो गये. कोयले से निकले धुएं से नींद में ही उनकी मौत हो गयी. इन्हीं दिनों नैनीताल जिले में बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सो रही ननद और भाभी की मौत हो गयी. अमृतसर में भी बंद कमरे में जलायी गयी अंगीठी के कारण दो युवाओं का जीवन छिन गया.

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हर वर्ष इन मौसमी परिस्थितियों से जूझते हुए ऐसे हादसे होते हैं. गरमाहट देने वाली सिगड़ी या अंगीठी का बंद कमरे में इस्तेमाल जोखिम भरा साबित होता है. ऐसे में सर्दियों में अंगीठी जलाते हुए इससे निकलने वाली जहरीली गैसों के दमघोटू धुएं को लेकर सतर्क रहना बेहद जरूरी है. असल में अंगीठी जलने से कमरे में कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसों की मात्रा बढ़ जाती है. ठंड के कारण कमरे के खिड़की-दरवाजे भी पूरी तरह बंद होते हैं. भीतर ही भीतर फैलते धुएं से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. जिसके कारण बेहोश होने, सांस फूलने और दम घुटने के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं. विशेषकर अंगीठी में कोयला जलाकर सो जाने से खतरा और बढ़ जाता है. कोयले का अपूर्ण दहन कार्बन मोनोऑक्साइड सहित कई विषैली गैसों को उत्सर्जित करता है. ऐसी जहरीली गैसें अत्यधिक घातक होती हैं. सांस के माध्यम से यह जहर पूरे शरीर में फैल जाता है. नींद में दमघोंटू हवा से होने वाली असहजता या असुविधा का अहसास नहीं होता और किसी की सहायता लेने या खुली हवा में आकर सांस लेने में भी देरी हो जाती है. चिंतनीय है कि कभी इस्तेमाल की सही जानकारी के अभाव में, तो कभी लापरवाही के चलते कड़कड़ाती सर्दी से राहत देने वाले अंगीठी जैसे साधन जीवन के लिए जोखिम बन जाते हैं.

चिकित्सक भी इन दिनों लोगों को चेताते रहते हैं, क्योंकि बंद जगह अंगीठी जलाकर रखने से आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र से जुड़ी दूसरी परेशानियां भी होने लगती हैं. असल में ठंड के मौसम में हमारे यहां परंपरागत रूप से इस्तेमाल होती आ रही अंगीठी आमतौर पर खुले आंगन या छत पर जलायी जाती थी. हर ओर से बंद कमरों में इसे जलाना ही ऐसे हादसों की अहम वजह है. कहर ढाती सर्दी के दिनों में गरमाहट पाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इन सुविधाओं का उपयोग करते हुए लोगों का सतर्क रहना बहुत आवश्यक है.

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