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Bhool Bhulaiyaa 2 Movie Review: दर्शकों को हंसाने और डराने दोनों में कामयाब हुई ‘भूल भुलैया 2’

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अनीस बज्मी की आज रिलीज हुई फ़िल्म भूल भुलैया 2 की कहानी शुरू होती है जब कहानी की शुरुआत रीत ( कियारा आडवाणी) से होती है. जिसे अपने परिवार वालों के सामने खुद को मरा हुआ साबित करना पड़ता है.

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फ़िल्म भूल भुलैया 2

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निर्देशक-अनीस बज्मी

निर्माता-टी सीरीज

कलाकार-कार्तिक आर्यन,तब्बू,कियारा आडवाणी,राजेश कुमार,राजपाल यादव,अश्विनी,मिलिंद और अन्य

प्लेटफार्म-सिनेमाघर

रेटिंग-तीन

Bhool Bhulaiyaa 2 Movie Review: निर्देशक अनीस बज्मी की आज रिलीज हुई फ़िल्म भूल भुलैया 2, प्रियदर्शन की फिल्म भूल भुलैया से प्रेरित मात्र है. कहानी, किरदार, हालात पूरी तरह से अलग है. पिछली भूल भुलैया की तरह यह फ़िल्म कल्ट क्लासिक तो नहीं पैसा वसूल मास एंटरटेनर ज़रूर बन गयी है. कुलमिलाकर यह हॉरर कॉमेडी फिल्म भी हँसाने के साथ साथ डराने में कामयाब हुई है.

भूल भुलैया 2 की कहानी

कहानी की शुरुआत रीत ( कियारा आडवाणी) से होती है. जिसे अपने परिवार वालों के सामने खुद को मरा हुआ साबित करना पड़ता है क्योंकि जिस लड़के से उसकी शादी घरवाले करवा रहे हैं. वो लड़का और उसकी बहन आपस में प्यार करते हैं. रीत अपने एक दोस्त रुहान( कार्तिक आर्यन) के साथ वापस अपने शहर लौटती है और फैसला करती है कि वह 18 साल से बन्द पड़ी अपनी पुश्तैनी हवेली में रहेगी ताकि अपने परिवार से दूर रहते हुए वह उनके पास रहे.

मंजुलिका की एंट्री?

हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि रीत का पूरा परिवार वहां आ पहुंच जाता है और रूहान को एक कहानी बनानी पड़ती है. वह रीत के घरवालों और पूरे गांव वालों को विश्वास दिला देता है कि वह आत्माओं से बात करता है और रीत की आत्मा ने उसे वहां लेकर आयी है. रुहान मसखरी में आत्मा की बात करता है लेकिन उसी हवेली में 18 साल से मंजुलिका की बुरी आत्मा एक कमरे में बंद पड़ी है. जिससे रीत के घरवाले ही नहीं उसका पूरा गांव भी डरता है. रुहान की एंट्री से मंजुलिका के डर से क्या पूरा परिवार और गांव वाले मुक्ति पा पाएंगे. मंजुलिका का सच क्या है. कहानी में एक ट्विस्ट भी है. इस सब जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी. फ़िल्म की कहानी में नयापन नहीं है लेकिन जिस तरह से फ़िल्म का ट्रीटमेंट हुआ है. वह ज़रूर एंटरटेनिंग है खासकर फर्स्ट हाफ में.

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कहानी में हॉरर और कॉमेडी है

कहानी में हॉरर और कॉमेडी का जो संगम किया है, वह दिलचस्प बना है. कहानी के अलग अलग किरदार इसे बहुत ही खास बनाते हैं खासकर कार्तिक आर्यन के साथ संजय मिश्रा, राजेश कुमार,अश्विनी ,राजपाल यादव और बच्चे के किरदार की जो जुगलबंदी बनी है. फ़िल्म के संवाद भी अच्छे बन पड़े हैं. कई अच्छे वनलाइनर पंच भी हैं. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी असरदार है. जो फ़िल्म में एक अलग रंग भरता है. जिसके लिए मनु आनंद की तारीफ करनी होगी. फ़िल्म का गीत संगीत अच्छा बन पड़ा है. फिल्म में कुछ किरदारों और पुरानी फिल्म का आमी जे तोमार सांग,हरे रामा हरे कृष्णा नॉस्टैलिजिक फीलिंग भी देता है. खामियों पर आए तो फ़िल्म के सेकेंड हाफ में कहानी खिंच गयी है. फ़िल्म की लंबाई को 15 मिनट कम किया जा सकता था. तकनीकी पहलुओं में फ़िल्म का वीएफएक्स थोड़ा कमज़ोर रह गया है. तब्बू के चेहरे पर फोटोशॉप कई बार अखरता है.

जानें सबकी कैसी है एक्टिंग

अभिनय के पहलू पर आए तो अभिनेता के तौर पर कार्तिक को यह फ़िल्म एक पायदान ऊपर लेकर जाती है. कॉमेडी में उनकी महारत से हम सभी वाकिफ है लेकिन अभिनय के दूसरे रंग भी उनमें उम्दा है. फ़िल्म के क्लाइमेक्स में उन्होंने उसे बखूबी दर्शाया है. तब्बू ने शानदार काम किया है लेकिन उसे और उम्मीद थी. कियारा फ़िल्म में बहुत खूबसूरत लगी हैं. फ़िल्म में उनके करने के लिए कुछ खास नहीं था. राजपाल यादव एक अरसे बाद लय में दिखें हैं. जिसे देखना अच्छा लगता है. अश्विनी, संजय मिश्रा,राजेश कुमार भी अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करने में कामयाब हुए हैं. कुलमिलाकर यह मास एंटरटेनर फ़िल्म पैसा वसूल है। जो पूरे परिवार के साथ देखी जा सकती है.

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